• Sat. Apr 20th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

नवजात शिशु के लिए अमृत है स्तनपान, इसलिए कहते हैं तरल प्रेम : श्रीलेखा

Aug 7, 2019

एमजे कॉलेज ऑफ नर्सिंग में विश्व स्तनपान सप्ताह का समापन

भिलाई। एमजे कॉलेज ऑफ नर्सिंग में आज विश्व स्तन पान सप्ताह का समापन किया गया। इस अवसर पर नर्सिंग स्टूडेन्ट्स ने रोचक जानकारियों के साथ पीपीटी के सहयोग से प्रजेन्टेशन दिया। उन्होंने नाटकों के द्वारा स्तन पान के महत्व को समझाया तथा शिक्षितों वर्किंग क्लास पर कटाक्ष भी किए। स्टूडेन्ट्स के बीच स्तनपान की थीम पर हेल्दी रेसिपी और स्तनपान पर रंगोली प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।  कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय की डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर ने किया। उन्होंने कहा कि मां के दूध को तरल प्रेम भी कहा जाता है। यह वह धारा है जो मां एवं बच्चे को एक अटूट बंधन में बांधती है। यह न केवल शिशु के स्वस्थ विकास एवं निरोगी भविष्य के लिए आवश्यक है बल्कि स्तान पान कराने से स्वयं प्रसूता के स्वास्थ्य में भी तेजी से सुधार होता है। गर्भाशय को पूर्वावस्था में लौटाने में इसकी महति भूमिका है।भिलाई। एमजे कॉलेज ऑफ नर्सिंग में आज विश्व स्तनपान सप्ताह का समापन किया गया। इस अवसर पर नर्सिंग स्टूडेन्ट्स ने रोचक जानकारियों के साथ पीपीटी के सहयोग से प्रजेन्टेशन दिया। उन्होंने नाटकों के द्वारा स्तन पान के महत्व को समझाया तथा शिक्षितों वर्किंग क्लास पर कटाक्ष भी किए।  कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय की डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर ने किया। उन्होंने कहा कि मां के दूध को तरल प्रेम भी कहा जाता है। यह वह धारा है जो मां एवं बच्चे को एक अटूट बंधन में बांधती है। यह न केवल शिशु के स्वस्थ विकास एवं निरोगी भविष्य के लिए आवश्यक है बल्कि स्तनपान कराने से स्वयं प्रसूता के स्वास्थ्य में भी तेजी से सुधार होता है। गर्भाशय को पूर्वावस्था में लौटाने में इसकी महति भूमिका है।कार्यक्रम में एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच, प्रभारी प्राचार्य डॉ अनिल चौबे, फार्मेसी कालेज के प्राचार्य डॉ टी कुमार, शिक्षा विभाग की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया, नर्सिंग कालेज की प्राचार्य सी कन्नम्मल एवं उप प्राचार्य सिजी थॉमस मंचस्थ थीं। स्टूडेन्ट्स के बीच स्तनपान की थीम पर हेल्दी रेसिपी और स्तनपान पर रंगोली प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।
भिलाई। एमजे कॉलेज ऑफ नर्सिंग में आज विश्व स्तन पान सप्ताह का समापन किया गया। इस अवसर पर नर्सिंग स्टूडेन्ट्स ने रोचक जानकारियों के साथ पीपीटी के सहयोग से प्रजेन्टेशन दिया। उन्होंने नाटकों के द्वारा स्तन पान के महत्व को समझाया तथा शिक्षितों वर्किंग क्लास पर कटाक्ष भी किए। स्टूडेन्ट्स के बीच स्तनपान की थीम पर हेल्दी रेसिपी और स्तनपान पर रंगोली प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।  कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय की डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर ने किया। उन्होंने कहा कि मां के दूध को तरल प्रेम भी कहा जाता है। यह वह धारा है जो मां एवं बच्चे को एक अटूट बंधन में बांधती है। यह न केवल शिशु के स्वस्थ विकास एवं निरोगी भविष्य के लिए आवश्यक है बल्कि स्तान पान कराने से स्वयं प्रसूता के स्वास्थ्य में भी तेजी से सुधार होता है। गर्भाशय को पूर्वावस्था में लौटाने में इसकी महति भूमिका है।बच्चों ने पावर पाइंट प्रजेन्ट्शन के माध्यम से मां के दूध के घटकों की जानकारी देते हुए कहा कि जन्म के बाद के प्रथम छह माह में बच्चे को ऊपर का पानी तक नहीं देना चाहिए। मां के दूध में ही 87 फीसद तक पानी होता है। उन्होंने शहद चटाने, गुड़ का पानी पिलाने जैसी पुरानी मान्यताओं को खारिज करते हुए स्तनपान को ही नवजात शिशु के लिए श्रेष्ठ और सम्पूर्ण आहार बताया।
स्टूडेन्ट्स ने नाटक के माध्यम से बताया कि किस तरह कामकाजी महिलाएं अपने बच्चे को दूध पिलाने का वक्त नहीं निकाल पाती हैं और बच्चे को बॉटल फीड के हवाले कर देती हैं। इससे सबकुछ होते हुए भी बच्चा कुपोषित और बीमार रहने लगता है जबकि एक सामान्य घरेलू महिला आंगनवाड़ी केन्द्रों के सतत् सम्पर्क में रहते हुए शिशु को स्तनपान कराती है। ऐसे बच्चे स्वस्थ और हृष्टपुष्ट हो जाते हैं तथा उनका वजन भी सही ढंग से बढ़ता है। एक अन्य नाटक के जरिए उन्होंने शिशु की सही देखभाल में पिता की भूमिका को भी रेखांकित किया। भिलाई। एमजे कॉलेज ऑफ नर्सिंग में आज विश्व स्तन पान सप्ताह का समापन किया गया। इस अवसर पर नर्सिंग स्टूडेन्ट्स ने रोचक जानकारियों के साथ पीपीटी के सहयोग से प्रजेन्टेशन दिया। उन्होंने नाटकों के द्वारा स्तन पान के महत्व को समझाया तथा शिक्षितों वर्किंग क्लास पर कटाक्ष भी किए। स्टूडेन्ट्स के बीच स्तनपान की थीम पर हेल्दी रेसिपी और स्तनपान पर रंगोली प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।  कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय की डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर ने किया। उन्होंने कहा कि मां के दूध को तरल प्रेम भी कहा जाता है। यह वह धारा है जो मां एवं बच्चे को एक अटूट बंधन में बांधती है। यह न केवल शिशु के स्वस्थ विकास एवं निरोगी भविष्य के लिए आवश्यक है बल्कि स्तान पान कराने से स्वयं प्रसूता के स्वास्थ्य में भी तेजी से सुधार होता है। गर्भाशय को पूर्वावस्था में लौटाने में इसकी महति भूमिका है।
अंत में सभी प्रतिभागी बच्चों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया।

Leave a Reply