नई दिल्ली। रोज सुबह नहाना, वह भी गर्म पानी से, आपकी दिनचर्या का हिस्सा मात्र है। यह सिर्फ एक आदत है जिसे बचपन में डाल दिया जाता है। भारतीयों के लिए यह धार्मिक कर्मकाण्ड का हिस्सा है। इसका स्वच्छता या स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं है। रोज नहाना सेहत के लिए जितना अच्छा है, उससे कहीं अधिक बुरा हो सकता है। यह कहना है हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के रिसर्च का जिसने वैश्विक स्तर पर एक सर्वे किया और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया।
वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रतिदिन गर्म पानी से स्नान करने वालों की त्वचा पर पायी जाने वाली तेल की परत खो जाती है। इससे अच्छे बैक्टीरिया एवं अन्य सूक्ष्मीवियों का संतुलन बिगड़ जाता है। त्वचा में दरारें पड़ जाती हैं जिसके कारण संक्रमण और एक्जीमा तक हो सकते हैं। नहाने के बाद लगाया जाने वाला कोई भी तेल इसका सही विकल्प नहीं हो सकता।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सेहत के लिए हाथों एवं कमर के नीचे के अंगों की सफाई काफी होती है। स्नान या शावर हर दूसरे दिन या सप्ताह में दो या तीन दिन काफी होता है। स्नान के समय दो-दो बार शैम्पू का उपयोग केवल मार्केटिंग फंडा है। इससे आपके बाल अच्छे नहीं होते बल्कि शैम्पू ज्यादा बिकता है। अधिक शैम्पू के नुकसान को रोकने के लिए ही अब कंपनियां कंडिशनर बेच रही हैं। पर यह उतना असरकारी नहीं है।
सर्वे के दौरान पाया गया कि केवल दो-तिहाई अमरीकी ही प्रतिदिन स्नान करते हैं। जबकि आधे से ज्यादा चीनी सप्ताह में केवल दो बार स्नान करते हैं। वहीं 80 फीसदी आस्ट्रेलियन्स प्रतिदिन स्नान करते हैं। वैज्ञानिक बताते हैं कि यदि प्रतिदिन स्नान करना जरूरी भी हो तो वह बिना साबुन के होना चाहिए और गर्म पानी से नहीं होना चाहिए। गर्म पानी त्वचा को तेल रहित शुष्क बनाने और उसमें दरारें उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार हैं।