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12-15 साल अंग्रेजी पढ़ने के बाद भी सिर्फ पासिंग मार्क्स? कुछ तो गड़बड़ है

Aug 17, 2019

भिलाई। स्कूल में 12 तथा कालेज में 3 साल अंग्रेजी पढ़ने के बाद भी विद्यार्थी केवल पासिंग मार्क्स के आसपास ही पहुंच पाते हैं। बोलना तो दूर, अंग्रेजी में एक पैराग्राफ लिखना भी इन विद्यार्थियों के लिए मुश्किल होता है। वे केवल वही लिख पाते हैं जो उन्हें पढ़ाया, लिखाया या सिखाया गया है। स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब 80 फीसदी नौकरियों में भाषा की बहुत बड़ी भूमिका होती है। उक्त बातें sundaycampus.com के संपादक दीपक रंजन दास ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खपरी में हाई स्कूल एवं हायर सेकण्डरी स्कूल के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहीं।भिलाई। स्कूल में 12 तथा कालेज में 3 साल अंग्रेजी पढ़ने के बाद भी विद्यार्थी केवल पासिंग मार्क्स के आसपास ही पहुंच पाते हैं। बोलना तो दूर, अंग्रेजी में एक पैराग्राफ लिखना भी इन विद्यार्थियों के लिए मुश्किल होता है। वे केवल वही लिख पाते हैं जो उन्हें पढ़ाया, लिखाया या सिखाया गया है। स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब 80 फीसदी नौकरियों में भाषा की बहुत बड़ी भूमिका होती है। उक्त बातें sundaycampus.com के संपादक दीपक रंजन दास ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खपरी में हाई स्कूल एवं हायर सेकण्डरी स्कूल के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहीं। भिलाई। स्कूल में 12 तथा कालेज में 3 साल अंग्रेजी पढ़ने के बाद भी विद्यार्थी केवल पासिंग मार्क्स के आसपास ही पहुंच पाते हैं। बोलना तो दूर, अंग्रेजी में एक पैराग्राफ लिखना भी इन विद्यार्थियों के लिए मुश्किल होता है। वे केवल वही लिख पाते हैं जो उन्हें पढ़ाया, लिखाया या सिखाया गया है। स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब 80 फीसदी नौकरियों में भाषा की बहुत बड़ी भूमिका होती है। उक्त बातें sundaycampus.com के संपादक दीपक रंजन दास ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खपरी में हाई स्कूल एवं हायर सेकण्डरी स्कूल के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहीं।उन्होंने कहा कि भाषा के प्रति अरुचि, पाठ्यपुस्तकों को नहीं पढ़ना, अंग्रेजी नहीं सुनना इसके लिए जिम्मेदार है।
उन्होंने बताया कि सुनकर सीखी गई भाषा में उच्चारण सीखने की समस्या नहीं आती। फर्क इस बात का पड़ता है कि हम सुनने के लिए किन स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि स्रोत अच्छा है तो भाषा भी साफ होगी। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों द्वारा इसे स्पष्ट भी किया। उन्होंने कहा कि व्याकरण से हम पास हो सकते हैं पर भाषा नहीं सीख सकते। अंग्रेजी और संस्कृत दोनों ही भाषा इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं।
उन्होंने अंग्रेजी सीखने के विभिन्न टिप्स देते हुए शिक्षकों से भी अंग्रेजी के कालखण्ड में अधिक से अधिक रीडिंग और सिर्फ अंग्रेजी का प्रयोग करने की सलाह दी। उन्होंने बच्चों से भी बोल-बोल कर पढ़ने का आह्वान किया ताकि शब्द कानों में भी पड़ें और जुबान भी साफ हो सके। बातचीत छोटे छोटे वाक्यों में करें।
इस अवसर पर प्राचार्य श्रीमती सुनीता सूद समेत विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं भी बड़ी संख्या में उपस्थित थीं।

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