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मेंडलीफ ने संस्कृत को बनाया था पीरियॉडिक टेबल का आधार : डॉ घोष

Nov 9, 2019

साइंस कॉलेज में आवर्तसारिणी की 150 वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम आयोजित

 दुर्ग। अंतर्विषयक अध्ययन वर्तमान समय की आवश्यकता है। इसमें सफलता की अपार संभावनाएं हैं। रसायन शास्त्र में मेंडलीफ की आवर्त सारिणी के निर्माण के दौरान वैज्ञानिक मेंडलीफ ने संस्कृत भाषा की सहायता ली थी। ये उद्गार पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के रसायन शास्त्री एवं बेसिक साइंस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. के.के. घोष ने आज शास. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में व्यक्त किये।दुर्ग। अंतर्विषयक अध्ययन वर्तमान समय की आवश्यकता है। इसमें सफलता की अपार संभावनाएं हैं। रसायन शास्त्र में मेंडलीफ की आवर्त सारिणी के निर्माण के दौरान वैज्ञानिक मेंडलीफ ने संस्कृत भाषा की सहायता ली थी। ये उद्गार पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के रसायन शास्त्री एवं बेसिक साइंस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. के.के. घोष ने आज शास. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में व्यक्त किये।  दुर्ग। अंतर्विषयक अध्ययन वर्तमान समय की आवश्यकता है। इसमें सफलता की अपार संभावनाएं हैं। रसायन शास्त्र में मेंडलीफ की आवर्त सारिणी के निर्माण के दौरान वैज्ञानिक मेंडलीफ ने संस्कृत भाषा की सहायता ली थी। ये उद्गार पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के रसायन शास्त्री एवं बेसिक साइंस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. के.के. घोष ने आज शास. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में व्यक्त किये।डॉ. घोष आज महाविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित मेंडलीफ की आवर्तसारिणी की 150 वीं वर्षगांठ विषय पर एक दिवसीय सिम्पोजिया में आमंत्रित व्याख्यान दे रहे थे। बड़ी संख्या में उपस्थित भिलाई -दुर्ग के प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए डॉ. घोष ने कहा कि विज्ञान के अध्ययन में कोई सीमा नही होती। विद्यार्थियों को केवल ईमानदारी एवं लगन के साथ किसी भी विषय की गहराई तक पहुंचना होगा।
मेंडलीफ की आवर्त सारिणी निर्माण एवं उसके इतिहास तथा मेंडलीफ के पूर्व अनेक वैज्ञानिकों द्वारा किये गये विभिन्न तत्वों की खोज संबंधी विस्तृत जानकारी डॉ. कल्लोल कुमार घोष ने अपने व्याख्यान में दी। गुरू शिष्य परंपरा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक रदरफोर्ड, चैडविक गुरू शिष्य थे। वैज्ञानिक शोधकार्यों में होने वाले विरोध पर विचार व्यक्त करते हुए डॉ. घोष ने कहा कि एकदम नई खोज को कोई भी व्यक्ति एकदम से स्वीकार नहीं कर पाता। यह मानव स्वभाव है। हमें आलोचना को स्वीकार कर और अच्छा शोध कार्य करने का प्रयत्न करना चाहिए। मेंडलीफ की आवर्त सारिणी में विद्यमान 118 तत्वों की खोज, उनके खोजकर्ता वैज्ञानिकों तथा उनके देशों की रोचक जानकारी भी डॉ. घोष ने दी। डॉ. घोष के रोचक व्याख्यान की हर वर्ग ने प्रशंसा की।
 दुर्ग। अंतर्विषयक अध्ययन वर्तमान समय की आवश्यकता है। इसमें सफलता की अपार संभावनाएं हैं। रसायन शास्त्र में मेंडलीफ की आवर्त सारिणी के निर्माण के दौरान वैज्ञानिक मेंडलीफ ने संस्कृत भाषा की सहायता ली थी। ये उद्गार पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के रसायन शास्त्री एवं बेसिक साइंस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. के.के. घोष ने आज शास. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में व्यक्त किये।इससे पूर्व कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का पुष्प गुच्छ से स्वागत करने वालों में डॉ. अनुपमा अस्थाना, डॉ. अल्का तिवारी, डॉ. अजय सिंह शामिल थे। अपने स्वागत भाषण में प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने रसायन विभाग के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि प्रत्येक स्नातकोत्तर विभाग में इस प्रकार के शोधपरक एवं सामान्य महत्व के विषयों पर कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए।
रसायन शास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. अनुपमा अस्थाना ने मेंडलीफ की आवर्त सारिणी के 150 वर्ष पूर्ण होने की विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता डॉ. कल्लोल कुमार घोष का परिचय दिया। रसायन विभाग के प्राध्यापक डॉ. अनिल कश्यप ने अतिथि को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। व्याख्यान के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अजय पिल्लई ने दिया।
इससे पूर्व व्याख्यान के आरंभ में रसायन शास्त्र विषय के स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्याथिर्यों ने आवर्त सारिणी का लाइव डेमो प्रस्तुत किया। बडे़ ही शिक्षाप्रद एवं आकर्षक अंदाज में छात्र-छात्राएं स्वयं बोर्ड लेकर एक एक तत्व बनकर खड़े थे। उन्होंने लाइव रूप में आवर्तसारिणी के विभिन्न तत्वों की विशेषताएं समझायी।
डॉ. घोष के व्याख्यान के पश्चात स्नातकोत्तर विद्यार्थियों एवं शोध छात्र-छात्राओं द्वारा पावर पाइंट प्रस्तुतिकरण आरंभ हुआ। इसके अलावा क्विज एवं पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी। श्रेष्ठ प्रस्तुतकर्ताओं को रसायन शास्त्र विभाग द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। निर्णायकों में शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा की डॉ. अरूणा साहू , भिलाई-3 कालेज के डॉ. दिलीप श्रीवास्तव एवं उतई महाविद्यालय के डॉ. पंकज सोनी शामिल थे। मौखिक पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण में आशीष देवांगन (साईंस कालेज), आकृति साहू (गर्ल्स कालेज) अंशी बघेल (सेंट थॉमस कालेज) ने प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय रहे। क्विज प्रतियोगिता में भिलाई महिला महाविद्यालय की रेणुका, दीप्ति, आकृति, नेहा प्रथम, द्वितीय दिग्विजय कालेज, राजनांदगांव की भूपेश कुमार, वेदप्रकाश, पप्पू साहू, अनुराग एवं तृतीय आरिफ, अजय वर्मा, यामिनी देवांगन, नरेन्द्र विष्वास रहे। पोस्टर प्रतियोगिता में शैलेन्द्र बाघमारे, दिग्विजय कालेज, ने प्रथम, द्वितीय अंशु बघेल एवं साथी सेंट थॉमस कालेज तथा राजसुधा एवं साथी साईंस कालेज, दुर्ग ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि कल्याण कालेज के प्राचार्य डॉ. वाय.आर.कटरे ने प्रतिभागी विद्यार्थियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आवर्त सारिणी से संबंधित विद्यार्थियों द्वारा किए गए पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण, क्विज स्पर्धा तथा पोस्टर अति प्रशंसनीय है। डॉ. कटरे ने आवर्त सारिणी को रसायन शास्त्र की नींव करार देते हुए विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे इसे गहराई तक समझने का प्रयत्न करें। डॉ. कटरे ने विजेताओं को पुरस्कृत भी किया। समापन समारोह का संचालन डॉ. अजय सिंह, डॉ. अल्का तिवारी ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनीता मैथ्यू ने किया।
इस अवसर पर रसायन शास्त्र विभाग के प्राध्यापकों के साथ-साथ सेंट थॉमस कालेज की डॉ. चंदा वर्मा, कामर्स के विभागाध्यक्ष डॉ. ओ.पी. गुप्ता, भूगर्भशास्त्र के डॉ. प्रशान्त श्रीवास्तव सहित सैकड़ों विद्यार्थी उपस्थित थे।

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