भिलाई। माइलस्टोन अकादमी का साइंस कार्निवाल एक बेहद रोचक एवं उपयोगी आयोजन सिद्ध हुआ। बच्चों ने पेरेन्ट्स को मॉडल द्वारा समझाया कि चुम्बकीय पटरियों पर ट्रेन कैसे दौड़ाई जाती है। पेरेन्ट्स के साथ प्लेनेटोरियम में बैठकर उन्होंने ग्रहों और तारों की गति और स्थिति को भी देखा समझा। उन्होंने वर्किंग मॉडल्स द्वारा यह समझाने की भी कोशिश की कि रसोई से लेकर खेल के मैदान तक हर जगह साइंस का कोई न कोई सिद्धांत काम कर रहा होता है। फर्क केवल नजरिये का होता है। माइल स्टोन की डायरेक्टर डॉ ममता शुक्ला ने बताया कि कार्निवाल का आयोजन बच्चों को साइंस के करीब लाने और उनके आसपास हो रही गतिविधियों में छिपे विज्ञान से उन्हें जोड़ने के लिये किया गया। अकादमिक विज्ञान जहां बच्चों को डराता है वहीं प्रायोगिक विज्ञान उन्हें वैज्ञानिक नजरिया देता है। उनकी जिज्ञासा को कुरेदता है और सवाल पूछने का साहस देता है। आगे चलकर वैज्ञानिक बनने के लिए यह दृष्टिकोण आवश्यक होता है।
प्रवेश द्वार के पास ही एक इंफ्लेटेड प्लेनेटोरियम लगाया गया था। इसमें बच्चे अपने पेरेन्ट्स के साथ बैठकर विभिन्न तारा समूहों एवं ग्रहों की चाल एवं स्थिति को समझ रहे थे। इससे आगे का दृश्य किसी मेले जैसा था। अन्तर केवल इतना था यहां स्कूली बच्चे अपने मॉडल्स द्वारा वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझा रहे थे। प्रेशर कुकर, रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव अवन, टोस्टर जैसे रसोई से जुड़े उपकरणों से जुड़े विज्ञान को बच्चे परिभाषित कर रहे थे।
प्रकाश से जुड़ी कुछ रोचक गतिविधियों द्वारा जहां बच्चों ने इसके सिद्धांतों को स्पष्ट किया वहीं इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रानिक उपकरणों की कार्यपद्धति को भी मॉडल द्वारा स्पष्ट किया। कोई डायनामो द्वारा बिजली बना रहा था तो कोई वस्तुओं के पानी में डूबने या तैरने का रहस्य समझा रहा था। एक स्टाल ऐसा भी था जहां खूबसूरत बच्चे हूलाहूप खेल रहे थे। बच्चों ने बताया कि कमर के इर्दगिर्द तेजी से चक्कर काटता हूलाहूप का रिंग क्यों नहीं गिरता।
सर्वाधिक रोचक वह स्टाल था जहां एक पेसिंल हवा में तैर रही थी। यह मैग्नेटिक लेविटेशन था। चुम्बर के समान ध्रुव एक दूसरे को परे धकेलते हैं। इसी सिद्धांत के आधार पर चुम्बकीय पटरियों पर ट्रेनें दौड़ती हैं। बच्चों ने बड़े ही रोचक अंदाज में इसकी जानकारी दर्शकों को दी। चुम्बक की मदद से फिशिंग, मेज आदि खेलों के द्वारा भी इसकी विभिन्न प्रॉपर्टीज के बारे में बताया गया।
केबीसी की तर्ज पर यहां एक साइंस क्विज का भी आयोजन किया गया था। ‘कौन बनेगा साइंटिस्ट’ नामक इस खेल में कम्प्यूटर द्वारा ठीक केबीसी फार्मेट में सवाल पूछे जा रहे थे। इस स्टाल पर पेरेन्ट्स ने भी अपने ज्ञान को आजमाया। सेल्फी जोन में ‘पिक्चर विथ कलाम’ थीम पर फोटो खींचने की सुविधा था। बोलिंग मशीन, टग आॅफ वार, हवाई झूला, कुम्हार चाक, फोटोग्राफिक इल्यूजन आदि के साथ यह कार्निवाल एक बेहद सफल आयोजन साबित हुआ।
कार्निवाल के मुख्य अतिथि के रूप में महापौर एवं भिलाई विधायक देवेंद्र यादव ने कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने बच्चों की प्रतिभा और ज्ञान की गहराई की सराहना की। उन्होंने उम्मीद जताई कि माइलस्टोन परिवार के इस प्रयास के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।
साइंस कार्निवाल का आयोजन माइलस्टोन अकादमी के शिक्षकों एवं बच्चों ने अकादमिक डायरेक्टर शुभम शुक्ला के सानिध्य में किया। इस कार्यक्रम को शैल यादव द्वारा प्रदर्शित किया गया एवं संगीता सिंह द्वारा साजसज्जा एवं अलंकृत किया गया। सहयोगियों में वामिका फिरदौस, निकहत परवीन, अंजु वर्मा, दीपा चंदानी, जरीन खान, लीना मनोज, स्मृति अग्रवाल, ऐश्वर्या जोशी, वी. सविता, अमित रॉय चौधरी, महेश कुमार, दिलेश्वरी साहू, अमरिन सिद्दीकी, उज्जवला, अर्चना सोनी, फलक चौधरी, आभा संजय, शादमा परवीन, सोमेन्द्र फड़के शामिल थे।
Nice way to teach science and make the subject interesting for students. Great job done.