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2300 साल बाद फिर एक हुआ भारत, कश्मीर बना देश का हिस्सा : कौशलेन्द्र

Nov 1, 2019

भिलाई। लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर एक बार फिर पूरा भारत एक हो गया। देश का संविधान अब जम्मू कश्मीर में भी लागू हो गया। अब किसी भी राज्य का भारतीय वहां संपत्ति खरीद सकेगा, व्यवसाय कर सकेगा, नौकरी कर सकेगा और वहां के विश्वविद्यालयों में अध्ययन भी कर पाएगा। यही नहीं अब वहां की बेटियां भी कहीं भी विवाह करने के लिए स्वतंत्र हो गई हैं और इसका उनके किसी भी अधिकार पर कोई आंच नहीं आएगा।भिलाई। लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर एक बार फिर पूरा भारत एक हो गया। देश का संविधान अब जम्मू कश्मीर में भी लागू हो गया। अब किसी भी राज्य का भारतीय वहां संपत्ति खरीद सकेगा, व्यवसाय कर सकेगा, नौकरी कर सकेगा और वहां के विश्वविद्यालयों में अध्ययन भी कर पाएगा। यही नहीं अब वहां की बेटियां भी कहीं भी विवाह करने के लिए स्वतंत्र हो गई हैं और इसका उनके किसी भी अधिकार पर कोई आंच नहीं आएगा।Rashtriya-Ekta-Diwas Rashtriya-Vichar-Manch-Bhil भिलाई। लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर एक बार फिर पूरा भारत एक हो गया। देश का संविधान अब जम्मू कश्मीर में भी लागू हो गया। अब किसी भी राज्य का भारतीय वहां संपत्ति खरीद सकेगा, व्यवसाय कर सकेगा, नौकरी कर सकेगा और वहां के विश्वविद्यालयों में अध्ययन भी कर पाएगा। यही नहीं अब वहां की बेटियां भी कहीं भी विवाह करने के लिए स्वतंत्र हो गई हैं और इसका उनके किसी भी अधिकार पर कोई आंच नहीं आएगा।उक्त उद्गार प्रखर राष्ट्रवादी प्रवक्ता कौशलेन्द्र प्रताप ने आज राष्ट्रीय विचार मंच द्वारा आकाशगंगा में आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में कहीं। उन्होंने कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले कभी भी भारत एक राष्ट्र नहीं था, उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है। वे भ्रम फैला रहे हैं। 2300 साल पहले भारत पर चक्रवर्ती सम्राटों का शासन होता था। शेष सभी राज्यों में उसके बनाए नियम लागू होते थे और सभी चक्रवर्ती सम्राट को कर देते थे।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल गांधी के निष्ठावान अनुयायी थे। जब पूरी कांग्रेस उनके खिलाफ हो गई थी तब भी सरदार पटेल गांधी के निर्देशों का अक्षरश: पालन करते थे। पर नेहरू से उनकी कभी नहीं पटी। विभाजन के समय जब सरदार पटेल भारत के 500 से भी अधिक रियासतों को भारतीय गणराज्य में शामिल करने में सफल हो गये तथा नेहरू ने जम्मू कश्मीर और गोवा का मामला स्वयं देखने की बात कही। गोवा का मसला तो 1960 में हल हो गया पर कश्मीर मामले में ऐसे पेंच डाले हुए थे कि वह सदियों तक त्रिशंकु की स्थिति में ही रहता। मोदी-शाह की युति ने इसका भी तोड़ निकाला और किये गये प्रावधानों के भीतर ही कश्मीर मसले का हल भी ढूंढ लिया।
इससे संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं प्रखर वक्ता प्रभुनाथ मिश्र ने कहा कि विचार किसी भी राष्ट्र की आत्मा होते हैं। विचार पुष्ट हों तो कोई ताकत उसे नहीं हिला सकती। गुरू गोविन्द सिंह के दो पुत्रों शहजादा फतेह सिंह एवं जोरावर सिंह का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि औरंगजेब के आदेश पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर इस्लाम कबूलने के लिए दबाव डाला गया। मगर इन दोनों बालकों ने जीवित दीवारों में चुन दिया जाना पसंद किया पर धर्म परिवर्तन के लिए राजी नहीं हुए।
उन्होंने चाणक्य एवं धनानन्द का जिक्र करते हुए कहा कि जब धनानन्द ने चाणक्य का अपमान किया तो चाणक्य ने यही कहा था कि वे याचक नहीं शिक्षक बनकर उनके सामने खड़े हैं। यदि धनानन्द उनकी बात नहीं सुनते तो वे भारत के लिए नया राष्ट्राध्यक्ष खड़ा कर सकते हैं। उन्होंने विक्रमादित्य को खड़ा करके एक शिक्षक की क्षमता का भी परिचय दिया।
आरंभ में हेमचंद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र के संरक्षक डॉ नरेन्द्र प्रसाद दीक्षित ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए युवाओं से राष्ट्रनिर्माण में जुट जाने का आह्वान किया।
मंच पर राष्ट्रवादी चिंतक एवं संघ प्रचारक डॉ दीप चटर्जी, देशदीपक सिंह, कार्यक्रम संयोजक शंकर लाल देवांगन मौजूद थे। इस अवसर पर प्रसिद्ध अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ अनुपम लाल, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ जयराम अय्यर, प्रमोद वाघ, शिवनाथ बचाओ आंदोलन के संजय मिश्रा, शोइबाल लाहिरी सहित संघ परिवार से जुड़े सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे। सभा के बाद सभी ने तिरंगे के साथ एक विशाल मशाल जुलूस निकाला और आकाशगंगा की प्रदक्षिणा करते हुए देश भक्ति के नारे लगाए।

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