विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग में इंस्पायर प्रोग्राम
दुर्ग। भारतीय प्राचीन अवधारणायें ही वर्तमान विदेशी वैज्ञानिक शोध कार्यों का आधार है। महाभारत, रामायण आदि में उल्लेखित पुष्पक विमान तथा संजय द्वारा धृतराष्ट्र को महाभारत का सम्पूर्ण चित्रण वर्तमान समय की वायुयान एवं टेलीविजन के आविष्कार के मूल आधार है। हमने अपनी प्राचीन अवधारणाओं को महत्व न देकर सदैव विदेशी शोध को महत्व दिया। हमें प्राचीन भारतीय सिध्दांतों का नवीनीकरण वर्तमान की मांग के अनुसार करने का प्रयास करना चाहिए। ये बातें आईआईटी रूड़की के डॉ. धर्मेन्द्र सिंह ने शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में आयोजित 5 दिवसीय डीएसटी इंस्पायर साइंस इंटर्नशिप कैम्प में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि किसी भी विदेशी ग्रंथ में सूर्य से पृथ्वी की दूरी, काल की गणना तथा चरक संहिता जैसे औषधीय विश्लेषण का उल्लेख नहीं मिलता।
डॉ. धर्मेन्द्र सिंह ने माइक्रोवेव विकिरण की तीव्रता से हमारे शरीर पर कम से कम नुकसान होने तथा विकिरण की तीव्रता से बचाव के उपाय से संबंधित विस्तृत जानकारी विद्यार्थियों को दी। उन्होंने बताया कि मोबाइल को अपने कानों से लगभग 4 से 5 सेंटीमीटर दूर रखकर बात करनी चाहिए। नेटवर्क अथवा बैटरी कमजोर होने के दौरान हमें बातचीत करने से बचना चाहिए क्योंकि इस समय मोबाइल से सर्वाधिक विकिरण उत्सर्जित होता है।
शालेय प्रतिभागी विद्यार्थियों हेतु राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों के व्याख्यान के साथ-साथ उन्हें साइंस कालेज की उन्नत प्रयोगशलाओं में प्रायोगिक कार्य कराया गया। प्रायोगिक कार्य के दौरान उपलब्ध नवीनतम उपकरण तथा प्रयोग की विधि को विद्यार्थियों ने स्वयं चलाकर देखा। बस्तर, सरगुजा, जांजगीर चांपा, बेमेतरा आदि क्षेत्रों से आये विद्यार्थियों के लिए उन्नत प्रयोगशालाओं में स्वयं प्रायोगिक कार्य करना कौतुहल का विषय रहा। विद्यार्थियों ने बताया कि ऐसे उपकरणों एवं प्रयोगों को वे केवल पुस्तकों में देखा करते थे। आज स्वयं उन प्रयोगों को करने की अनोखी अनुभूति रही। विद्यार्थियों को कम्प्यूटर सॉप्टवेयर, औषधीय पौधों की जानकारी एवं उनका डिसेक्शन कर पहचान करना, बायोटेक्नालॉजी से संबंधित पीसीआर अभिक्रिया तथा डीएनए की जानकारी, सिकल सेल एनीमिया से संबंधित सारगर्भित जानकारी, छत्तीसगढ़ के खनिज चट्टानों, जीवाश्मों का अध्ययन, रसायन शास्त्र एवं भौतिक शास्त्र के पाठ्यक्रम में शामिल विभिन्न प्रयोग, प्राणीशास्त्र में जीव जंतुओं के डिसेक्शन से संबंधित क्ले मॉडल का अध्ययन कराया गया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन सिंह ने बताया कि विद्यार्थियों के लाभ हेतु इंस्पायर कैम्प के शेष दिनों में और अधिक प्रायोगिक कार्य कराए जायेंगे। विद्यार्थियों को रायपुर स्थित साईंस सेंटर का भ्रमण कराया जायेगा।
इससे पूर्व प्रथम सत्र में मुंबई से पधारी डॉ. संजीवनी घारगे ने ग्राफ थ्योरी के महत्व एवं उसके विज्ञान में अनुप्रयोग पर रोचक व्याख्यान दिया। उन्होंने हकल सिध्दांत की व्याख्या करते हुए नॉन आइसो मैट्रिक सममितीय डिजाईन को विस्तार से समझाया। डॉ. घारगे ने मोबाइल तथा एटीएम कार्ड में उपयोग होने वाली कोडिंग व्यवस्था से संबंधित जानकारी भी प्रतिभागियों को दी। उन्होंने गणितीय आलंपियाड के जटिल प्रश्नों तथा सूडोकू हल करने के तरीके भी बताये। डॉ. घारगे का व्याख्यान विद्यार्थियों के मध्य चर्चा का विषय रहा।
एक अन्य व्याख्यान चंडीगढ़ के डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने जीएम काउंटर का प्रायोगिक विश्लेषण करते हुए उसका वास्तविक प्रयोग विद्यार्थियों को समझाया। डॉ. श्रीवास्तव ने भौतिक शास्त्र में प्रायोगिक कार्य के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि कोई भी प्रायोगिक कार्य करने के पूर्व विद्यार्थी को उसका मूल सिध्दांत मालूम होना आवश्यक है। जब तक हमें किसी भी विषय की सैध्दांतिक जानकारी पूर्ण रूप से नहीं होगी हम प्रायोगिक कार्य को सफल रूप से संपादित नहीं कर सकते। इंस्पायर कैम्प के लगभग 200 प्रतिभागियों ने अपने अध्ययन काल में पहली बार जी.एम. काउंटर से संबंधित प्रयोग को भौतिक रूप से देखा। डॉ. श्रीवास्तव के व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों ने अनेक प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा का समाधान किया।
वर्धमान से पधारे डॉ. अनुपम बसु ने अनुवांशिकीय रोगों से संबंधित रोचक व्याख्यान दिया। डॉ. बसु ने बताया कि अनुवांशिकीय रोगों से बचने अथवा उसकी तीव्रता को कम करने हेतु हम सभी को सावधानी रखना आवश्यक है। दमा, वात, शुगर जैसी बिमारियां अनुवांशिकीय होती है तथा अनेक बार ऐसा देखा गया है, कि अगली पीढ़ी के सबसे बड़े अथवा सबसे छोटे पुत्र या पुत्री को अनुवांशिकीय रोग हो जाते है। उन्होंने थैलेसिमिया, सिकल सेल एनीमिया, हीमोफिलिया, वर्णाधंता आदि से संबंधित सारगर्भित जानकारी भी दी।
शारदा विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा से पधारे डॉ. एन.बी. सिंह ने नैनो मटेरियल तथा उनके अनुप्रयोगों से संबंधित महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि नैनो मटेरियल के रूप में परिवर्तित होने पर किसी भी पदार्थ के गुण परिवर्तित हो जाते है जैसे सोने का पीला रंग नैनो स्वरूप में परिवर्तित होने पर रंगहीन हो जाता है। नैनो साईंस के द्वारा आज चिकित्सा एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनेक बिमारियों का निराकरण तथा संरचनाओं के निर्माण में सफलता प्राप्त हुई है। हमारे सिर के बाल की मोटाई के बराबर साईज के नैनो मटेरियल तैयार किए जा सकते है।
सायंकालीन सत्र में आयोजित रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रसिध्द कत्थक नृत्यांगना डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने भगवान शंकर की स्तुति तथा ठुमरी पर आधारित कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया। साइंस कालेज, दुर्ग के विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ी नृत्य तथा रास गरबा की मोेहक प्रस्तुति दी। दंतेवाड़ा से आए शालेय प्रतिभागियों ने बस्तरिया नृत्य प्रस्तुत कर तालियां बटोरी।
कार्यक्रम के सहायक समन्वयक डॉ. अनिल कुमार, डॉ. अजय सिंह एवं डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि इंस्पायर कैम्प के तीसरे दिन अहमदाबाद के डॉ. मानसिंह, मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. संजय देशमुख तथा अहमदाबाद के गणितज्ञ डॉ. उदयन प्रजापति का आमंत्रित व्याख्यान होगा।