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रामकथा शास्त्र भी है शस्त्र भी : श्री शंभुशरण लाटा जी महाराज

Jan 15, 2020

Ramkatha is a literature and weapon at the same time says Lataji Maharajभिलाई। रामकथा चंद्रमा की किरणों के समान है। यह हमें शीतलता तो प्रदान करता ही है यह लोगों के दु:ख भी हर लेता है। यह हमारे लिए शास्त्र भी है और शस्त्र भी। अगर इसके भाव को इसकी गहराइयों को व्यक्ति समझ ले तो सारे दु:ख स्वत: कम लगने लगते है। उक्त उद्गार व्यासपीठ पर विराजित वाणी भूषण पंडित शंभू शरण लाटा महाराज ने नवदिवसीय संगीतमय प्रभु श्री रामकथा के प्रथम दिवस रामनाम महिमा के दौरान कही। इस पावन अवसर पर राम भक्त श्रद्धालु श्री राम भजन पर थिरकते नजर आये। संगीतमय श्रीराम कथा का यह नौदिवसीय भव्य और दिव्य आयोजन श्री बांके बिहारी चैरिटेबल ट्रस्ट, भिलाई के पहल पर श्री राधा कृष्णा मंदिर नेहरू नगर में किया जा रहा है।
कथा से श्रद्धालुओं को जोड़ते हुए लाटा जी महाराज ने कहा कि पैसे से राम नहीं खरीद सकते हैं परंतु प्रभु श्रीराम पकड़ में आ जाए तो मान लीजिए लक्ष्मी जी भी उनके पीछे-पीछे आएगी और आपको आशीर्वाद देगी। परंतु इसके लिए प्रभु राम के आदर्शों को आत्मसात करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलना होगा।
उन्होंने कहा कि आजकल लोगों को भगवान पर से विश्वास कम हो रहा है। इसलिए श्रद्धा का भाव उन् में नहीं आता । इस राम कथा में रम जाईये, फिर देखिए श्रद्धा का भाव आपके जीवन मे कैसे आता है। निश्चित ही आप जीवन में शांति का अनुभव करेंगे। साथ ही कहा कि कोई गलती करके भी जिसके मन मे पश्चाताप नही होगा उसका जीवन निष्पाप नही हो सकता। उन्होंने एक तीखी टिपण्णी करते हुए कहा कि ह्लदुनिया मे झूठे लोगों को हुनर आता है, सच्चे लोग तो इल्जाम से ही मर जाते है।ह्व
महाराज श्री ने कहा कि यह लोक किसी का बिगड़ जाए तो उसे स्वर्ग नहीं मिलेगा। जो सुख और दुख है यही झेलना है। प्रभु राम के आदर्शों में चलते हुए स्वर्ग जैसा सुखी जीवन स्वयं बनाये तो ही परलोक स्वर्ग की आशा कर सकते है।
रामकथा के शुभारंभ अवसर पर समिति के अध्यक्ष संजय रूंगटा , महासचिव बंशी अग्रवाल , विजय गुप्ता , विजय अग्रवाल, भगवती राइका, सुरेश केजरीवाल, नेत राम अग्रवाल, आशीष गुप्ता, छोटेलाल अग्रवाल, दिलीप अग्रवाल, गोवर्धन अग्रवाल सहित श्रद्धालु मौजूद थे।
तुलसीदास जी ने विनायक से पहले की वाणी को पूजा
महाराज श्री ने कहा कि हमारी धर्म संस्कृति में किसी शुभ काम के पहले श्री गणेश जी की पूजा करना अच्छा माना जाता है परंतु रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने सर्वप्रथम माता सरस्वती की पूजा की बाद में श्री गणेश जी की। उन्होंने कहा कि श्री गणेश जी विशाल हृदय के है। वाणी का वर्णन विनायक से पहले किया जाना मतलब मातृशक्ति की महत्ता को बतलाना है।
हमारा धर्म विशुद्ध विज्ञान है।
कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज श्री ने कहा की लंका पहुंचने के लिए प्रभु राम की वानर सेना द्वारा बनाये गये रामसेतु की मान्यता पर रोक उंगली उठाते रहे हैं। पर अब इसे नासा ने भी प्रमाणित कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारा हर धर्म ग्रंथ विशुद्ध विज्ञान है। इसमें लिखी हर बात सिद्ध है। आज का विज्ञान भी अब इसकी सत्यता को स्वीकार करने लगा है।
गुरु गुरु रहे भगवान न बने
गुरु की आवश्यकता पर कथा वाचक लाटा जी महाराज ने कहा कि गुरु जीवन की आवश्यकता है। गुरु बिन भव सागर पार नहीं हो सकता। गुरु का काम है शिष्य को धर्म-कर्म में लगाओ और पाप से छुड़ाओ। परंतु इस कलयुग में लोगों से भूल हो रही है वे गुरु को ही भगवान मानने लगे हैं। पर मेरा सवाल है गुरु भगवान कैसे हो सकता है? ऐसे गुरु धर्म से विमुख है इस कारण आए दिन सुखिर्यों में उनकी धर्म-संस्कृति को शमर्सार कर देने खबरें आती रहती हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कोई भी सरकार ऐसे गुरुओं को सजा दिलाने आगे नहीं आती उन्हें लगता है कि ऐसे गुरु के शिष्य उन्हें वोट नहीं देंगे।
गोस्वामी तुलसीदास ने दी राष्ट्रवाद की सीख
गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना का शुभारंभ प्रभु श्री राम की पूजा कर नही अपितु अयोध्या की पावन भूमि को पूज कर किया। गोस्वामी तुलसीदास जी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि सबसे पहली हमारी मातृभूमि है उसके बाद हमारा धर्म हमारी संस्कृति है। इसीलिए मातृभूमि का पूजन और उसके लिए सम्मान सभी के हृदय में होना चाहिए।
इसके बाद उन्होंने सरयू नदी को पूजा जो राज्य की समृद्धि का कारक थी तत्पश्चात मर्यादापुरूषोत्तम राम के अयोध्या की जनता को नमन किया और कहा कि जब जनता नही तो राजा कहा के राज कहा का । संगीतमय श्री राम कथा १५ जनवरी से २३ जनवरी तक आयोजित की जा रही है।कथा के प्रथम दिवस पर प्रसादी की व्यवस्था भी की गयी

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