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साइंस कालेज में अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र का उद्घाटन

Oct 17, 2019

दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में वाल्मीकि जयंती मनाने के साथ अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण का शुभारंभ किया गया। जिसमें छात्र संस्कृत में सम्भाषण करना सीखेगें। महर्षि वाल्मिकि संस्कृत साहित्य के आदि कवि कहे जाते है। जिन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह, विषिष्ट अतिथि हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनेष सुराना एवं डॉ. शंकर निषाद थे।दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में वाल्मीकि जयंती मनाने के साथ अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण का शुभारंभ किया गया। जिसमें छात्र संस्कृत में सम्भाषण करना सीखेगें। महर्षि वाल्मिकि संस्कृत साहित्य के आदि कवि कहे जाते है। जिन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह, विषिष्ट अतिथि हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनेष सुराना एवं डॉ. शंकर निषाद थे। प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने संस्कृत के विषय में छात्र-छात्राओं को बहुत अच्छी जानकारी दी, उन्होंने कहा कि संस्कृत रोजगार की भाषा है। संस्कृत पढ़कर षिक्षक, सेना में धर्म षिक्षक, आकाषवाणी समाचार, प्रस्तोता, योग षिक्षक बना जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि संस्कृत के मंत्रों का विभिन्न शारीरिक मानसिक रोगों में प्रभावषाली है, जो रोगों को दूर करने में सहायक है। डॉ. अभिनेष सुराना ने संस्कृत भाषा को सबसे प्राचीन और संस्कृत के साहित्य को समृध्द बताते हुए सारी भाषाओं की जननी बताया। सारी भाषायें संस्कृत भाषा से ही निकली है। अत: हमें संस्कृत का अध्ययन अवष्य करना चाहिए। डॉ. शंकर निषाद ने संस्कृत को प्राचीन विरासत बताते हुए इस पर विद्यमान ज्ञान राषि को जानने व प्राप्त करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल कमर्काण्ड की भाषा नही है अपितु इसमें ज्ञान विज्ञान भी है।
संस्कृत के विभागाध्यक्ष प्रो. जनेन्द्र कुमार दीवान वाल्मीकि जयंती पर उन्हें याद करते हुए उनके रामायण महाकाव्य को समाज के लिए आदर्ष आदि काव्य बताते हुए उन्हें नमन किया तथा कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का आभार प्रदर्षन करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत प्रषिक्षक अमित मिश्र ने किया।
इस अवसर पर डॉ. षिखा अग्रवाल, डॉ. कृष्णा चटर्जी, डॉ. अंषुमाला चन्दनगर, डॉ. सविता डहरिया एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राऐं उपस्थित रहे।

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