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गर्ल्स कॉलेज में ओडिशी नृत्य हमारी धरोहर पर सोनाली मोहंती की प्रस्तुति

Oct 10, 2019

दुर्ग। शासकीय डॉ वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं रजा फाउंडेशन नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में शास्त्रीय शैलियों की श्रृंखला ‘आरंभ’ के अंतर्गत बंगलुरू की सुप्रसिद्ध युवा कलाकार सोनाली मोहंती का ने ओडिशी नृत्य की प्रस्तुति दी। सोनाली मोहंती अपनी गुरू मधुलिता महापात्रा के बंगलुरू स्थित नृत्यांतर एकेडमी में शिक्षा प्राप्त कर रही है। वे राष्ट्रीय स्तर के मंचों में प्रस्तुति दे चुकी है।दुर्ग। शासकीय डॉ वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं रजा फाउंडेशन नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में शास्त्रीय शैलियों की श्रृंखला ‘आरंभ’ के अंतर्गत बंगलुरू की सुप्रसिद्ध युवा कलाकार सोनाली मोहंती का ने ओडिशी नृत्य की प्रस्तुति दी। सोनाली मोहंती अपनी गुरू मधुलिता महापात्रा के बंगलुरू स्थित नृत्यांतर एकेडमी में शिक्षा प्राप्त कर रही है। वे राष्ट्रीय स्तर के मंचों में प्रस्तुति दे चुकी है। दुर्ग। शासकीय डॉ वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं रजा फाउंडेशन नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में शास्त्रीय शैलियों की श्रृंखला ‘आरंभ’ के अंतर्गत बंगलुरू की सुप्रसिद्ध युवा कलाकार सोनाली मोहंती का ने ओडिशी नृत्य की प्रस्तुति दी। सोनाली मोहंती अपनी गुरू मधुलिता महापात्रा के बंगलुरू स्थित नृत्यांतर एकेडमी में शिक्षा प्राप्त कर रही है। वे राष्ट्रीय स्तर के मंचों में प्रस्तुति दे चुकी है।इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि रजा फाउंडेशन द्वारा कला और संस्कृति की धरोहर को समृद्ध करने का बीड़ा उठाया है, और हमारा महाविद्यालय उनकी इस संकल्पना का माध्यम एवं वाहक बना है। यह इस अंचल के लिये गौरव और उपलब्धि है।
अपनी प्रस्तुति का आरंभ सोनाली ने मंगलाचरण से किया। अपनी प्रदर्शनकला की अभिव्यक्ति के साथ-साथ उन्होनें छात्राओं से ओड़िसी नृत्य में मुखपरक अभिव्यक्तियों, हस्त मुद्राओं और शारीरिक भंगिमाओं की विशेषता को बताया। उन्होनें पल्लवी और अभिनय का बहुत ही मोहक प्रदर्शन किया। नृत्य विभाग की छात्राओं को मुद्राओं के नाम एवं नमस्क्रिया प्रायोगिक तौर पर सिखाया। बड़ी संख्या में उपस्थित छात्राओं ने बड़े ही उत्साह से उनकी भंगिमाओं और मुद्राओं का अभ्यास किया। सुश्री सोनाली ने त्रिभंगी मुद्रा एवं मयूर गति की विशेषता एवं अंग संचालन में उसका महत्व बताया तथा कहा कि ओड़िसी नृत्य हमारी धरोहर है। इसे सहेजकर रखना हम सबका दायित्व है।
नृत्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. ऋचा ठाकुर ने कहा कि महाविद्यालय में शास्त्रीय नृत्य शैली भरतनाट्यम की शिक्षा दी जाती है। ओड़िसी नृत्य व प्रदर्शन से छात्रायें मुद्राओं, भंगिमाओं का तुलनात्मक विभेद समझ पाएंगी।
कार्यक्रम में उपस्थित जनभागीदारी अध्यक्ष श्रीमती प्रीति मिश्रा ने कहा कि इस तरह के आयोजन बार-बार कराये जाने चाहिये। जिससे छात्रायें ऐसी पारंपरिक धरोहर के प्रति रूचि दिखा सकें और उनमें सीखने की इच्छा जागृत हो सके। अंत में आभार प्रदर्शन योगेन्द्र त्रिपाठी संयोजक आरंभ श्रृंखला ने किया।

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