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  नक्सल प्रभावित बस्तर के ‘हिड़मा’ ने शुरू किया ब्लॉग – हिड़मा की दुनिया

Dec 6, 2019

A POTA Cabin student of Bastar Hidma starts bloggingभिलाई। नक्सल ग्रस्त इलाके के पोटाकेबिन का एक बालक ब्लॉगिंग की दुनिया में एक नया नाम है। एक तरफ जहां बस्तर का नाम लेते ही कुछ पर्यटन स्थलों के साथ नक्सल समस्या की तस्वीर उभरती है वहीं इस बालक ने अपना नजरिया अपने ब्लाग के जरिये सामने रखा है। सुकमा के नज़दीक पोटा केबिन का स्कूली छात्र हिड़मा अपने इलाके को, अपने नज़रिए को कविताओं और छोटी कहानियों के ज़रिए प्रस्तुत कर रहा है। इस बालक की जानकारी थियेटर अर्टिस्ट सिग्मा उपाध्याय ने शेयर की है। प्रस्तुत है यह आलेख खुद सिग्मा की जुबानी।

Sigma Upadhyaya
Sigma Upadhyaya

आप गूगल में सुकमा टाइप करते होंगे तो आपको नक्सल गतिविधियों, नक्सल पुलिस मुठभेड़ जैसी लाखों हेडलाइंस मिल जाएंगी। लेकिन हेडलाइन्स से इतर भी दुनिया है। असली दुनिया।  कागज़ कलम से अपनी भावनाएं लिखने के बाद वह उन्हें अपने ब्लॉग पर डालता है। अपने ब्लॉग का नाम उसने रखा है ‘हिड़मा की दुनिया’। जब आप इस ब्लॉग से दो चार होंगे तो आपको मिलेंगी नवमीं कक्षा में अध्ययनरत आदिवासी बालक हिड़मा के आसपास की असल दुनिया की गाथाएं। वह दुनिया जिसे वह रोज़ जीता है जैसे आम के पेड़, पिंजरे के पंछी, हिड़मा के दोस्त और इन सब को लेकर उसके विचार।

कल Ashish जी के निवास पर एक पत्रकार हिड़मा से मिलने आए थे। उनकी बातचीत मैंने सुनी और तुरंत हिड़मा का ब्लॉग खोल उसकी रचनाएं पढ़ने लगी।बातचीत के दौरान हिड़मा ने बताया कि उसके नीरज सर कक्षा में सबसे कविताएँ पढ़वाते थे। कविताओं को पढ़ कर उसमें भी अपनी बातें कविताओं द्वारा कहने की ललक बढ़ी और हिड़मा ने लिखना शुरू किया। अपने गुरुओं की सहायता से अगस्त 2019 से खुद का ब्लॉग वर्डप्रेस में शुरू किया और इंटरनेट पर अपनी लिखी कविताएँ पढ़ने में उसे मज़ा आने लगा। शुरू में यह सब बिल्कुल नया था पर अब हिड़मा ब्लॉग लेखन को लेकर संजीदा हो चला है। वह लगातार लिख रहा है और चाहता है कि सभी उसका ब्लॉग पढ़ें, सुकमा को नए तरीक़े से देखना शुरू करें। मैंने भी बाद में धीरे से पूछा कि कैसे लिखते हो यह सब? तब हिड़मा ने कहा कि जो मन में आता है उस पर सोच कर फिर लिखता हूँ। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के एक खूंखार नक्सली कमांडर का नाम भी हिड़मा ही है। पर अब यदि आप गूगल में ‘हिड़मा की दुनिया’ टाइप करेंगे तो हिड़मा की कविताओं को ही सबसे ऊपर पाएंगे।

ब्लॉग लिंक: https://hidmakiduniya.wordpress.com/

यह रही हिड़मा की एक कविता ‘ख्वाबों में खोया’

नींद में हूँ जब मैं
ख्वाबों में खोया
ख्वाब जो देखा मैंने
उसमें कुछ अनजाना कर जाता
भूल गया मैं अपनी दुनिया
रहता हूँ में ख़्वाबों में खोया
जब-जब उसमें कुछ डरावना होता
मैं अचानक उठ जाता
उठकर मैं जब देखता हूँ
फिर कुछ नहीं कर सो जाता हूँ
अगले दिन नींद से जाग
सभी को ख़्वाबों की
कहानियाँ सुनाने लगा
सपनो में खोया अच्छा लगता
जो नहीं कर पाता
वो सपनों में कर जाता
ये सब देखना टी.वी में देखने से बेहतर है
टी.वी. में जो हो जाता है
सपनों में भी वो हो सकता है

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