भिलाई। मोबाइल के आने से आज कैमेरा भले ही सभी के हाथों में पहुंच गया हो किन्तु इसकी यात्रा बहुत लंबी है। फ्रांसीसी वैज्ञानिक आर्गी ने 7 जनवरी 1839 को फ्रेंच अकादमी आॅफ साइंस के लिए एक रिपोर्ट तैयार की। फ्रांस सरकार ने यह प्रोसेस रिपोर्ट खरीदकर उसे आम लोगों के लिए 19 अगस्त 1939 को फ्री घोषित किया। तभी से 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। उक्त बातें एमजे कालेज की निदेशक श्रीलेखा विरुलकर ने अपने संदेश में दिया। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी न केवल एक कला है बल्कि यह सुखद सुन्दर पलों को संजोने का एक बेहतरीन माध्यम भी है। एमजे कालेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ अनिल चौबे ने बताया कि 1839 में सर्वप्रथम फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेकस तथा मेंडे डाग्युरे ने फोटो तत्व को खोजने का दावा किया था। ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव-पॉजीटिव प्रोसेस ढूंढ लिया था। 1834 में टेल बॉट ने लाइट सेंसेटिव पेपर का आविष्कार किया जिससे खींचे चित्र को स्थायी रूप में रखने की सुविधा प्राप्त हुई।
आम तौर पर लोग सोचते हैं कि आज का युवा सिर्फ सेल्फी खींचने में रुचि लेता है। पर एमजे कालेज के युवाओं ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया। उन्होंने अपने अपने मोबाइल कैमरे में कैद तितली, फूल, एरियल फोटोग्राफी, सनसेट, गोधुली पर लौटती गायों से लेकर गिरौदपुरी के जैतखाम और प्रकृति से जुड़ी ढेरों तस्वीरें प्रतियोगिता के लिए शेयर कीं। प्रतियोगिता के विजेता का चयन फोटो जर्नलिस्टों द्वारा किया जाएगा।