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साधन नहीं थे फिर भी शोध करते रहे आचार्य जगदीश चंद्र बोस

Dec 1, 2019

साइंस कालेज में भौतिक शास्त्र विभाग द्वारा वस्तुनिष्ठ प्रतियोगिता का आयोजन

दुर्ग। वैज्ञानिक आविष्कार कई बार हैरान के साथ-साथ अपने अनूठे गुणो के कारण रोमांचक भी होती हैं। कुछ ऐसी ही हैरानी और रोमांच हमे महसूस होता है जब हम प्रयोगधर्मी उस वैज्ञानिक को याद करते हैं जिसकी दोस्ती तरंगों से थी तथा जिसने सर्वप्रथम यह बताया की हमारी तरह पेड़ पौधे भी दर्द महसूस करते है और क्रोध पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इस महान वैज्ञानिक को हम आचार्य जगदीश चंद्र बोस के नाम से जानते हैं।दुर्ग। वैज्ञानिक आविष्कार कई बार हैरान के साथ-साथ अपने अनूठे गुणो के कारण रोमांचक भी होती हैं। कुछ ऐसी ही हैरानी और रोमांच हमे महसूस होता है जब हम प्रयोगधर्मी उस वैज्ञानिक को याद करते हैं जिसकी दोस्ती तरंगों से थी तथा जिसने सर्वप्रथम यह बताया की हमारी तरह पेड़ पौधे भी दर्द महसूस करते है और क्रोध पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इस महान वैज्ञानिक को हम आचार्य जगदीश चंद्र बोस के नाम से जानते हैं। इस महान वैज्ञानिक की याद में सांइस कालेज दुर्ग में आईक्यूएसी के तत्वाधान में भौतिक शास्त्र विभाग में आचार्य जगदीश चंद्र बोस का जन्म दिवस हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विभाग के प्राध्यापकों द्वारा आचार्य जगदीश चंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
विभागाध्यक्ष डॉ. पूर्णा बोस ने आचार्य जगदीश चंद्र बोस के जीवन से जूडेÞ महत्वपूर्ण तथ्यों को रेखांकीत किया। सीतेश्वरी चन्द्राकर ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया की ब्रिटिष सरकार द्वारा इनकी प्रतिभा और वैज्ञानिक योगदान को देखते हुए नाईट की उपाधि से सम्मानित किया तथा उन्हें रेडियो विज्ञान का पिता कहा जाता है। डॉ. अभिषेक मिश्रा ने बताया की आचार्य जगदीश चंद्र बोस ने 5-25 मिलीमीटर तरंगदैर्घ्य तक छोटी तरंगे उत्पन्न करके विश्व को सूक्ष्म तरंगे उत्पन्न करने का तरीका सिखाया।
उन्होंने बताया कि विद्युत चुम्बकीय तरंगे हवा के सहारे एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकती हैं, जो भविष्य में रिमोट कन्ट्रोल सिस्टम का आधार बनी। बी.एस.सी. प्रथम से विभा, अभिषेक सोनी, सघन एवं राजनन्दिनी ने आचार्य जगदीष चंद्र बोस से संबन्धित खोजो तथा रेडियो तरंगो को पकड़ने के लिए अधर्चालक पदार्थ का उपयोग और क्रिस्कोग्राफ का अविष्कार किया, जिससे ये पता लगाया जा सकता है कि पौधो में जीवन और संवेग को समझाया। इस कार्यक्रम के दौरान डॉ. आर. एस. सिंग, तीरथ सिन्हा, नीरज वर्मा के साथ शा. आदर्ष महाविद्यालय के बी.एस.सी. प्रथम के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
आचार्य बोस के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में वस्तुनिष्ठ प्रतियोगिता रखी गयी जिसमे भौतिकी से संबंधित प्रश्न पुछे गये। प्रतियोगिता का आरंभ प्राचार्य डॉ. एम.ए. सिद्दीकी, और वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. राजेन्द्र चौबे द्वारा प्रतिभगियों के उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के साथ हुआ। प्रतियोगिता का संचालन सीतेश्वरी चन्द्राकर एवं डॉ. अभिषेक मिश्रा द्वारा किया गया, इस प्रतियोगिता में सांइस कालेज दुर्ग और शा. आदर्ष महाविद्यालय दुर्ग के 300 से अधिक विद्याथिर्यांे ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता को सफल बनाने में नीरज वर्मा, ममता, धनेष, तीरथ सिन्हा, विपुल हरमुख, प्रकाश एवं हेमू का का विशेष योगदान रहा। इस प्रतियोगिता में विजयी पांच विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया जाएगा।
आईक्यूएसी कोआडिर्नेटर डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से विद्यार्थियों को समय समय पर प्रेरणा मिलती रहती है, जिससे वे जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखते हुए भविष्य में आगे बढने के लिए निरन्तर प्रयास करते रहेंगे। प्राचार्य डॉ. एम.ए. सिद्दीकी ने कहा कि इस प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देष्य भविष्य में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित प्रश्न पूछे जाने के पैटर्न से अवगत कराना है जिससे वे भविष्य में अपना लक्ष्य निर्धारण कर सफल हो सकें।

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