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सत्येन्द्र नाथ बोस से प्रेरित हैं बोसॉन, ब्रम्हाण्ड के कण करते हैं अनुसरण

Jan 2, 2020

Science college draws inspiration from Dr SN Boseभिलाई। विज्ञान की दुनिया लगातार खोज, परिवर्तन और आविष्कारों की ओर अग्रसर रहती है जिसमें विज्ञान और वैज्ञानिकों के महान आविष्कारों का महत्वपूर्ण योगदान है। विश्व की तस्वीर बदलने में भारतीय वैज्ञानिकों का भी योगदान रहा है, जिनमें से एक प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस हैं। इस महान वैज्ञानिक की महानता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि भौतिकी में दो प्रकार के अणुओं में से एक अणु का नाम बोसॉन प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस को भौतिकी में अमिट रखने के लिए दिया गया। इस महान वैज्ञानिक ने आधुनिक भौतिकी को नई दिशा प्रदान की। Physics-Prof-SN-Boseनव वर्ष के प्रारंभ के साथ साइंस कालेज दुर्ग में आईक्युएसी के तत्वाधान में भौतिक शास्त्र विभाग में प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस का 127वीं जन्म दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विभाग के प्राध्यापकों द्वारा प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
विभागाध्यक्ष डॉ. पूर्णा बोस ने प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि इस महान वैज्ञानिक की प्रतिभा के अल्बर्ट आइंस्टीन भी कायल थे जिन्होने प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस के साथ अपना नाम जोड़कर कई सिध्दांतों का प्रतिपादन किया। आईक्युएसी संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने बताया कि प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस ने अपना शोध पत्र जर्नल में प्रकाशनार्थ भेजा जिसमें फोटान जैसे कणों पर मैक्सवेल, बोल्टजमैन नियम लागू करने में त्रुटि की ओर संकेत किया गया था। जर्नल द्वारा इस पत्र को प्रकाशित ना करने के कारण इसे प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस ने अल्बर्ट आइंस्टीन के पास भेजा और दोनो ने संयुक्त रूप से मिलकर इस शोध पत्र को प्रकाशित कराया। इस शोध पत्र में क्वांटम भौतिकी में बोस आइंस्टीन सांख्यिकी नामक नई शाखा की बुनियाद डाली गयी जिसके द्वारा सभी प्रकार के बोसान कणों के गुणधर्मों का पता लगाया जा सकता है।
डॉ. आर.एस. सिंह, डॉ अनिता शुक्ला, सीतेश्वरी चन्द्राकर एवं डॉ. अभिषेक मिश्रा ने बताया की प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस ने भौतिक विज्ञान को सिर्फ नया आयाम ही नहीं दिया बल्कि भौतिकी के छात्रों को नई उम्मीद भी दी, विद्यार्थी उनसे प्रेरणा लेते हुए अपने भविष्य को सफल बनाये। उन्होंने बताया प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस का नाम विज्ञान के इतिहास में अवधारणा और बोस आइस्टीन साख्यिंकी, बोस आइस्टीन संघनन के चलते अमर हो गया, विद्यार्थी प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस को जाने क्योंकि ब्रम्हाण्ड में आधे कण उनका पालन करते है। भारत सरकार ने प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस की उपलब्धि और योगदान को देखते हुए सन 1954 में भारत के दूसरे सर्वाेच्च सम्मान पद्यविभूषण से सम्मानित किया। अदिति सिंह तथा ओजस्वी सिन्हा ने प्रोफेसर एस.एन.बोस से जुडे तथ्यो को बताया।
प्रो. सत्येन्द्र नाथ बोस के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में एम. एस. सी. प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्याथिर्यों लिए नेट/सेट के पैटर्न पर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रतियोगिता रखी गयी जिसका आरंभ प्राचार्य डॉ. आर एन सिह द्वारा प्रतिभगियों के उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के साथ हुआ। डॉ. आर एन सिह ने बताया कि प्रतियोगी प्रतिस्पर्धा के दौर में सफलता अर्जित करने के लिए विद्याथिर्यों को समय के साथ सामंजस्य बनाते हुए अपनी तैयारी करनी चाहिए जिससे वे अपना जीवन सफल बना सके। विद्यार्थियों के बीच विज्ञान और इसके प्रति जिज्ञासा बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम विज्ञान से जूड़े तथ्यो को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करें जिससे विद्यार्थी नयी सोच तथा नये विचारों के साथ राष्ट्र की प्रगति में अपना योगदान दें सके तथा उन्होने कहा की आज के दौर में विद्यार्थीयों को अपनी सीमित मानसिकता से बाहर निकल कर अपनी उड़ान भरने के लिए आत्म मंथन एवं ज्ञानार्जन करना चाहिए जिसका दायरा पाठ्यक्रम तक सीमित न हो। आईक्युएसी कोआर्डिनेटर डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने कहा पिछले कुछ सालों से लगातार बढती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए विद्याथिर्यों को अपनी तैयारीयों को ज्यादा मुकम्मल और अचुक बनाने की आवश्यकता है, इसी बात को ध्यान रखते हुए इस प्रतियोगिता का आयोेजन किया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य विद्यार्थियों की तैयारी का आकलन करना तथा समय समय पर इसकी जॉच करना है, जिससे विद्यार्थी अपनी कमियों को जान सके तथा भविष्य में उसे दूर कर सके जिससे उनकी परीक्षा में सफल होने की संभावना बढ़ सके। इस प्रतियोगिता में एम.एस.सी प्रथम सेमेस्टर से समता, अदिति सिंह एवं भारती सिन्हा, एम. एस. सी. तृतीय सेमेस्टर से रोशन कुमार, रोहित कुमार एवं प्रियंका देवांगन ने क्रमश: प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी विजयी प्रतिभागियों को प्राचार्य डॉ. आर. एन. सिंह तथा विभाग के प्राध्यापकों द्वारा प्रमाण पत्र के साथ पुरूस्कार प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन अदिति सिंह तथा आभार प्रदर्शन सुरभि शर्मा द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान तीरथ सिन्हा, नीरज वर्मा, धनेष के साथ बडी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विपुल हरमुख एवं प्रकाश यादव कायोगदान रहा।

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