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माइलस्टोन एकाडेमी की शिक्षिकाओं ने 25 मिनट में दी रामकथा की अद्भुत प्रस्तुति

Oct 5, 2019

भिलाई। माइलस्टोन जूनियर की शिक्षिकाओं ने 25 मिनट में पूरी रामकथा की खूबसूरत प्रस्तुति दी। प्रकाश एवं ध्वनि संयोजन से दी गई इस प्रस्तुति में श्रीराम के जन्म से लेकर उनके विवाह, वनगमन, लंका दहन, रावणवध एवं अयोध्या वापसी की पूरी कथा का मंचन किया गया। श्रीराम की भूमिका जहां बिनी एवं आबिदा ने वहीं माता सीता की भूमिका नीता और जीनत ने निभाई। अन्नू और तरन्नुम ने लक्ष्मण का किरदार निभाया।भिलाई। माइलस्टोन जूनियर की शिक्षिकाओं ने 25 मिनट में पूरी रामकथा की खूबसूरत प्रस्तुति दी। प्रकाश एवं ध्वनि संयोजन से दी गई इस प्रस्तुति में श्रीराम के जन्म से लेकर उनके विवाह, वनगमन, लंका दहन, रावणवध एवं अयोध्या वापसी की पूरी कथा का मंचन किया गया। श्रीराम की भूमिका जहां बिनी एवं आबिदा ने वहीं माता सीता की भूमिका नीता और जीनत ने निभाई। अन्नू और तरन्नुम ने लक्ष्मण का किरदार निभाया।Ramayana-Milestones Manthara-Kaikeyi-Milestone भिलाई। माइलस्टोन जूनियर की शिक्षिकाओं ने 25 मिनट में पूरी रामकथा की खूबसूरत प्रस्तुति दी। प्रकाश एवं ध्वनि संयोजन से दी गई इस प्रस्तुति में श्रीराम के जन्म से लेकर उनके विवाह, वनगमन, लंका दहन, रावणवध एवं अयोध्या वापसी की पूरी कथा का मंचन किया गया। श्रीराम की भूमिका जहां बिनी एवं आबिदा ने वहीं माता सीता की भूमिका नीता और जीनत ने निभाई। अन्नू और तरन्नुम ने लक्ष्मण का किरदार निभाया।माइल स्टोन सोसायटी के चेयरमैन डॉ सुधीर शुक्ला कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। आरंभ में माइल स्टोन एकाडेमी की डायरेक्टर डॉ ममता शुक्ला ने बताया कि रामकथा को अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग भाषा में प्रस्तुत किया। इसे जितनी भी बार सुनो, प्यास मिटती नहीं बल्कि और बढ़ती चली जाती है। जब टीवी पर धारावाहिक रामायण आता तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था। पर वक्त बदला है। पहले जहां लोग कई-कई सप्ताह चलने वाली रामलीला देखते थे वहीं अब इतना वक्त निकाल पाना मुश्किल है। इसलिए 25 मिनट में पूरी रामकथा को प्रस्तुत करने की कोशिश की गई। उल्लेखनीय है कि रामकथा की इस अद्भुत प्रस्तुति की कल्पना एवं निर्देशन स्वयं उन्होंने ही किया है।
प्रस्तुति का आरंभ श्रीराम के जन्म से होता है। श्रीराम का ज्ञानार्जन के लिए आश्रम जाना, सीता के स्वयंवर में शामिल होना, मंथरा द्वारा रानी का कान भरा जाना, राम के बनवास की मांग पर राजा दशरथ का मूर्च्छित हो जाना, श्रीराम का भ्राता लक्ष्मण एवं सीता के साथ वन की ओर प्रस्थान करना, अहिल्या की शापमुक्ति, केवट-राम संवाद, वन में सीता का हरण, शोक विह्वल श्रीराम का विलाप, किष्किंधा में सुग्रीव को राजा बनाने से लेकर लंका दहन, श्रीराम सेतु का निर्माण, लक्ष्मण का मूर्च्छित हो जाना, श्री हनुमान का संजीवनी लेकर आना, रावण वध और फिर अंत में श्रीरामदरबार का दृश्य लोगों को भावविभोर कर गया।
बिना किसी संवाद के दी गई इस खूबसूरत प्रस्तुति के नेपथ्य में श्रीरामचरित मानस के सस्वर, संगीतमय पाठ के साथ ही कथा धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। मंच पर अलग अलग दायरे में रोशनी के द्वारा दृश्य उभरते हैं। रामकथा लोगों को अपने साथ बहा ले जाती है। कभी लोग भावुक होकर आंखें पोंछते हुए दिखते हैं तो कभी आल्हादित होकर खिल उठते हैं। सीता हरण के बाद जब राम विलाप करते हुए पूरे मंच पर यहां वहां भटकते हैं तो दर्शक भी अपने आंसू नहीं रोक पाते।
अंतिम दृश्य में जब श्रीराम दरबार सजता है तो दर्शक अपने-अपने स्थानों पर खड़े हो जाते हैं, आरती की थाली आती है और लोग अपने स्थान पर ही एक-एक कर श्रीराम की आरती उतारते हैं।
भिलाई। माइलस्टोन जूनियर की शिक्षिकाओं ने 25 मिनट में पूरी रामकथा की खूबसूरत प्रस्तुति दी। प्रकाश एवं ध्वनि संयोजन से दी गई इस प्रस्तुति में श्रीराम के जन्म से लेकर उनके विवाह, वनगमन, लंका दहन, रावणवध एवं अयोध्या वापसी की पूरी कथा का मंचन किया गया। श्रीराम की भूमिका जहां बिनी एवं आबिदा ने वहीं माता सीता की भूमिका नीता और जीनत ने निभाई। अन्नू और तरन्नुम ने लक्ष्मण का किरदार निभाया।इस प्रस्तुति में श्रीराम की भूमिका जहां बिनी एवं आबिदा ने वहीं माता सीता की भूमिका नीता और जीनत ने निभाई। अन्नू और तरन्नुम ने लक्ष्मण का किरदार निभाया। आकांक्षा हनुमान की भूमिका में दिखी तो पूर्णिमा ने रावण और अहिल्या का जीवंत अभिनय किया। वहीं वर्षा ने दशरथ, जनक, विभीषण, शत्रुघ्न और इंद्रजीत का, मेघा परशुराम, केवट और गिद्धराज का, शरावनी ने कौशल्या का, रीनू ने भरत, सुग्रीव का, हर्षा ने शबरी, सूर्पनखा, नगरवासी और वानर, अनीता ने कैकेयी और श्रुतिकीर्ति का, मंजू ने मंथरा, सम्पाती और राक्षस का, नलिनी ने विश्वामित्र, गुरु वशिष्ठ और राक्षस का, नेहा ने सुमित्रा, माण्डवी, नगरवासी और वानर का, बालेश्वरी ने हिरणी, नगरवासी और वानर का किरदार निभाया। स्कूल की प्रधानाचार्य श्रीमती हेमा गुप्ता ने इस नाटक को मूर्त रूप प्रदान करने में अथक परिश्रम किया है। माइलस्टोन की निदेश्क डॉ ममता शुक्ला ने 25 मिनट के इस अद्भुत मंचन का निर्देशन किया है।

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