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उत्कृष्ट साहित्य के बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण संभव नहीं – गौहर रजा

Oct 4, 2019

दुर्ग। उत्कृष्ट साहित्य के बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण संभव नहीं है। देश में जितने भी प्रसिद्ध साहित्यकार हुये हैं, उनकी रचनाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की झलक देखने को मिलती है। नयी पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी से बेहतर होने का प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, फिल्मकार, कवि एवं शायर गौहर रजा ने आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में व्यक्त किये।दुर्ग। उत्कृष्ट साहित्य के बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण संभव नहीं है। देश में जितने भी प्रसिद्ध साहित्यकार हुये हैं, उनकी रचनाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की झलक देखने को मिलती है। नयी पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी से बेहतर होने का प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, फिल्मकार, कवि एवं शायर गौहर रजा ने आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में व्यक्त किये। दुर्ग। उत्कृष्ट साहित्य के बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण संभव नहीं है। देश में जितने भी प्रसिद्ध साहित्यकार हुये हैं, उनकी रचनाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की झलक देखने को मिलती है। नयी पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी से बेहतर होने का प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, फिल्मकार, कवि एवं शायर गौहर रजा ने आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में व्यक्त किये।गौहर रजा आज महाविद्यालय के हिन्दी विभाग तथा आईक्यूएसी सेल के तत्वावधान में प्रभाकर चौबे फाउण्डेशन रायपुर के सहयोग से आयोजित आमंत्रित व्याख्यान दे रहे थे। नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एण्ड डेव्हलपमेंट स्टडीज नई दिल्ली के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक एवं राज्य सभा टीवी के विज्ञान कार्यक्रमों के प्रचारक गौहर रजा ने बड़ी संख्या में उपस्थित प्राध्यापकों, शहर के गणमान्य नागरिकों, साहित्यकारों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी विषय पर चिंतन करना आवश्यक है। हम अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए किसी भी कारण को भगवान की इच्छा कहकर उसकी सत्यता तक नहीं पहुंचना चाहते।
हमारी युवा पीढ़ी का यह दायित्व है कि समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष कर समाज में जागरूकता फैलाए। साइंस में कोई चमत्कार नहीं होता। लायब्रेरी साइंस के चन्द्रहास साहू, राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. शकील हुसैन एवं प्रसिद्ध साहित्यकार शरद कोकास के सवालों के भी उन्होेंने जवाब दिये।
श्री गौहर रजा का स्वागत प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह, डॉ. अभिनेश सुराना, डॉ. प्रशंत श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम के संचालक डॉ. जय प्रकाश साव ने अपने उद्बोधन में कहा कि तथ्यों को क्रमबद्ध एवं तार्किक तरीके से सीखना ही वैज्ञानिक चेतना है। मिथकों को तोड़ना अत्यंत आवश्यक है। किसी भी घटना के बारे में विचार-विमर्ष आवश्यक है। डॉ. जय प्रकाश साव ने कहा कि हमें नेहरू के तार्किक समाज एवं अज्ञेय के आलोचक समाज को समझना होगा। आज की नई पीढ़ी में विश्लेषण क्षमता का अभाव है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने धर्म एवं विज्ञान को सिक्के के दो पहलू निरूपित करते हुए कहा कि इन दोनों में सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक है। अन्यथा किसी भी समाज की उन्नति नहीं हो सकती। डॉ. सिंह ने कक्षाओं के दौरान एकपक्षीय संवाद पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि कक्षा में शिक्षक के साथ-साथ विद्यार्थियों की भी उतनी ही सहभागिता होनी चाहिए। डॉ. सिंह ने गौहर रजा के व्याख्यान को महाविद्यालय के विद्याथिर्यों हेतु मील का पत्थर करार दिया। व्याख्यान के अंत में हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनेश सुराना ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर प्रभाकर चौबे फाउण्डेशन रायपुर के अध्यक्ष जीवेश चौबे भी उपस्थित थे।

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