दुर्ग। शासकीय डॉ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्नातकोत्तर हिन्दी साहित्य विभाग के तत्वाधान में विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। सुप्रसिद्ध लेखक ओमप्रकाश बाल्मीकी की आत्मकथा जूठन पर डॉ. अम्बरीश त्रिपाठी का व्याख्यान हुआ। डॉ. त्रिपाठी ने इस पर चर्चा करते हुए कहा कि संस्मरण जीवनकथा साहित्य से भिन्न एक स्वतंत्र और महत्वपूर्ण गद्यविधा है। इसमें रचनाकार स्वयं अपने बारे में लिखता है। उन्होंने कहा कि लेखक के अनुसार शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है जिससे समृद्धि आती है और आर्थिक तरक्की से सम्मान में वृद्धि होती है। लेखक कहते है कि शिक्षा, चेतना का विकास करती है और इससे वैचारिक क्रांति आई है। आत्मकथा में लेखक ने शिक्षित होने पर मिली आर्थिक स्वायतत्ता की चर्चा की है।
विभागाध्यक्ष डॉ. यशेश्वरी धु्रव ने संचालन करते हुए कहा कि पुस्तक पढ़ना आवश्यक है। हमारे अंदर संवेदनाएँ है उसे पढ़कर उसके मर्म को समझने से एक दृष्टि विकसित होती है। उन्होनेंं बताया कि गद्य साहित्य में आत्मकथा का अपना अलग ही महत्व है। ये आत्मकथायें एक ओर हमें प्रेरणा देती है वहीं दूसरी ओर जीवन की विभिन्न संघषर्शील घटनाओं से परिचित कराती है। आत्मकथा में लेखक की शैली और उसके विचार हमारी संवेदनाओं को प्रभावित करते है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि हिन्दी साहित्य के विद्याथिर्यों को पठन-पाठन में अभिरूचि को बढ़ाना चाहिये। अच्छी किताब एक अच्छे मित्र की तरह है जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने एवं समझने को मिलता है।
कार्यक्रम में एम.ए. हिन्दी साहित्य की छात्राएं एवं प्राध्यापक मौजूद थे। आभार प्रदर्शन श्रीमती ज्योति भरणे ने किया।