• Fri. Mar 29th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

बेटियों को बनाएं आत्मनिर्भर, उन्हें भी लेने दें अपने फैसले : डॉ सोनाली

Oct 11, 2019

स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल में ‘वर्ल्ड डे फॉर गर्ल चाइल्ड’ का आयोजन

भिलाई। स्वयंसिद्धा की संचालक एवं स्वच्छता की ब्रांड अम्बेसेडर डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने आज कहा कि बेटियों को केवल बचाने और पढ़ाने की नहीं, बल्कि उन्हें भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए वातावरण दिए जाने की जरूरत है। आत्मनिर्भर बेटियां अपने फैसले खुद लेने में सक्षम होंगी तो शेष समस्याओं का निराकरण भी अपने आप हो जाएगा। वे स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित विश्व कन्या शिशु दिवस समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं।भिलाई। स्वयंसिद्धा की संचालक एवं स्वच्छता की ब्रांड अम्बेसेडर डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने आज कहा कि बेटियों को केवल बचाने और पढ़ाने की नहीं, बल्कि उन्हें भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए वातावरण दिए जाने की जरूरत है। आत्मनिर्भर बेटियां अपने फैसले खुद लेने में सक्षम होंगी तो शेष समस्याओं का निराकरण भी अपने आप हो जाएगा। वे स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित विश्व कन्या शिशु दिवस समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं।Girl-Child-Day भिलाई। स्वयंसिद्धा की संचालक एवं स्वच्छता की ब्रांड अम्बेसेडर डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने आज कहा कि बेटियों को केवल बचाने और पढ़ाने की नहीं, बल्कि उन्हें भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए वातावरण दिए जाने की जरूरत है। आत्मनिर्भर बेटियां अपने फैसले खुद लेने में सक्षम होंगी तो शेष समस्याओं का निराकरण भी अपने आप हो जाएगा। वे स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित विश्व कन्या शिशु दिवस समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं।डॉ सोनाली ने कहा कि अधिकांश महिलाएं विवाह के बाद पढ़ाई लिखाई सहित अपने सभी शौकों को तिलांजलि दे देती हैं। वे केवल हाउसवाइफ बनकर रह जाती हैं। धीरे धीरे ऐसा होता है कि पति तो क्या, बच्चों की नजर में भी उनकी राय की कोई कीमत नहीं रह जाती। इसलिए महिलाओं को चाहिए कि वे विवाह के बाद भी न केवल अपने हुनर को जीवित रखें बल्कि उन्हें तराशती रहें। इससे परिवार की नजर उनका सम्मान बना रहेगा।
आरंभ में स्पर्श के मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट डॉ संजय गोयल ने कहा कि आज भी कन्या शिशु के जन्म पर घर वालों का चेहरा उतर जाता है। उन्होंने अपने पेशेवर जीवन में 15 हजार से ज्यादा प्रसव कराए हैं पर ऐसे लोग बहुत कम होते हैं तो बेटी के जन्म पर भी उतना ही खुश होते हैं जितना बेटे के जन्म पर। यह स्थिति बदलनी चाहिए।
प्रसिद्ध डायबेटोलॉजिस्ट डॉ शिवेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि बेटियां ही भविष्य के समाज को संस्कारित करती हैं इसलिए बेटियों के संस्कारों पर विशेष बल दिया जाता रहा है। पर समय के साथ इसमें विकृतियां आई हैं जिसे दूर करना समाज हित में होगा।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए स्पर्श के मेडिकल डायरेक्टर डॉ एपी सावंत ने कहा कि उनके परिवार में कभी बेटे या बेटी का फर्क नहीं किया गया। वे स्वयं दो बेटियों के पिता हैं और बेटे की कमी कभी खली नहीं। उन्होंने बेटियों को ही अच्छे से तालीम दी और आज दोनों बेटियां अपने पतियों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही हैं।
भिलाई। स्वयंसिद्धा की संचालक एवं स्वच्छता की ब्रांड अम्बेसेडर डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने आज कहा कि बेटियों को केवल बचाने और पढ़ाने की नहीं, बल्कि उन्हें भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए वातावरण दिए जाने की जरूरत है। आत्मनिर्भर बेटियां अपने फैसले खुद लेने में सक्षम होंगी तो शेष समस्याओं का निराकरण भी अपने आप हो जाएगा। वे स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित विश्व कन्या शिशु दिवस समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं।इस अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने कई महत्वपूर्ण संदेश दिये। प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार के अलावा दो सांत्वना पुरस्कार प्रदान किये गये। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ नम्रता भुसारी ने किया। इस अवसर पर डॉ दीपक बंसल, डॉ आशीष जैन, जिला मलेरिया अधिकारी डॉ एसके मंडल, डॉ सुगम सावंत, सहित अस्पताल परिवार के सदस्य एवं मरीज तथा उनके परिजन भी उपस्थित थे।

Leave a Reply