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प्रेमचंद हमारी भाषा के पहले यथार्थवादी लेखक – डॉ. जय प्रकाश

Aug 3, 2019

दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग में हिन्दी साहित्य समिति तथा हिन्दी विभाग द्वारा विवेकानंद सभागार में प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य डॉ. ओ. पी. गुप्ता ने की। इस अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित करते डॉ. जय प्रकाश ने कहा प्रेमचंद एक महान कथाकार थे। विश्व साहित्य में उन्हें लू शुन तथा गोर्की के समकक्ष रखा जा सकता है। ये तीनों अपने-अपने देश में जीवन के यथार्थ को चित्रित कर रहे थे, खासकर मजदूर किसान उनके मुख्य विषय रहे।दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग में हिन्दी साहित्य समिति तथा हिन्दी विभाग द्वारा विवेकानंद सभागार में प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य डॉ. ओ. पी. गुप्ता ने की। इस अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित करते डॉ. जय प्रकाश ने कहा प्रेमचंद एक महान कथाकार थे। विश्व साहित्य में उन्हें लू शुन तथा गोर्की के समकक्ष रखा जा सकता है। ये तीनों अपने-अपने देश में जीवन के यथार्थ को चित्रित कर रहे थे, खासकर मजदूर किसान उनके मुख्य विषय रहे। भारतीय साहित्य में प्रेमचंद से पूर्व उड़िया साहित्य में किसान जीवन पर कथाकार फकीर मोहन सेनापति ने यह कार्य किया। प्रेमचंद जी ने अपने समूचे साहित्य में मानवीय संवेदना जगाने का कार्य किया है। आज का समय संवेदना के छीजने का समय है, समाज में मानवीय संवेदना जगाने के लिए प्रेमचंद को आज बार-बार पढ़े जाने की आवश्यकता है। मुख्यवक्ता प्रो. थानसिंह वर्मा ने प्रेमचंद के साहित्य की विस्तार से चर्चा की उन्होंने कहा प्रेमचंद को समझने के लिए हिन्दी साहित्य की पूर्व परम्परा ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का अध्ययन आवश्यक है।
प्रेमचंद के पूर्व साहित्य को महज मनोरंजन का साधन समझा जाता था। प्रेमचंद जी ने भारतेन्दु जी की परंपरा को आत्मसात करते हुये उसे उद्देश्य परक तथा यथाथर्वादी बनाया। विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनेष सुराना ने कहा- प्रेमचंद जी 15 उपन्यास तीन सौ कहानिया, निबंध तथा लेख एवं पत्रकारिता के द्वारा भारतीय साहित्य को समृद्ध किया। उन्होने किसान मजदूर तथा वंचित वर्ग को साहित्य के केन्द्र में लाया साहित्य समिति के संयोजक – डॉ. सुचित्रा गुप्ता ने साहित्य समिति के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा साहित्य समिति विद्याथिर्यों में साहित्य के प्रति रूचि पैदा करना व अन्य सामाजिक विषयों के जानकारी प्रदान करने के लिए वर्ष भर कुछ नकुछ आयोजन करती है विद्याथिर्यों को उत्साह पूर्वक उसमें भाग लेना चाहिए। कार्यक्रम में छात्र- प्रियम वैष्णव, करूणा रामटेके, अनामिका असाटी, वैष्णवी याज्ञिक तथा जैनब खातून ने भी अपने विचार व्यक्त किये । कार्यक्रम में प्राध्यापक डॉ. बलजीत कौर, डॉ. अनुपमा कश्यप, डॉ. सपना शर्मा, डॉ. ज्योति धारकर, डॉ. के पदमावती के अलावा बड़ी संख्या में छात्रगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कृष्णा चटर्जी तथा आभार ज्ञापन डॉ. शंकर निषाद ने किया।

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