दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में चल रहे डीएसटी प्रायोजित इंस्पायर साइंस इंटर्नशिप कैम्प में छत्तीसगढ़ के प्रतिभागियों की बौध्दिक एवं सांस्कृतिक क्षमता देखकर विशेषज्ञ आष्चर्य चकित हो गये। कैम्प के दौरान विशेषज्ञ के रूप में चंडीगढ़ के डॉ. आलोक श्रीवास्तव, ग्रेटर नोयडा के डॉ. एन.बी. सिंह, मुंबई की डॉ. संजीवनी घारगे, मुंबई के डॉ. संजय देशमुख, अहमदाबाद के डॉ. मानसिंह तथा डॉ. उदयन प्रजापति उपस्थित थे। इन विशेषज्ञों ने कहा कि जिस प्रकार की प्रस्तुति इन बच्चों ने सांस्कृतिक संध्या में दी, जिस प्रकार के उच्च स्तरीय प्रश्न वे व्याख्यान के दौरान पूछ रहे हैं, इससे इन विद्यार्थियों की बौध्दिक दक्षता का पता चलता है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह एवं रसायन शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह ने इंस्पायर साइंस कैम्प के दौरान दंतेवाड़ा स्थित छू लो आसमान विद्यालय की छात्रा के उत्कृष्ट प्रदर्शन पर अपनी ओर से नकद पुरस्कार देकर छात्रा को सम्मानित किया।
इंस्पायर कैम्प के सहायक समन्वयक डॉ. अनिल कुमार, डॉ. अजय सिंह एवं डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि इंस्पायर कैम्प के तीसरे दिन आज 3 व्याख्यान आयोजित किए गए इनमें मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. संजय देशमुख का व्याख्यान विद्यार्थियों हेतु अत्यंत प्रेरणादायी रहा। डॉ. देशमुख ने वनस्पति शास्त्र की शाखा इकोलॉजी को वर्तमान समय की मांग एवं विद्यार्थियों के योगदान के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए अत्यंत लाभकारी व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश की 55 प्रतिशत जनसंख्या 25 वर्ष से कम आबादी वाली है। हमें इतने बड़े मानव संसाधन का सदउपयोग करना है। उन्होंने उपस्थित शालेय प्रतिभागियों को सलाह दी कि वे किसी भी विषय का चयन किसी के कहने पर न करते हुए स्वयं अपनी दक्षता के आधार पर करें। ईमानदारी, समर्पण एवं ज्ञान साझा करने की भावना सफलता के मूलमंत्र है।
द्वितीय व्याख्यान में अहमदाबाद के डॉ. मानसिंह ने अणुओं के आतंरिक आकर्षण बल से संबंधित नये सिध्दांत की रोचक व्याख्या करते हुए बताया कि बर्फ में वाष्प की अपेक्षा अणुओं को आपस में बांध के रखने की क्षमता अधिक होती है। डॉ. मानंिसंह ने नैनो साइंस में वर्षा के महत्व का भी विष्लेषण किया। मानव शरीर में होने वाले घुटने के दर्द पर अपने विचार रखते बताया कि ग्लूकोज के सेवन से घुटने में उपस्थित हेल्यूरिक एसिड की श्यानता को नियंत्रित रखकर दर्द कम किया जा सकता है।
डॉ. मानसिंह ने आंखों के चश्मे, लैंस निर्माण में टायटेनियम के अनुप्रयोग की भी रोचक व्याख्या की। विद्यार्थियों ने कौतूहल वश डॉ. मानसिंह से अनेक प्रश्न पूछे। डॉ. मानसिंह ने पीलिया बिमारी के कारण एवं बरती जानी वाली सावधानियां को भी सरल शब्दों में विद्यार्थियों को समझाया।
तृतीय व्याख्यान में अहमदाबाद के डॉ. उदयन प्रजापति ने गणित के जटिल प्रश्नों को सरल तरीके से हल करने के विभिन्न प्रयासों का विश्लेषण किया। गणित ओलंपियाड तथा आईआईटी जैसे कठिन परीक्षाओं में निर्धारित समय में प्रष्नों को हल करने के तरीकों का जब डॉ. उदयन प्रजापति ने उल्लेख किया तो छत्तीसगढ़ अंचल के विद्यार्थी प्रसन्न हो उठे। विद्यार्थियों ने डॉ. प्रजापति के व्याख्यान को अत्यंत लाभप्रद बताते हुए कहा कि वे भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान गणित के प्रष्नों को हल करते समय डॉ. प्रजापति के टिप्स को इस्तेमाल करेगें।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने बताया कि आज 3 व्याख्यानों के पश्चात सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों को महाविद्यालय के 12 प्राध्यापकों के नेतृत्व में रायपुर स्थित साइंस सेंटर ले जाया गया। जहां विद्यार्थियों ने अपने पाठ्यक्रम से संबंधित अनेक प्रयोगों एवं सिध्दांतों को भौतिक रूप से न केवल देखा बल्कि स्वयं प्रयोग भी किये।
छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचलों के विद्यार्थियों के लिए साइंस सेंटर का भ्रमण किसी आष्चर्य से कम नही था।
प्रतिभागी विद्यार्थियों हेतु महाविद्यालय के सभागार में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में साइंस कालेज, दुर्ग तथा छू लो आसमान विद्यालय दंतेवाड़ा की छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। बस्तरिया नृत्य, रास गरबा, छत्तीसगढ़ी नृत्य तथा झूपत झूपत आबे दाई भजन पर छात्र-छात्राऐं देर तक झूमते रहें। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्तर की प्रसिध्द नृत्यांगना डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने शिव स्तुति तथा ठूमरी पर आधारित कत्थक नृत्य प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुपमा अस्थाना ने किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन साईंस कालेज, दुर्ग के स्नातकोत्तर विद्यार्थी प्रतीक्षा तिवारी तथा आशीष देवांगन ने किया।