भिलाई। इस वर्ष का रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान रंगकर्मी दंपत्ति श्रीमती पूनम एवं दीपक तिवारी ‘विराट’ को संयुक्त रूप से प्रदान किया जाएगा। उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान रंगकर्म और लोकनाट्य के क्षेत्र में चार दशकों की एकाग्र, प्रदीर्घ एवं संघर्षशील कला यात्रा के लिये प्रदान किया जाएगा। सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं कला विशेषज्ञ राजेश गनोद वाले की अध्यक्षता में गठित निर्णायक समिति के सदस्यगण विजय वतर्मान, डॉक्टर सुनीता वर्मा, श्रीमती नीलांजना मुरली एवं दुर्गा प्रसाद पारकर की अनुशंसा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। सम्मान समारोह का आयोजन सोमवार 13 जनवरी को शाम 3:30 बजे भिलाई निवास में किया गया है। छत्तीसगढ़ी लोककला के अग्रपुरुष दाऊ रामचन्द्र देशमुख की स्मृति में वर्ष 1999 मे स्थापित बहुमत सम्मान का यह 18 वां आयोजन होगा।
उपरोक्त जानकारी देते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव एवं सचिव शायर मुमताज ने बताया कि दीपक तिवारी 1981 के आसपास हबीब तनवीर और नया थिएटर से जुड़े। चरणदास चोर में मुख्य भूमिका निभाकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए। 2005 में नया थियेटर छोड़कर वे राजनांदगांव लौट आए और लोकनाट्य मंच रंग छत्तीसा स्थापना की। विगत 11 वर्षों से वे लकवे की बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्हें इस क्षेत्र का शीर्ष पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 प्रदान किया गया।
अरुण श्रीवास्तव एवं मुमताज ने बताया कि पूनम सोनवानी दाऊमंदरा जी एवं मदन निषाद जैसे सिद्धहस्त कलाकारों के साथ नृत्य एवं गायन की बारीकियां सीख रही थी। वर्ष 2015 में उन्हें राज्य शासन द्वारा दाऊमंदरा जी सम्मान से सम्मानित किया गया। इप्टा रायपुर एवं रायगढ़ द्वारा भी उनका सम्मान किया गया। साक्षरता मिशन के लिए दिल्ली दूरदर्शन की एक डॉक्यूमेंट्री “पढ़ना लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों” में भी उनके अभिनय को सराहना मिली। नया थिएटर में दीपक तिवारी एवं पूनम तिवारी ने हबीब तनवीर के निर्देशन में चरणदास चोर, मिट्टी की गाड़ी, मोर नाव दमाद गांव के नाम ससुराल, आगरा बाजार, हिरमा की अमर कहानी, बहादुर कलारिन, लाला शोहरत राय, सोन सागर, मंगलू दीदी सूत्रधार, देख रहे हैं नैन, कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना, मुद्राराक्षस, सड़क, शाजापुर की शांति बाई, जमादारीन आदि अनेक नाटकों में जीवंत अभिनय किया। इस रंगकर्मी दंपत्ति ने अनेक विदेश यात्राएं भी की। विगत 26 अक्टूबर 2019 को रंगकर्मी दंपत्ति के कलाकार एवं युवा संगीतकार पुत्र सूरज तिवारी का आकस्मिक निधन हो गया। बेटे की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए पूनम तिवारी विराट ने कलेजे पर पत्थर रखकर “चोला माटी के हे राम, एखर का भरोसा…” गीत गाकर सूरज तिवारी को सांसारिक जीवन से अंतिम विदाई दी थी।