भिलाई। एमजे ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन की डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर ने आज कहा कि सफलता के लिए न केवल सपने देखना जरूरी है बल्कि उन्हें सच करने के लिए डटकर मेहनत करना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि एक साधारण शुरुआत से लेकर आज वे जिस मुकाम पर हैं, उसके पीछे दृढ़ इच्छा शक्ति एवं अथक मेहनत का एक लंबा सिलसिला है। श्रीमती विरुलकर यहां टीचिंग फॉर एम्पावरमेंट एंड मॉरल्स सोसायटी द्वारा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंस्पिरेशन एकोनोमी के सहयोग से आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं। श्रीमती विरुलकर ने बताया कि वे एक रूढ़िवादी परिवार से आती हैं जहां 18-19 की उम्र में ब्याह रचा दिया जाता है। बीएससी करने के बाद उनका भी विवाह हो गया। पर पति ने उनके जज्बे को समझा और उनकी शिक्षा आगे बढ़ती रही। दिल्ली में रहने के दौरान उन्होंने कम्प्यूटर का प्रशिक्षण प्राप्त किया। भिलाई आने के बाद उन्होंने शिक्षा जगत में अपनी जगह बनानी शुरू की।
उन्होंने बताया कि स्कूली जीवन में भी वे अपने से दो-तीन क्लास नीचे के बच्चों को पढ़ाया करती थीं। आज वे एमजे ग्रुप आॅफ एजुकेशन के साथ साथ जिनोटा फार्मेसी की भी निदेशक हैं। वे एक साफ्टवेयर कंपनी की भी निदेशक हैं और जल्द ही उनके खाते में एक स्कूल जुड़ने वाला है। उन्होंने बताया कि वे प्रतिदिन 18 घंटे काम करती हैं तथा आज भी अपने हाथों से खाना बनाती हैं।
इससे पूर्व सेमिनार में आये प्रतिभागियों ने अपनी स्टोरीज शेयर की। इंस्पिरेशनल स्पीकर बहरीन के डॉ मोहम्मद बुहेजी ने 10 वर्ष से ऊपर आयु के सभी बच्चों से सपने देखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सपने देखकर उनमें रंग भरना शुरू कर दें ताकि लक्ष्य साफ-साफ दिखाई देने लगे। फिर उसे पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा दें। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने आजाद भारत का सपना देखा और उसे पूरा करने में जुट गए। गांधी जी के सपने के कारण आज भारत आजादी की हवा में सांस ले रहा है।
समारोह की विशिष्ट अतिथि डॉ दून्या अहमद ने युवाओं से वृहत्तर समाज के हित में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति परिवार से दूर रहकर परिवार के लिए काम करता है। एक दूसरा आदमी परिवार के साथ रहकर परिवार की अच्छे से परवरिश करता है। तीसरा व्यक्ति पूरे समाज के लिए सोचता है और पूरे समाज का भला करता है। लोग तीसरे व्यक्ति को ही याद रखते हैं।