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वेदों में है सूक्ष्म जीवों से होने वाली बीमारी, औषधि एवं उपचार का उल्लेख : प्रो. दुबे

Nov 19, 2019

भिलाई महिला महाविद्यालय में ‘वैदिक माइक्रोबायोलॉजी’ पर हुआ व्याख्यान

Diseases arising out of microorganisms has been defined in the Vedas alsoभिलाई। भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा संचालित भिलाई महिला महाविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी एवं बॉटनी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक माइक्रोबायोलॉजी विषय पर गेस्ट लेक्चर का आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञ के रूप में गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के बॉटनी एवं माइक्राबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. आर.सी. दुबे उपस्थित थे। प्रो. दुबे ने उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि माइक्रोब्स का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथवर्वेद और सामवेद में भी किया गया है। वेदों में भी सूक्ष्म जीवों का जिक्र है तथा इनसे होनेवाली बीमारियों और इनके उपचार में होनेवाले तरीकों के संबंध में भी वेदों में पूर्व से ही उल्लेखित किया जा चुका है। वेदों में विभिन्न बीमारियों जैसे टीबी, पीलिया, छोटी माता, मॉम्स आदि के कारकों और इनसे बचाव के तरीकों का वर्णन भी निहित है। साथ ही बीमारियों तथा इनसे होनेवाली आपदाओं से निपटने विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों के इस्तेमाल की जानकारी का भी उल्लेख मौजूद है। हम प्रत्येक प्रकार के औषधि तंत्र की जानकारी वर्षों पूर्व लिखे गये इन वेदों से प्राप्त कर सकते हैं, आवश्यकता है इन वेदों को पढ़ने, जानने और इसे समझकर उनमें लिखे औषधि तंत्र को प्रयोग में लाने की। अपने सारगर्भित व्याख्यान के दौरान उन्होंने विभिन्न दोहों के माध्यम से छात्राओं का ज्ञानवर्धन किया साथ ही छात्राओं के जिज्ञासावश पूछे गये प्रश्नों का समाधान भी किया। उल्लेखनीय है कि इस विषय की महत्ता को देखते हुए गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में अब बॉटनी एवं माइक्राबायोलॉजी डिपाटर्मेंट के छात्रों को वेदों में निहित ज्ञान-विज्ञान भी पढ़ाया जाएगा। इस डिपाटर्मेंट में अब वैदिक माइक्रोबायोलॉजी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है। इसे एक यूनिट के रूप में बी.एससी. और एम.एससी. प्रथम वर्ष के छात्रों को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना प्रारंभ हो गया है। डॉ. दुबे ने बताया कि यह पाठ्यक्रम वैज्ञानिक दृष्टि से पूरे सूक्ष्म जैविकीय ब्रम्हाण्ड को जोड़ते हुए सृजित किया गया है। इसमें सूक्ष्म जीवों एवं ब्रम्हाण्ड की उत्पत्ति, सूक्ष्म जीवों की व्याप्ति एवं उनका वर्गीकरण, मानव स्वास्थ्य रोगकालिक कृमि, कृमि के द्वारा उत्पन्न व्याधियों तथा कृमियों के विनाश की वैज्ञानिकता पर चयनित वैदिक मंत्रों को हिन्दी और अंग्रेजी में अर्थ सहित उचित स्थानों पर चित्रों के माध्यम से मौलिक रूप से समझाया गया है।
इससे पूर्व उद्घाटन कार्यक्रम में अतिथि व्याख्यान हेतु आये प्रो. डॉ. आर.सी. दुबे का स्वागत करते हुए भिलाई महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल डॉ. संध्या मदनमोहन ने उपस्थित छात्राओं को इस प्रकार के उपयोगी व्याख्यान से शिक्षा लेने की बात कही तथा इसे छात्र जीवन में विषय संबंधित ज्ञानप्राप्ति की दृष्टि से जरूरी बताया। भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट के सचिव सुरेन्द्र गुप्ता ने छात्राओं के ज्ञानावर्धन हेतु समय-समय पर इस तरह के गेस्ट लेक्चर आयोजित करने पर जोर दिया ताकि इनका विषय से संबंधित नॉलेज अपडेट होता रहे और अपनी समृद्ध प्राचीन सभ्यता से भी जुड़ें रहें। कॉलेज की बायोटेक्नालॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. भावना पाण्डे ने डॉ. आर.सी. दुबे की उपलब्धियों के बारे में छात्राओं को अवगत कराते हुए आभार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में श्रीमती सबीहा नाज, सहायक प्राध्यापक बायोटेक्नालॉजी विभाग का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम में डॉ. रंजना साहू, सलमा मो. शफी, डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव, डॉ. वर्षा चंद्राकर, भाविका शर्मा, साधना गुप्ता, निकिता अवधिया आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एम.एससी. प्रथम सेमेस्टर बायोटेक्नोलॉजी की छात्रा संप्रति बनर्जी ने किया।

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