भिलाई। वर्तमान समय में युवाओं की अवस्था असंयमित वायु की तरह हो गयी है जो अपनी सरलता, सादगी एवं शालीनता को भूलकर पथभ्रष्ट हो गयी है। वह अपनी ऊर्जा को व्यर्थ की चीजों में नष्ट कर रहा है। ऐसे में अध्यात्म ही है जो युवाओं को सही और गलत की परख करा कर सही मार्ग प्रसस्त कर सकता है। अखिल विश्व गायत्री परिवार की युवा शाखा दिव्य भारत युवा संघ (दीया) छग ने इसे समझाने के लिए बोहारा एवं पलारी हायर सेकण्डरी स्कूलों में 27 जुलाई को कार्यशाला का आयोजन किया।युवाओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन की आवश्यकता क्यों? इस प्रश्न का उत्तर समझाते हुए दीया प्रांतीय सयोजंक डॉ. पी एल साव ने बताया कि जिस प्रकार एक पेंसिल की उपयोगिता उसकी लीड से ही होती है, बाहरी सुन्दरता कैसी भी हो अगर वो लिखे ना तो किसी काम की नहीं। पेंसिल की उपयोगिता भी तभी है जब उसे छिला जाये। यदि हमे जीवन को सही राह पर बनाये रखना है तो अध्यात्म ही वो डोर है जो कठिन परिस्थितियों में सही राह चुनने में मदद करता है। अपने आप को जान लेना ही अध्यात्म है।
डॉ योगेन्द्र कुमार ने अध्यात्म को जीवन में उतारने के तीन तरीके बताये उपासना-साधना-आराधना। उपासना अर्थात भगवान के समीप बैठकर उनके सद्गुणों को धारण करना, साधना अर्थात वाणी, मन और अन्त:करण को संयमित करते हुए अपनी बुराइयों को दूर कर अच्छाइयों को ग्रहण करना एवं आराधना का मतलब है सेवा कार्य करना। अध्यात्म हमे आत्मबोध कराता है कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है।
इंजिनियर युगल किशोर साहू ने बताया कि युवा जो भी अपने जीवन में बनना चाहते है उसके पहले “अच्छा” जरुर लगाये जैसे अच्छा डॉक्टर, अच्छा शिक्षक, अच्छा पुलिस क्योंकि समाज में अच्छे व्यक्तित्व की कमी है। अच्छा बनने की कला को ही अध्यात्म कहते है। हमारे जीवन का उद्देश्य खुशी पाना है, और प्रकृति हमें वही देती है जो हम उसे देते हैं।
कार्यशाला के आयोजन में दिया प्रभारी गुरुर ब्लाक दीपक साहू, द्वारिका ठाकुर, नरेंद्र साहू, संदीप साहू, मोनिका साहू, दोनों स्कूल के प्राचार्य टी आर यादव, सी आर धुरुवे एवं अन्य शिक्षको का विशेष योगदान रहा। दोनों स्कूल के 350 से अधिक युवा छात्र छात्राओं ने वर्कशॉप का लाभ उठाया।