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अब सवाल पूछने पर लग जाता है देशद्रोही होने का लेबल : मुख्यमंत्री बघेल

Aug 14, 2019
भिलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय परम्परा सवाल पूछने की रही है और सवाल जिससे किया जाता था, जवाब भी वही देता था जिससे वह प्रामाणिक हो जाता था। पर अब तो जवाब कोई भी दे देता है। शायद इसीलिए लोगों ने सवाल पूछना छोड़ दिया है। वैसे भी अब सवाल पूछने वाले पर देशद्रोही का लेबल लग जाता है। लोकतंत्र की सेहत के लिए यह जरूरी है कि लोग सरकार से सवाल पूछें। मुख्यमंत्री यहां भिलाई निवास में कीर्तिशेष देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में दिए जाने वाले वसुंधरा सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।

बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार तुषारकांति बोस को वसुंधरा सम्मान

भिलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय परम्परा सवाल पूछने की रही है और सवाल जिससे किया जाता था, जवाब भी वही देता था जिससे वह प्रामाणिक हो जाता था। पर अब तो जवाब कोई भी दे देता है। शायद इसीलिए लोगों ने सवाल पूछना छोड़ दिया है। वैसे भी अब सवाल पूछने वाले पर देशद्रोही का लेबल लग जाता है। लोकतंत्र की सेहत के लिए यह जरूरी है कि लोग सरकार से सवाल पूछें। मुख्यमंत्री यहां भिलाई निवास में कीर्तिशेष देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में दिए जाने वाले वसुंधरा सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्व. देवीप्रसाद चौबे को विशुद्ध छत्तीसगढ़ी नेता बताया जिनके रहन सहन, सरल और मृदु स्वभाव में छत्तीसगढ़ियापन झलकता था।भिलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय परम्परा सवाल पूछने की रही है और सवाल जिससे किया जाता था, जवाब भी वही देता था जिससे वह प्रामाणिक हो जाता था। पर अब तो जवाब कोई भी दे देता है। शायद इसीलिए लोगों ने सवाल पूछना छोड़ दिया है। वैसे भी अब सवाल पूछने वाले पर देशद्रोही का लेबल लग जाता है। लोकतंत्र की सेहत के लिए यह जरूरी है कि लोग सरकार से सवाल पूछें। मुख्यमंत्री यहां भिलाई निवास में कीर्तिशेष देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में दिए जाने वाले वसुंधरा सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।मुख्यमंत्री ने हिटलर से जुड़ी एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हिटलर अपनी विजययात्रा से बहुत खुश था। जनता भी खुश दिखाई देती थी। एक बार उसने भेष बदलकर लोगों की टोह लेने की सोची। वे जाकर लोगों के बीच बैठ गए। जब ‘हेल हिटलर’ के नारे लगे तो वो चुपचाप बैठा रहा। तब बाजू में बैठे व्यक्ति ने उन्हें कुहनी मारकर नारे लगाने के लिए कहा साथ ही ऐसा नहीं करने पर आने वाली दुश्वारियों की चेतावनी भी दी। उन्होंने इशारों ही इशारों में केन्द्र सरकार पर तंज भी कसे। उन्होंने कहा कि अब सवाल पूछने वाला देशद्रोही कहलाता है।
उन्होंने बस्तर में 60 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे तुषारकांति बोस की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन दिनों ज्यादा लोग अखबार नहीं पढ़ते थे। ऐसे समय में बस्तर जैसी जगह से अखबार निकालना एक बड़ा जोखिम था। उन्होंने श्री बोस के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कभी किसी राजनीतिक दल की ओर झुकाव नहीं रखा ताकि पत्रकारिता जीवित रहे। आज बहुत कम पत्रकार ऐसा दावा कर सकते हैं।
2019 के वसुंधरा सम्मान से सम्मानित श्री बोस ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि वे काम करते रहे हैं, अब भी कर रहे हैं। उन्होंने कभी किसी राजनीतिक दल से दोस्ती नहीं की क्योंकि वे अपने पेशे के साथ न्याय करना चाहते थे। वे निरंतर अपना काम करते रहे। उन्होंने पत्रकार साथियों से निष्ठापूर्वक अपना काम करते रहने का आग्रह किया।
भिलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय परम्परा सवाल पूछने की रही है और सवाल जिससे किया जाता था, जवाब भी वही देता था जिससे वह प्रामाणिक हो जाता था। पर अब तो जवाब कोई भी दे देता है। शायद इसीलिए लोगों ने सवाल पूछना छोड़ दिया है। वैसे भी अब सवाल पूछने वाले पर देशद्रोही का लेबल लग जाता है। लोकतंत्र की सेहत के लिए यह जरूरी है कि लोग सरकार से सवाल पूछें। मुख्यमंत्री यहां भिलाई निवास में कीर्तिशेष देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में दिए जाने वाले वसुंधरा सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।आयोजन के मुख्य वक्ता इंडिया टुडे दिल्ली के संपादक अंशुमान तिवारी ने कहा कि दुनिया के अनेक देश अपने यहां लोकतंत्र होने का दावा करते हैं। पर लोकतंत्र तभी लोकतंत्र है जब लोगों को सरकार से सवाल पूछने का भी अधिकार हो। भारत में यह परम्परा चार हजार साल से भी पहले से चली आ रही है। नचिकेता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 12 साल के नचिकेता ने न केवल सवाल पूछा बल्कि उसका जवाब ढूंढने के लिए यमराज तक पहुंच गए। यह जिजीविषा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का मतलब निश्चित अवधि के लिए सरकार चुनना मात्र नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर, दुर्ग विधायक अरुण वोरा, संयोजक विनोद मिश्र, स्वागत समिति के अध्यक्ष विष्णु पाठक, आयोजन समिति के अध्यक्ष दिनेश बाजपेयी ने भी समारोह को संबोधित किया। संचालन प्रो. डॉ डीएन शर्मा ने किया। इस अवसर पर वसुंधरा के पर्यावरण एवं जलवायु अंक का विमोचन भी किया गया। इसका संपादन प्रो. डॉ डीएन शर्मा ने किया है। इस अवसर पर रविन्द्र चौबे सहित चौबे परिवार के अन्य सदस्य, श्री गंगाजलि शिक्षण समिति के चेयरमैन आईपी मिश्रा, अध्यक्ष जया मिश्रा, श्रीशंकराचार्य महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह, स्वामी स्वरूपानंद महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला, वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ हरिनारायण दुबे, वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव, मुमताज अली समेत विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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