भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में ‘राष्ट्रीय हिन्दी पत्र लेखन प्रतियोगिता’ का पुरस्कार वितरण समारोह राजीव भट्टाचार्य, प्रबंध निदेशक एफएसएनएल के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। अध्यक्षता गंगाजली शिक्षण समिति के अध्यक्ष आईपी मिश्रा ने की। व्हीव्ही सत्यनारायण महाप्रबंधक कार्मिक एवं प्रशसन एफएसएनएल, पंकज त्यागी, महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा, नर्सिंग महाविद्यालय की सीओओ डॉ. मोनिषा शर्मा विशिष्ट अतिथि थे। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला के निर्देशन में कार्यक्रम का संयोजकत्व डॉ. सुनिता वर्मा विभागाध्यक्ष हिन्दी ने किया।एफएसएनएल के हिन्दी विभाग एवं महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका डॉ. नलिनि श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार व श्रीमती सरला शर्मा ने अदा की।
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. श्रीमती सुनीता वर्मा ने कहा आज सोशल मीडिया के प्रभाव के कारण पत्र लेखन मृतप्राय हो गया है। पत्र लिखना भावाभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण माध्यम है जिसमे मूलरूप में सुख-दुख की स्मृति को संजोकर अभिव्यक्ति करते है। पत्र लेखन प्रतियोगिता के माध्यम से हम विद्यार्थियों को पत्र लेखन की ओर पुन: उन्मुख कर सकेंगे।
राजीव भट्टाचार्य ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कहा कि बंसत पंचमी के दिन से ही लिखना पढ़ना आरंभ किया जाता है। इस प्रकार के आयोजन से पत्रलेखन लिखने की प्रेक्टिस करने से आपके बीच एक प्रकार का संबंध बनता है। पत्रलेखन एक प्रकार की कला है। गांधीजी के सपनों का भारत यह विशय गांधीजी को जानने एवं उनके सिद्धांतों के अपनाने के लिए बहुत ही उपयुक्त है किन्तु सपनों को पूरा करने के लिए हमें अभी और प्रयास करना होगा।
छगन लाल नागवंशी ने कहा कि पत्रलेखन से हमें तनाव से मुक्ति मिलती है आप रोज अपने माता, पिता, गुरूजनों को पत्र लिखा करें इससे मन हल्का लगता है।
प्राचार्य डॉ.हंसा शुक्ला ने कहा कि महाविद्यालय में विद्यार्थियों में पत्र लेखन के प्रति रूचि एवं कौशल विकसित करने के लिए इस प्रकार के आयोजन की आवश्यकता है। आज सोशल मिडिया वाट्सअप एवं फेसबुक का जमाना है जिसके कारण पत्र लेखन करना लगभग बंद हो गया है। पत्र लेखन से हमारी स्मृति अच्छी होती है। नई तकनीकी के संचार माध्यम में हम अपने भावों को अभिव्यक्त नही कर सकते है। एक मेसेज दे एवं उसे डिलिट करने पर अपनपे विचार अभिव्यक्त भी उसी समय खत्म हो जाती है।
पंकज त्यागी ने कहा कि महाविद्यालय को अच्छा ग्रेड मिलना एवं इस प्रकार का पत्रलेखन का आयोजन करना उनकी मेहनत का ही परिणाम है। इससें पत्रलेखन करने की विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलती है।
श्रीमती सरला शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों ने बहुत सुंदर लिखा है, मैं स्तब्ध थी। पत्रलेखन में एक औपचारिकता होती है। उसमें कुछ नियम होने है अपना नाम लिखे या रोल नम्बर लिखें, संबोधन स्थान नाम, दिनांक एवं भवदीय लिखकार अ.ब.स. लिखें नहीं तो पत्रलेखन गलत होगा। जब आप पत्र लिख रहे है तो विषयवस्तु को ध्यान में रखे।
डॉ. नलिनी श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इसके साथ ही उन्होंने गांधी जी को पढ़ा एवं उन्हें समझने का प्रयास किया जो इसे नए आयाम देता है।
श्रीगंगाजली शिक्षण समिति के चेयरमेन आईपी मिश्रा ने श्लोक उच्चारण से अपने विचारों को अभिव्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मैं न कवि न साहित्यकार हूं इस विषय पर मेरा बोलना मुश्किल है। गांधीजी भी श्रीराम के उपासक थे उन्होंने प्राण त्यागा तब भी उनके मुंह से राम ही शब्द निकला था। उन्होंने कहा श्रीराम की कर्तव्य परायणता एवं गुणों को महात्मा गांधीजी अपने जीवन में उतारा फिर भी उन्होंने अपनी महानता दिखाई ऐसा महान पुरुष सदियों में पैदा होता हैं। उजाले की कीमत वही समझेगा जिसने अंधेरा देखा हो।
पत्र लेखन में विजयी प्रतिभागियों को फेरोस्क्रेप निगम निगमन कार्यालय के सौजन्य से पुरस्कृत किया गया।
विजयी प्रतिभागियों के नाम इस प्रकार हैं – प्रथम नित्या शर्मा साइंस कालेज दुर्ग, द्वितीय दीपमाला साहू शा. महाविद्यालय धमतरी, तृतीय हेम प्रभा साहू शा. महाविद्यालय धमतरी। शुभम तिवारी संस्कार सिटी कॉलेज राजनांदगांव, सबीना परवीन महिला महाविद्यालय झारसुगुड़ा, अमित टंडन साइंस कालेज दुर्ग, रुचिता साहू भिलाई महिला महाविद्यालय, मयंक सिन्हा स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय भिलाई को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।
मंच संचालन डॉ. नीलम गांधी विभागाध्यक्ष वाणिज्य व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिन्दी ने दिया। प्रतियोगिता में उड़ीसा, मध्यप्रदेश, जयपुर आदि प्रदेशों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर डॉ. अजीता सजीत, आरती गुप्ता, शैलजा पवार, पूजा सोढ़ा, सुकृति चौहान एवं महाविद्याय के सभी प्राध्यापक व छात्र-छात्राएं शामिल हुईं। कार्यक्रम को सफल बनाने में दुर्गेश वर्मा फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड तकनीकी सहायक ने विशेष योगदान दिया।