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नैक की नई मूल्यांकन पद्धति महाविद्यालयों के लिए चुनौती – डॉ. आर.एन. सिंह

Nov 28, 2019

New method of NAAC evlauation is a challenge to collegesदुर्ग। नैक की नई मूल्यांकन पद्धति महाविद्यालयों के लिए चुनौती है। नैक ने प्रत्येक गतिविधि के लिए महाविद्यालय की भूमिका को उत्तरदायी ठहराया है। अत: प्रत्येक महाविद्यालय को छात्रहित में आयोजित होने वाली हर गतिविधि से संबंधित आंकड़ों का उचित संधारण करना चाहिए। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने महाविद्यालय के स्वामी विवेकानंद आॅडियो विजुअल हॉल में व्यक्त किये। डॉ. सिंह आज दुर्ग एवं बालोद जिले के लगभग एक दर्जन से अधिक महाविद्यालयों के प्राचार्यों, नैक प्रभारियों एवं आईक्यूएसी प्रभारियों को संबोधित कर रहे थे। महाविद्यालय के आईक्यूएसी द्वारा नैक की नई मूल्यांकन प्रणाली विषय पर आयोजित एक दिवसीय कायर्षाला में बोलते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि प्रत्येक महाविद्यालय को नैक मूल्यांकन कराना अनिवार्य है। सन् 2022 तक नैक मूल्यांकन नही कराने वाले महाविद्यालयों को यूजीसी द्वारा मिलने वाली ग्रांट प्राप्त करने का अधिकार नही होगा। उल्लेखनीय है कि डॉ. सिंह नैक की पीयर टीम के सदस्य है। अत: उन्होंने अपने दीर्घ अनुभव के आधार पर प्रतिभागियों को अनेक महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
इससे पूर्व कायर्षाला के आरंभ में आईक्यूएसी की संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने नैक मूल्यांकन के महत्व एवं मूल्यांकन के दौरान विभिन्न महाविद्यालयों में आने वाली समस्याओं पर प्रकाष डाला। डॉ. सलूजा ने बताया कि महाविद्यालय आईक्यूएसी अन्य महाविद्यालयों की सहायता हेतु सदैव तत्पर है। महाविद्यालय यूजीसी सेल की प्रभारी डॉ. अनुपमा अस्थाना ने अपने संबोधन में यूजीसी की महत्वकांक्षी परामर्ष योजना की जानकारी देते हुए बताया कि प्रारंभिक चरण में 10 ऐसे महाविद्यालयों को चुना गया है, जिनका नैक मूल्यांकन पहली बार होने जा रहा है अथवा वे नैक मूल्यांकन के द्वितीय/तृतीय चरण में प्रविष्ट हो रहे है। डॉ. अस्थाना ने देष के 137 चुनिंदा महाविद्यालयों में यूजीसी द्वारा साईंस कालेज, दुर्ग के चयन की जानकारी भी दी।
महाविद्यालय आईक्यूएसी सदस्य डॉ. प्रषांत श्रीवास्तव ने पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से नैक मूल्यांकन की नई पध्दति की विस्तार से जानकारी दी। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि नयी पध्दति में नैक द्वारा ई-मेल के माध्यम से नियमित छात्रों से सीधा संवाद किया जा रहा है। इसी प्रकार महाविद्यालयों द्वारा जमा की गयी रिपोर्ट के प्रत्येक आंकड़े की जांच डीवीवी के माध्यम से नैक द्वारा करायी जा रही है। महाविद्यालयों द्वारा भेजे गये किसी भी आंकड़े की गलत जानकारी होने पर नैक द्वारा संबंधित महाविद्यालय से स्पष्टीकरण भी मांगा जा रहा है। डॉ. श्रीवास्तव ने नैक द्वारा ग्रेड आबंटन की प्रक्रिया की भी विस्तार से जानकारी दी। विभिन्न महाविद्यालयों से आये प्रतिनिधि प्राध्यापकों ने डॉ. श्रीवास्तव से अनेक प्रष्न पूछकर अपनी जिज्ञासा का समाधान किया। कायर्षाला के दौरान प्रष्न पूछने वाले प्रतिभागी प्राध्यापकों में डॉ. संध्या मदनमोहन, डॉ. रक्षा सिंह, डॉ. आनंद विष्वकर्मा, डॉ. अलीम खान, डॉ. निसरीन हुसैन, डॉ. शध्दा चन्द्राकर, डॉ. निगार अहमद, डॉ. शोभा श्रीवास्तव, डॉ. ममता सिंह, डॉ. देषबंधु तिवारी, डॉ. दुगोप्रसाद राव, डॉ. श्वेता दवे, डॉ. निहारिका देवांगन, डॉ. हेमा कुलकर्णी, डॉ. दीप्ति चैहान, डॉ. सुनीता झा, डॉ. मोहना सुषांत पंडित, डॉ. पूणिर्मा सेठ, डॉ. संदीप जषवंत, डॉ. जी.ए. धनष्याम शामिल थे।
रूसा कार्यालय, रायपुर में विषेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, डॉ. जी.ए. धनष्याम ने कायर्षाला में आईक्यूएसी के गठन, कार्यप्रणाली एवं आईक्यूएसी के दायित्वों पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि नैक मूल्यांकन के प्रथम चरण के पश्चात् प्रत्येक वर्ष की समाप्ति पर महाविद्यालयों को नैक को एक्यूएआर भेजना आवष्यक है। जब तक महाविद्यालयों द्वारा 4 वर्षों के एक्यूएआर नैक को प्रेषित नही किए जाते तब तक महाविद्यालय का नैक मूल्यांकन संभव नही होगा। डॉ. धनष्याम ने एसएसआर को पूर्ण रूप से भरने हेतु आने वाली विभिन्न कठिनाईयों का निराकरण भी किया। कायर्षाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पद्मावती ने किया। महाविद्यालय के आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. जगजीत कौर सलूजा, डॉ. अनुपमा अस्थाना, डॉ. सोमाली गुप्ता, डॉ. पद्मावती, डॉ. प्रषांत श्रीवास्तव, डॉ. के.पद्मावती, डॉ. तरलोचन कौर, डॉ. संजू सिन्हा,डॉ. सतीष सेन आदि का कायर्षाला के आयोजन में उल्लेखनीय योगदान रहा। कायर्षाला के अंत में प्रतिभागी प्राध्यापकों ने फीडबैक प्रस्तुत करते हुए इस सारगर्भित आयोजन के लिए साईंस कालेज, दुर्ग की सराहना की।

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