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किसने के बजाय क्यों पर जोर दें तो सुधर सकती है महिलाओं की स्थिति : दमयंती

Dec 12, 2019

केपीएस नेहरू नगर में एमेजॉन बेस्ट सेलर ‘यू बिनीथ यॉर स्किन’ की लेखक से चर्चा

Amazon Best Selling author Damyanti speaks to book lovers in KPS Bhilaiभिलाई। एमेजॉन बेस्टसेलर ‘यू बिनीथ यॉर स्किन’ की लेखक दमयंती बिस्वास का मानना है कि जब-जब कोई हादसा होता है तो हम कैसे, किसने, किसके साथ में उलझ कर रह जाते हैं। हम क्यों की चर्चा नहीं करते, इसलिए कारण को समझ ही नहीं पाते। कारण को समझे बिना रोग का इलाज संभव नहीं है। ‘निर्भया’ के बाद जब पूरा देश आंदोलिन था, तब भी नेता बिना विषय को समझे ऊलजलूल टिप्पणियां कर रहे थे। हमारी पूरी ताकत इसमें लगी थी कि अपराधी को क्या सजा दी जाए।Damyanti the best selling author on Amazon at KPS Bhilaiदमयंती भिलाई की ही बेटी है। सेक्टर-4 और स्मृति नगर में उनका बचपन बीता। उनकी स्कूली शिक्षा सीनियर सेकण्डरी स्कूल सेक्टर-10 में पूरी हुई। वे केपीएस रायपुर के निदेशक आशुतोष त्रिपाठी की क्लास मेट रही हैं। उनके संक्षिप्त भिलाई-रायपुर प्रवास का यही सूत्र बना। वे अपनी पुस्तक का प्रमोशन करने के साथ-साथ समाज की विसंगतियों को लेकर एक वैचारिक आंदोलन खड़ा करना चाहती हैं। इस पुस्तक से होने वाली आमदनी एसिड अटैक पीड़ितों की सेवा में रत सामाजिक संगठन ‘व्हाय’ एवं साधनहीन बच्चों की शिक्षा को जाएगी।
दमयंती के साथ बातचीत का यह सिलसिला स्वाति त्रिपाठी ने शुरू किया। सवालों का जबाव देते हुए दमयंती ने कहा कि भारतीय मानसिकता का एक हिस्सा तेजी से पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहा है वहीं दूसरा हिस्सा अब भी रूढ़िवादी सोच से नहीं उबर पाया है। वह स्त्रियों को अपनी बराबरी में खड़ा नहीं देखना चाहता, घर से निकलकर काम करने, अपने मित्र चुनने या काम के घंटे चुनने की उसकी आजादी, ये लोग पचा नहीं पाते।
उन्होंने बताया कि विवाह के बाद सिंगापुर शिफ्ट होने से पहले उन्होंने एक लंबा समय दिल्ली में बिताया है। एक कामकाजी युवती दिल्ली में किस तरह आशंकाओं और खतरों के बीच काम करती है, यह उन्होंने अनुभव किया है।
पुस्तकप्रेमियों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तक में यथार्थ का चित्रण है। इसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक शोध किया। इस पुस्तक को उन्होंने 15 बार अलग अलग ढंग से लिखा है। इसका एक एक पन्ना उन्हें आज भी डराता है। किताब को लिखने के लिए वे स्वयं को अपने घर में बंद कर लेती थीं। फोन भी बंद और सोशल मीडिया भी। पति के अलावा परिवार का कोई भी सदस्य उनसे सम्पर्क नहीं कर सकता था। पति से भी बातचीत दो शब्दों की होती थी।
दमयंती ने कहा कि घटनाएं प्रत्येक व्यक्ति के दिमाग में उथल पुथल मचाती है। कुछ ही लोग एकचित्त होकर लिख पाते हैं। इन दिनों लोग सोशल मीडिया पर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दे पा रहे हैं। आरंभिक दौर में उन्होंने भी छोटी कहानियों से ही शुरुआत की थी। कहानी पूरी होनी चाहिए। शब्दों की संख्या कोई मायने नहीं रखती।
उन्होंने कहा कि यदि किसी ने इस पुस्तक पर कोई फिल्म बनती है तो वे खुश होंगी। कोई अच्छा निर्देशक ही सैकड़ों पन्नों की कहानी को ढाई घंटे में प्रभावी रूप से ईमानदारी के साथ प्रस्तुत कर सकता है।
इस अवसर पर केपीएस ग्रुप के चेयरमैन मदन मोहन त्रिपाठी, रायपुर केपीएस के प्रमुख आशुतोष त्रिपाठी, प्रियंका त्रिपाठी, केपीएस कुटेलाभाटा की प्राचार्य मृदु लाखोटिया, भिलाई इस्पात संयंत्र के पूर्व अधिकारी विजय मैराल, हरिदास, पोलिटिकल पंडित व्हाट्सअप समूह के सदस्य एवं पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे। भिलाई में अपनी तरह का यह पहला आयोजन था। दमयंती ने पुस्तक प्रेमियों को अपनी पुस्तक की हस्ताक्षरित प्रतियां सौंपी।

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