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Research Paper : कृषि ऋण माफी स्वागतेय पर और भी कदम उठाने होंगे : डॉ मेश्राम

Aug 27, 2019

भिलाई। ऋण माफी किसानों को राहत दिलाएगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। लेकिन इन सब के अलावा भी सरकार को किसानों की स्थिति में स्थाई सुधार के लिए अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। छत्तीसगढ़ में दुर्ग बालोद, बेमेतरा में ऋण माफी के तुलनात्मक अध्ययन से यह पता चलता है कि सरकार की ऋण माफी योजना से सबसे ज्यादा बालोद जिले में ऋण माफी की गई। राज्य के कृष्को के हित में अल्पकालीन कृषि ऋण माफी योजना 2018 राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें लगभग 5170 करोड़ रु. की राशि प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के लगभग 15 लाख कृषक सदस्यों के ऋण माफ करने के लिए अनुमानित है।भिलाई। ऋण माफी किसानों को राहत दिलाएगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। लेकिन इन सब के अलावा भी सरकार को किसानों की स्थिति में स्थाई सुधार के लिए अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। छत्तीसगढ़ में दुर्ग बालोद, बेमेतरा में ऋण माफी के तुलनात्मक अध्ययन से यह पता चलता है कि सरकार की ऋण माफी योजना से सबसे ज्यादा बालोद जिले में ऋण माफी की गई। राज्य के कृष्को के हित में अल्पकालीन कृषि ऋण माफी योजना 2018 राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें लगभग 5170 करोड़ रु. की राशि प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के लगभग 15 लाख कृषक सदस्यों के ऋण माफ करने के लिए अनुमानित है। यह जानकारी शासकीय नवीन कॉलेज खुर्सीपार की सहायक प्राध्यापक डॉ. अनीता मेश्राम ने दी। उन्होंने सरकार के ऋण माफी योजना का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया।
डॉ. अनीता ने बताया कि वर्तमान समय में कृषि ऋणमाफी ने कृषक समुदाय, नीति निर्माताओं, विश्लेषकों और शोधकर्ताओं का काफी ध्यान आकर्षित किया है। एक तरहफ तो समस्याओं का पहाड़ है, जो हमारे किसानों में आक्रोश बढ़ाने के लिए प्रर्याप्त है। कृषि ऋण माफी से यह जररूरत सामने आयी कि भारतीय कृषि को प्रभावित करने वाली संरचनागत स्वामी के लिए स्थाई समाधान ढूंढा जाए।
कृषि ऋण माफी की देशव्यापी योजना सबसे पहले 1990 में आई थी। और उससे राष्ट्रीय कोश पर लगभग 10 हजार करोड़ का बोझ पड़ गया था। दूसरी प्रमुख ऋण माफी और ऋण राहत स्कीम के नाम से योजना 2008 में आई। जिसमें 52 हजार करोड़ जीडीपी का 0.9 प्रतिशत दी गई। 2014 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ने क्रमश: 24000 करोड़ और 17000 करोड़ की ऋणमाफी घोषित की। 2016 में तमिलनाडु से शुरु हुआ तो 2017 में इसका प्रभाव विभिन्न राज्यों में दिखाई दिया और घोषिण ऋण माफियों की कुल रकम लगभग 1,30, 000 करोड़ रु था जो जीडीपी का 0.8 प्रतिशत था।
कृषि ऋण माफी प्रभावशीलता एवं सार्थकता विषय पर बोलते हुए डॉ. अनीता मेश्राम ने बताया कि छग प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है। यहां की बड़ी आबादी कृषि पर ही आश्रित है। प्रदेश में पिछले कई वर्षों से अवर्षा एवं अन्य प्राकृतिक कारणों से फसल की क्षति होती आ रही है। जिस वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। लेकिन ऋण माफी से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तथा वे बेहतर स्थिति में अपना जीवनयापन कर सकेंगे 30 नवंबर 2018 में 2 लाख रु. तक अल्पकालीन कृषि ऋण माफ करने का निर्णय लिया गया है।
सभी तथ्यों का अध्ययन करने के बाद डॉ. अनीता मेश्राम ने बताया कि कृषि ऋण माफी से राज्य में गैर निष्पादित संपत्तियों का अनुपात बढ़ेगा। वहीं आरबीआई के विचारों के समर्थन में कह सकते हैं कि इस योजना से ऋणदाता एवं ऋणि के बीच असंतुलन व्याप्त हो गा और एक नई समस्या उत्पन्न होगी।

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