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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म: इन 8 प्वाइंट में समझिए फैसले की बड़ी बातें

Aug 6, 2019

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसका एलान गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में किया जहां यह पारित हो गया जहां इसे 61 के मुकाबले 125 मतों से पारित कर दिया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने संसद को बताया कि अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया है और इस आदेश पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। अनुच्छेद 370 के खत्म होने के साथ अनुच्छेद 35-ए भी खत्म हो गया है जिससे राज्य के 'स्थायी निवासी' की पहचान होती थी। सरकार ने अनुच्छेद 370 के खात्मे के साथ-साथ प्रदेश के पुनर्गठन का भी प्रस्ताव किया है।नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसका एलान गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में किया जहां यह पारित हो गया जहां इसे 61 के मुकाबले 125 मतों से पारित कर दिया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने संसद को बताया कि अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया है और इस आदेश पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। अनुच्छेद 370 के खत्म होने के साथ अनुच्छेद 35-ए भी खत्म हो गया है जिससे राज्य के ‘स्थायी निवासी’ की पहचान होती थी। सरकार ने अनुच्छेद 370 के खात्मे के साथ-साथ प्रदेश के पुनर्गठन का भी प्रस्ताव किया है।प्रस्ताव किया गया है कि जम्मू-कश्मीर अब पूर्ण राज्य नहीं रहेगा, बल्कि इसकी जगह दो केंद्र शासित प्रदेश होंगे। एक का नाम होगा जम्मू-कश्मीर, दूसरे का नाम होगा लद्दाख। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी जबकि लद्दाख में कोई विधायिका नहीं होगी।
अनुच्छेद 370 का केवल एक खंड जस का तस रखा गया है जिसके तहत राष्ट्रपति किसी बदलाव का आदेश जारी कर सकते हैं। गृहमंत्री ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने का प्रस्ताव वहां की सुरक्षा की स्थिति और सीमा-पार से आतंकवाद की स्थिति को देखते हुए लिया गया।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है। 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे। बाद में उन्होंने कुछ शर्तों के साथ भारत में विलय के लिए सहमति जताई।
विलय के लिए भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 का प्रावधान किया गया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार दिए गए। इसमें राज्य के लिए अलग संविधान की मांग की गई थी। 1951 में राज्य को संविधान सभा को अलग से बुलाने की अनुमति दी गई थी।
नवंबर, 1956 में राज्य के संविधान का काम पूरा हुआ और 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की पांच महीनों की बातचीत के बाद अनुच्छेद 370 को संविधान में जोड़ा गया। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, रक्षा, विदेश नीति और संचार मामलों को छोड़कर किसी अन्य मामले से जुड़ा कानून बनाने और लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की अनुमति चाहिए।
इसी विशेष दर्जें के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता। इस कारण भारत के राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 370 के चलते, जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा होता है और विधानसभा का कायर्काल भी छह साल है। अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर में आर्थिक आपालकाल भी नहीं लगाया जा सकता था।

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