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अंधविश्वास से ऊपर उठकर 11 लोगों ने की देहदान की वसीयत, सांसद ने किया सम्मान

Jan 20, 2020

Dehdaan by Aastha Bahuddeshyiya samajik sansthaभिलाई। मृत्यु के बाद होने वाले संस्कारों तथा उससे जुड़े अंधविश्वास से ऊपर उठकर 11 लोगों ने मरणोपरांत देहदान करने की वसीयतें की हैं। इन सभी की वसीयतें आस्था बहुद्देश्यीय सामाजिक संस्था के संस्थापक प्रकाश गेडाम की प्रेरणा से की गयीं। सांसद विजय बघेल ने इन सभी देहदानियों का सम्मान यहां समारोह पूर्वक किया। उन्होंने कहा कि मरणोपरांत शरीर हमारे किसी काम का नहीं रहता। मृतदेह को चिकित्सा जगत के उन्नयन के लिए समर्पित कर देना एक पुनीत कार्य है।संस्था के संस्थापक प्रकाश गेडाम ने बताया कि मेडिकल कॉलेजो में प्रशिक्षण हेतु मानव शरीर की आवश्यकता होती है। परम्पराओं और उससे जुड़े अंधविश्वास के चलते हम मृतदेह को नष्ट कर देते हैं। मानव कल्याण की वृहत्तर सोच के तहत कुछ ही लोग मरणोपरांत देहदान की वसीयतें करते हैं। इन ग्यारह लोगों ने ऐसा कर समाज को संदेश दिया है।
सांसद विजय बघेल कहा कि शरीर दान करना एक पुनीत कार्य है। इसके बाद व इससे बड़ा कोई दान नहीं है। जीते जी हम परिवार समाज के लिए जीते है व मरने के बाद मानव हित में शरीर दान करना राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा दान है। सभी देहदान दाताओं को सांसद विजय बघेल ने सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया व ईश्वर से उनके स्वस्थ व सुखमय जीवन की कामना की।
जिन लोगों ने देहदान की वसीयतें की हैं, उनमें दो दम्पति भी शामिल हैं। इनमें बेनी राम रावते -समुन्द रावते, संतोष वान गोस्वामी -अनुपमा वान गोस्वामंी, रामाधीन देशमुख, एच.एन. चौबे, आदित्य सेन्दुर, सरोज बाई वर्मा, श्रीमती अन्नपूर्णा सिंग, पुलेनिया बाई, त्रिलोक चंद राठी, बरातुराम साहू शामिल हैं।

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