भिलाई। जिस गति से हमारे परिधान पुराने होते हैं, उससे भी कहीं अधिक तेजी से हम नए परिधान खरीदते हैं। परिणाम, आलमारियों में, दीवानों-पेटियों में बंद कपड़े – जिन्हें हम अकसर भूल जाते हैं। यदि इन कपड़ों को हम जरूरतमंदों के लिए दान कर दें, तो बदले में हमारी झोली खुशियों से भर सकती है। कुछ ऐसा ही कर रहे हैं ‘लिबास’ के युवा। वे बेकार पड़े परिधानों को एकत्र करते हैं और फिर इच्छुक लोगों को भेंट करते हैं। आगामी शनिवार को इन युवाओं की दीपावली की मिठाई बांटने की भी योजना है। इसमें भी जन सहयोग अपेक्षित है। माँ शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े ‘लिबास’ प्रकल्प का आरंभ 26/5, नेहरू नगर पश्चिम में किया गया था। अपने प्रेरणा स्रोत डॉ संतोष राय, सीए प्रवीण बाफना, डॉ मिट्ठू आदि को बताते हुए काजल, प्रीति, साबेया, अक्षव, किशन, यामिनी, पारस, अविनाश, अनुष्का एवं शुभम ने बताया कि लोगों को कुछ दे पाने का, उनके लिए कुछ करने यह अवसर मिलना उनके लिए सौभाग्य है। यह अवसर हमें उन लोगों ने दिया है जो पुराने वस्त्रों को खुशी-खुशी लेते हैं और उपयोग करते हैं। हम उनके ऋणी हैं।
उन्होंने बताया कि ‘लिबास’ प्रकल्प को पुराने वस्त्र देना सरल है। 8109702156 पर फोन करना है और अपना पता व्हाट्सअप करना है। हमारी टीम का कोई न कोई सदस्य आपके पास जाकर वस्त्र ले आएगा। प्रत्येक शनिवार को शाम 4 बजे से 6 बजे के बीच ‘लिबास’ कार्यालय में लोग जुटते हैं। युवाओं की यह टोली उनका नाम पता आधार नंबर लिखकर उन्हें उनकी पसंद का वस्त्र प्रदान करती है। एक व्यक्ति को महीने में एक ही बार वस्त्र प्रदान किया जाता है।
‘लिबास’ टीम ने बताया कि सुविधा के लिए हमने हितग्राहियों को वर्गों में बांटा है। किसी शनिवार को बच्चों को, तो किसी शनिवार को महिलाओं, किसी और शनिवार पुरुषों को वस्त्र दिये जाते हैं। त्यौहारी सीजन में इस नियम को शिथिल किया गया है। पिछले शनिवार को जहां 84 लोगों ने यहां से परिधान प्राप्त किए वहीं इस शनिवार को खबर लिखे जाने तक 50 से अधिक लोग वस्त्र प्राप्त कर चुके थे और लंबी कतार तब भी लगी थी।