‘द प्रॉमिस ऑफ़ टुमॉरो’ में झलकी देश बनाने की तड़प
भिलाई। देश में अनेक समस्याएं हैं। उन्हें दूर करने की कोशिशें भी हो रही हैं। व्यक्तिगत रूप से लोग प्रयास कर रहे हैं। कुछ राहत भी मिल रही है। पर जब तक सब मिलकर एक साथ कोशिश नहीं करेंगे, तब तक देश का अपेक्षित विकास नहीं हो सकता। यह संदेश दिया माइलस्टोन के तीसरी से पांचवी तक के बच्चों ने। ये बच्चे स्कूल के 24वें वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन प्रस्तुति दे रहे थे। आज का थीम था ‘द प्रॉमिस ऑफ़ टुमॉरो’। बच्चों ने विकास के प्रतीक एक संदूक को समेकित प्रयासों से अंतत: देश में खींच ही लिया। कार्यक्रम का आरंभ चार छोटे-छोटे बच्चों की गर्मियों की छुट्टियों से होता है। वे खेलने के लिए पार्क में पहुंचते हैं। बातों-बातों में वे देश की समस्याओं में उलझ जाते हैं। उनके मन में एक नया देश बनाने की इच्छा जागती है। वे बस्ती के चार और बच्चों को साथ ले लेते हैं। ये सब अलग-अलग पृष्ठभूमि से हैं और सबकी समस्या अलग-अलग है। बच्चे इसके बाद एक-एक कर समस्याओं से रूबरू होते हैं। स्टेशन पर पड़े बेसहारा वृद्धजन, प्राकृतिक आपदाओं से बेघर हो गए लोग, भिखारियों की कतारें और उन्हें भोजन कराते लोग उन्हें भावुक कर देते हैं। बच्चे परियों से मदद मांगते हैं जो राहत सामग्री लेकर आती हैं। डिग्रियां लेकर नौकरी के लिए भटक रहे लोग और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे रोजगार के अवसर उन्हें आंदोलित करते हैं। इन सब समस्याओं से वो आजादी चाहते हैं। वे अपना नया देश बनाना चाहते हैं।
बच्चे कल्पना करते हैं कि उनके नए देश का नया झंडा होगा जिसमें सफेद जमीन पर लाल हृदय का फूल खिला होगा। उस देश में कोई समस्या नहीं होगी। सबके लिये समानता का व्यवहार होगा। सबके प्रति प्रेम होगा। नेता और पुलिस सब जनता के हितैषी होंगे।
फ्रस्ट्रेशन से जूझ रहे इन विद्यार्थियों को उनकी टीचर राह दिखाती है। वो कहती है कि सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है, विकास देश में आ सकता है बशर्ते कि सब मिलाकर प्रयास करें। नेता-पुलिस-नागरिक सब मिलकर प्रयास करते हैं और विकास को देश में खींच लाते हैं। गांधी जी की प्रिय भजन ‘वैष्णवजन तो तेने कहिये जे, पीर पराई…’ से बच्चे संवेदनशीलता और नि:स्वार्थ परोपकार का पाठ पढ़ते हैं।
कार्यक्रम के अंत में दर्शकों का भी आव्हान किया जाता है कि वे राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। दर्शक अपने मोबाइल टॉर्च जलाकर अपनी सहमति देते हैं।
इस कार्यक्रम में सभी ज्वलंत मुद्दों को बड़ी बेबाकी से उठाया गया और उसे संतुलित करते हुए अवाम का मार्गदर्शन भी किया गया। कार्यक्रम की परिकल्पना बेंगलुरू निवासी श्रीमती कुहू ने की थी जिसे बड़ी खूबसूरती के साथ माइलस्टोन के बच्चों एवं शिक्षकों ने मिलकर अंजाम दिया।