भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल में एक ऐसे मरीज की जान बचाई गई जिसके दिल की धड़कनें प्रति मिनट आधे से भी कम (30) हो चुकी थी। मरीज को चक्कर आ रहे थे और सबकुछ डूबता हुआ सा महसूस हो रहा था। मरीज डायबिटीज से पीड़ित था। दरअसल उसके हृदय के दाहिने भाग को रक्त पहुंचाने वाली मुख्य धमनी 100 फीसदी ब्लाक हो चुकी थी। आसपास की धमनियां भी ब्लाक हो रही थीं। स्पर्श के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक दशोरे ने तत्काल एंजियोप्लास्टी कर ब्लाकेज हटाया और मरीज की जान बचा ली।लगभग 55 वर्ष के इस मरीज का इलाज शहर के एक बड़े अस्पताल में हो रहा था। चक्कर आने को डायबिटीज से जोड़ कर देखा जा रहा था। जब मरीज के दिल की धड़कनें असामान्य रूप से कम हो गईं तो उसे तुरन्त किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सिफारिश डाक्टरों ने कर दी। इसके बाद उसे टर्शरी केयर के लिए रामनगर स्थित स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल लाया गया।
डॉ विवेक दशोरे ने जांच करने पर मरीज का हार्टरेट (दिल के धड़कने की गति) 30 पाया। एंजियो करने पर पता लगा कि उसकी राइट कोरोनरी आर्टरी (आरसीए) 100 फीसदी ब्लाक है। इसके साथ ही आसपास की धमनियां भी 50 फीसदी तक ब्लाक हैं। इमरजेंसी में एंजियोप्लास्टी कर पहले उसकी आरसीए को खोला गया। हार्टरेट नार्मल होने तथा मरीज के स्टेबल होने का इंतजार किया गया। दो दिन बाद दो और ब्लाकेज खोल दिए गए। मरीज के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ। 5 दिन बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई।
इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक दशोरे ने बताया कि ऐसी परिस्थितियों में मरीज की जान बचाना जोखिम से भरा होता है। जो भी कुछ करना है, उसे तत्काल करना होता है, ज्यादा सोच विचार के लिए वक्त नहीं होता। मरीज के परिजनों से तत्काल सहमति लेकर मरीज की एंजियोप्लास्टी की गई। उन्होंने बताया कि आरसीए के पूरी तरह ब्लाक हो जाने पर आसपास की छोटी धमनियां उसकी जगह ले लेती हैं तथा किसी तरह हृदय का धड़कना जारी रख पाती हैं। पर ये धमनियां भी 50 फीसदी तक ब्लाक हो चुकी थीं जिसके कारण मरीज की नब्ज डूबने लगी थी। मरीज को घबराहट हो रही थी और चक्कर आ रहे थे। डायबिटीज के मरीजों में ऐसे लक्षण शुगर के कारण भी हो सकते हैं। शायद इसीलिए ब्लाकेज का समय पर पता नहीं लग पाया।