• Thu. Mar 28th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

साहित्य के माध्यम से जीवन को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है – डॉ. शार्वा

Oct 27, 2019

दुर्ग। साहित्य परिषद साहित्य के विद्यार्थियों के लिए विमर्श का एक बेहतर मंच है। इसके माध्यम से वे साहित्य मनीषियों की जयंती या पुण्यतिथि पर उनका स्मरण कर सकते हैं। उक्त विचार शास. वि. या. ता. स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के स्नातकोत्तर हिन्दी परिषद के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. कोमल सिंह शार्वा (प्राचार्य शास. भानुप्रताप देव स्नातकोतर महाविद्यालय, कांकेर) ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि साहित्य के माध्यम से आज के जीवन को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।  डॉ. शार्वा ने ‘पत्रकारिता आज का समय और पत्रकारिता का स्वरूप’ विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया।दुर्ग। साहित्य परिषद साहित्य के विद्यार्थियों के लिए विमर्श का एक बेहतर मंच है। इसके माध्यम से वे साहित्य मनीषियों की जयंती या पुण्यतिथि पर उनका स्मरण कर सकते हैं। उक्त विचार शास. वि. या. ता. स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के स्नातकोत्तर हिन्दी परिषद के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. कोमल सिंह शार्वा (प्राचार्य शास. भानुप्रताप देव स्नातकोतर महाविद्यालय, कांकेर) ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि साहित्य के माध्यम से आज के जीवन को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। दुर्ग। साहित्य परिषद साहित्य के विद्यार्थियों के लिए विमर्श का एक बेहतर मंच है। इसके माध्यम से वे साहित्य मनीषियों की जयंती या पुण्यतिथि पर उनका स्मरण कर सकते हैं। उक्त विचार शास. वि. या. ता. स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के स्नातकोत्तर हिन्दी परिषद के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. कोमल सिंह शार्वा (प्राचार्य शास. भानुप्रताप देव स्नातकोतर महाविद्यालय, कांकेर) ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि साहित्य के माध्यम से आज के जीवन को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। डॉ. शार्वा ने ‘पत्रकारिता आज का समय और पत्रकारिता का स्वरूप’ विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा एक समय पत्रकारिता की भूमिका मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाने में सहयोगी के रूप में थी, लेकिन बाजारवाद के इस युग में वह मूल्यहीनता की ओर अग्रसर है। आज भारतीय पत्रकारिता अपने मूललक्ष्य से कोसों दूर जा चुकी है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आरएन सिंह ने कहा – परिषद विचारों की अभिव्यक्ति का एक अच्छा मंच है यह विद्यार्थियों को अवसर उपलब्ध कराता है। विद्यार्थी इसका लाभ उठायें। कार्यक्रम शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ परिषद के पदाधिकारियों ने अतिथियों का स्वागत किया। विभाग के अध्यक्ष डॉ. अभिनेष सुराना ने अतिथियों का परिचय देते हुये परिषद के पदाधिकारियों की घोषणा की तथा परिषद के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
परिषद अध्यक्ष अनामिका असाटी ने ‘मातृ भाषा हिन्दी’ शीर्षक कविता का पाठ किया। सचिव वंदना नायक ने बंगला की सुप्रसिद्ध रचनाकार महाश्वेता देवी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर समीक्षात्मक आलेख वाचन किया। मोहित माइकल बी, भूपेश साहू एवं जितेन्द्र ने सस्वर छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुत किये व छात्र अमित टण्डन ने नेहरू जी और दिनकर पर एक रोचक संस्मरण सुनाया। कहते है नेहरू जी मंच पर चढ़ते समय फिसल गये उनके पीछे खड़े दिनकर जी ने उन्हें संभाल लिया। बाद में नेहरू जी ने धन्यवाद दिया तब दिनकर जी ने चुटकी लेते हुए कहा – जब-जब राजनीति का पैर फिसलेगा साहित्य उसे संभाल लेगा।
कार्यक्रम में हिन्दी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. शंकर निषाद, डॉ. बलजीत कौर, डॉ. जय प्रकाश, डॉ. थान सिंह वर्मा, डॉ. कृष्णा चटर्जी, डॉ. रजनीश उमरे, डॉ. सरिता मिश्रा एवं अथर्शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. शिखा अग्रवाल के अलावा बड़ी संख्या में साहित्य के विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कृष्णा चटर्जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शंकर निषाद ने किया।

Leave a Reply