दुर्ग। फैशन डिजाइन रोहन परियार का मानना है कि हाथकरघा और खादी ही फैशन का भविष्य है। भारत में भले ही लोग अब भी किफायती सिंथेटिक पसंद कर रहे हैं पर पर्यावरण के प्रति जागरूक विकसित राष्ट्रों में हाथकरघे से निर्मित फैब्रिक और परिधानों की अच्छी खासी डिमांड है। कोलकाता की प्रख्यात डिजाइनर शरबरी दत्ता की टीम के सदस्य रोहन मिलान फैशन वीक में शिरकत कर चुके हैं। यहां अविश एडुकॉम द्वारा आयोजित करियर सेमीनार को संबोधित करते हुए रोहन ने बताया कि हाथकरघे का मतलब आम तौर पर लोग खादी समझ लेते हैं जबकि ऐसा नहीं है। कांचीपुरम, माहेश्वरी, बाघ प्रिंट, चंदेरी, टसर सिल्क, बनारसी सिल्क, बालूचरी, सम्बलपुरी, कांथा स्टिच, बंधिनी, मूंगा सभी हाथकरघे पर बनती हैं। फैशन ऐपरल डिजाइनिंग से जुड़े विद्यार्थियों को उन्हें फैब्रिक पहचानने की समझाइश दी। उन्होंने कहा कि फैब्रिक को समझने से वह आपसे बातें करने लगती है। इससे आप यह तय कर सकते हो कि प्लीट्स, फॉल, ड्रेप के लिए किस फैब्रिक का उपयोग बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
मिलान फैशन वीक के अपने अनुभव की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि वह फैशन की एक अनोखी दुनिया है। हर जगह, यहां तक कि सड़कों पर भी आपको लोग फैशन में दिखते हैं। फैशन फोटोग्राफर्स कहीं भी मिल जाते हैं और राह चलते लोग उनके लिए पोज भी करते हैं। होटल रूम से बाहर कदम रखने के लिए भी उन्हें पूरी तरह से ड्रेस्ड अप होना पड़ता था। दुनिया की चार फैशन राजधानियों में से एक मिलान में अंग्रेजी बहुत कम बोली जाती है। उन्होंने बताया कि मिलान में उन्हें फैशन और फैब्रिक को ज्यादा बारीकी से समझने में मदद मिली।
स्कॉटिश चर्च कालेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर रोहन एकाएक ही फैशन की दुनिया में आ गए थे। इंटरकालेज फेस्ट्स से उन्हें एक्सपोजर मिला और फिर कोलकाता की मशहूर फैशन डिजाइनर शरबरी दत्ता का आमंत्रण। यहां से उनकी जिन्दगी बदल गई। शरबरी दत्ता ने ही अभिषेक-ऐश के विवाह के लिए परिधान डिजाइन किए थे। शरबरी स्टूडियो हैण्डलूम पर ही फोकस करता है।
इंटरनैेशनल फैशन वीक की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि न्यूयार्क, लंदन, मिलान और पैरिस में क्रमश: फैशन वीक होते हैं। नई थीम और नई सोच मिलती है। उसे हूबहू कापी नहीं किया जा सकता बल्कि अपने देश के लिए उसे अडाप्ट कर डेवलप किया जा सकता है। विद्यार्थियों को आइडियाज लेकर उनपर काम करना चाहिए। तभी सफलता मिलेगी।