एमजे कालेज में एपीटी और साइबर सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला
भिलाई। हैकिंग की दुनिया रोमांच से भरपूर है। एथिकल हैकर बनकर आप अपने देश की सेवा भी कर सकते हैं। यह एक बेहद चुनौती पूर्ण क्षेत्र है जिसमें आपका कौशल आपको सफलता के शीर्ष पर लेकर जा सकता है। साइबर वेपन बिना खून बहाए किसी भी देश को घुटनों पर ला सकता है। उक्त बातें आज एमजे कालेज में आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए अनिवासी भारतीय साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अरिहंत विरुलकर ने कहीं। अमेरिका बेस्ड सेल्सफोर्स.कॉम के लीड सिक्योरिटी इंजीनियर अरिहंत ने कहा कि हैकिंग को लेकर आम व्यक्ति की सोच बेहद संकीर्ण है। उन्हें लगता है कि कुछ साफ्टवेयर इंजीनियर मस्ती के लिए हैकिंग करते हैं। जबकि यह एक बेहद गंभीर पेशा है। वैसे तो लगभग सभी देशों के पास एथिकल हैकर्स की अपनी टीम है पर कुछ देशों के हैकर समूह चिन्हित किये जा चुके हैं। ये ग्रुप अपने-अपने देश के लिए काम करते हैं और टारगेट को नेस्तनाबूद कर देते हैं।
उन्होंने बताया कि हैकिंग कई तरह से की जाती है। हैकर आपके कम्प्यूटर नेटवर्क में घुसकर जासूसी कर सकते हैं, सिस्टम को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं, भ्रामक जानकारियों को प्रचारित कर सकते हैं। सैनिक कार्यों के लिए हैकिंग पूरी तरह मिलिटरी प्रेसिशन के साथ योजनाबद्ध ढंग से की जाती है।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब इरान ने परमाणु कार्यक्रम शुरू किया तो उसने बड़ी मात्रा में परिवर्धित यूरेनियम इकट्ठा कर लिया। यहां के कम्प्यूटर किसी इंटरनेट पर नहीं थे। यहां साइबर हमला कठिन था। यूरेनियम का परिवर्द्धन सेन्ट्रीफ्यूज में किया जाता है। इसके पुर्जे विभिन्न कंपनियों से हासिल किए जाते थे। हैकर्स ने उन कंपनियों को निशाना बनाया और मालवेयर को चिप में डालकर भेज दिया। इससे सेन्ट्रीफ्यूज के संचालन में गड़बड़ी हुआ और वो नष्ट हो गए। इरान का न्यूक्लियर कार्यक्रम थम गया। इसके बाद इरान ने पुन: न्यूक्लियर कार्यक्रम प्रारंभ किया। अमेरिकी हैकर्स ने इस बार यूएसबी स्टिक के जरिए मालवेयर को सिस्टम में पहुंचा दिया। एक बार फिर इरान का न्यूक्लियर कार्यक्रम ठप्प पड़ गया।
अरिहन्त ने बताया कि आज लगभग सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटरों का दखल हो गया है। यदि किसी देश के पावर ग्रिड को कुछ दिनों के लिए ठप कर दिया जाए तो वहां जिन्दगी थम सी जाएगी। कभी अमेरिका और चीन एक दूसरे का टारगेट हुआ करते थे। पर 2016 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन पहुंचे और ऐसी सहमति बनी कि चीन और अमेरिका एक दूसरे को टारगेट नहीं करेंगे। यहीं से चीन का ध्यान भारत की ओर मुड़ गया।
उन्होंने बताया कि एक तरफ जहां हैकर्स के समूह दूसरे देशों के कम्प्यूटर सिस्टम्स में सेंध लगाने की कोशिश करते रहते हैं वहीं वे अपने देश के नेटवर्क को हैकिंग से बचाने की भी कोशिश करते हैं। इनमें चूहे बिल्ली की होड़ लगी होती है। इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में लोगों की जरूरत लगातार बनी हुई है। उनकी कंपनी में प्रतिदिन 100 लोगों का साक्षात्कार लिया जाता है पर ऐसे मौके बहुत कम आते हैं जब किसी का चयन हो पाता है। इसमें स्किल का महत्व सर्वाधिक है। डिग्री से ज्यादा स्किल सर्टिफिकेशन की जरूरत होती है। उन्होंने प्रतिभागियों को हैकिंग की दुनिया में आने के टिप्स भी दिए। उन्हें महत्वपूर्ण आॅनलाइन कोर्सेस की जानकारी भी दी।
इससे पहले वर्कशॉप के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए आईआईआईटी रायपुर के प्रो. डॉ रुबुल आमीन ने साइबर सिक्योरिटी पर अपना व्याख्यान दिया। वाइरस, वर्म्स और ट्रोजन हार्स में अंतर स्पष्ट करते हुए उन्होंने इन तीनों के क्रियाकलाप की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वाइरस जहां प्रोग्राम में गड़बड़ी उत्पन्न करते हैं वहीं वर्म्स कम्प्यूटर के रिसोर्सेस पर कब्जा कर उसे स्लो कर देते हैं। वहीं ट्रोजन हार्स अपनी उपस्थिति की भनक नहीं लगने देता पर महत्वपूर्ण सूचनाओं को चुरा कर अपने आका को भेज देता है।
उन्होंने बताया कि आज सभी लोग आॅनलाइन खरीद फरोख्त करते हैं। बैंकों के अकाउन्ट्स, पेमेन्ट ऐप्स, सोशल मीडिया अकाउन्ट्स और गेम्स के लिए यूजरनेम और पासवर्ड का उपयोग किया जाता है। एक एक आदमी के पास कई कई यूजरनेम और पासवर्ड होते हैं। इसलिए सुविधा के लिए लोग अपने या अपने परिजन का नाम, जन्मतिथि या शब्दों का प्रयोग करते हैं। ऐसे पासवर्ड्स का अंदाजा लगाना आसान होता है। इसलिए अच्छा पासवर्ड वह होता है जिसमें स्माल, कैपिटल लेटर्स के साथ ही अंकों एवं विशेष चिन्हों का प्रयोग किया जाए। यदि पासवर्ड्स याद रखने में मुश्किल हो तो उन्हें कम्प्यूटर पर सेव किया जा सकता है। पर ऐसे कम्प्यूटर को स्ट्रिक्टली पर्सनल रखना चाहिए।
उन्होंने बताया कि अपने एटीएम कार्ड का सीवीवी, पेमेन्ट एप्स के पासवर्ड किसी के भी साथ शेयर नहीं करना चाहिए। कुछ लोग अपने सभी अकाउन्ट्स के लिए लगभग एक जैसा यूजर नेम और पासवर्ड उपयोग करते हैं। ऐसे में एक पासवर्ड लीक हो जाने के मतलब सभी पासवर्ड का लीक हो जाना होता है। इससे बचना चाहिए। कारपोरेट स्तर पर पासवर्ड मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग किया जा सकता है जिसमें पासवर्ड को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी पीएमएस की होती है।
आरंभ में अतिथि विशेषज्ञों का परिचय प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने दिया। राजनांदगांव की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेशा चौबे विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थीं। संचालन सहा. प्राध्यापक सौरभ मण्डल एवं सहा. प्राध्यापक गायत्री गौतम ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सहा. प्राध्यापक अवन्तिका ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय की निदेशक श्रीलेखा विरुलकर, फार्मेस कालेज के प्राचार्य डॉ टी कुमार सहित अनेक महाविद्यालयों के कम्प्यूटर साइंस के स्टूडेन्ट्स बड़ी संख्या में मौजूद थे।