महात्मा की पुण्यतिथि पर इनटैक ने किया परिचर्चा का आयोजन
भिलाई। ‘गांधी आज के समय में प्रासंगिक ही नहीं बल्कि हर दौर में शाश्वत हैं। उनकी जीवन-शैली, उनका दर्शन और व्यवहार, उनके विचार शताब्दियों तक भारत के सामाजिक-आर्थिक व राजनैतिक परिदृश्य में दिशाबोध कराते रहेंगे।’ उपरोक्त विचार प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक, लेखक व विधिवेत्ता कनक तिवारी ने भारतीय राष्ट्रीय कला व सांकृतिक धरोहर निधि (इनटैक) द्वारा साईं महाविद्यालय, सेक्टर-6 के सहयोग से गांधीजी की पुण्य तिथि पर आयोजित गांधी के विचारों पर परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि गांधी मितव्ययिता के महारथी थे। उन्होंने सैकड़ों कमरों वाले राष्ट्रपति भवन व अन्य ऐसी आवासीय इमारतों में कालेज-स्कूल खोलने व मंत्रियों एवं अन्य राजनेताओं को छोटे मकानों में रहने की वकालत की। वे नेताओं की सुरक्षा में लगने वाले व्यय को फिजूलखर्ची मानते थे। उन्होंने आगे कहा, गांधीजी सत्य के पुजारी थे, पर गांधीजी ने यह भी कहा कि वे सत्य के लिए अहिंसा छोड़ने की स्थिति तक भी जा सकते हैं।
श्री तिवारी ने यह भी बतलाया कि एक बार तो आश्रम में निवासरत कुष्ठरोगी बचोल शास्त्री की सेवा करने से मना करने पर गांधीजी ने अपनी पत्नी और बहन को साबरमती आश्रम से बाहर कर दिया था। श्री तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक मात्र ऐसा प्रक्षेत्र है जहाँ गांधी जी के आने के पहले ही अवज्ञा आन्दोलन को किसानों ने कंडेल में सफल कर दिया था। बाद में गांधीजी ने यहाँ आकर पं सुन्दरलाल शर्मा व आन्दोलनरत रहे किसानों को धन्यवाद दिया और हरिजनों को मंदिर में प्रवेश कराने जैसे कार्यों के कारण छत्तीसगढ़ के समाज सुधारक पं सुन्दरलाल शर्मा को गुरू माना।
आरम्भ में अतिथियों द्वारा गांधी जी के चित्र पर सूत-माल पहनाकर द्वीप प्रज्जवलन किया गया और महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ देशबंधु तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। इन्टेक के संयोजक डॉ डी एन शर्मा ने गांधी जी की जन्मतिथि के 150वें वर्ष इन्टेक द्वारा की जा रही गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि युवाओं को गांधी के विचारों से अवगत कराकर उन्हें अभिप्रेरित करना बौद्धिक वर्ग की जिम्मेदारी है। व्यंगकार विनोद साव ने मुख्य वक्ता का परिचय देते हुए गांधी के विभिन्न प्रसंगों की चर्चा की। कवि रवि श्रीवास्तव ने आभार प्रदर्शन करते हुए गांधीजी के छत्तीसगढ़ प्रवास के विषय में बतलाया। महाविधालय के छात्र भावेश ने भी अपने उदगार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन महाविध्यालय की उपनिदेशक डॉ ममता सिंह ने किया।
इस अवसर पर पूर्व महाअधिवक्ता कनक तिवारी का शाल, श्रीफल व प्रतीक-चिन्न से सम्मान भी किया गया। इस कार्यक्रम सैकड़ों विद्यार्थियों व प्राध्यापकगण के अलावा कुष्ठरोगियों के सेवक डॉ बी पी मुखर्जी, गांधी जी के विभिन्न प्रसंगों के दस्तावेजक आशीष दास, इन्टेक की सह संयोजक विद्या गुप्ता, महेंद्र देवांगन विशेष रूप से उपस्थित रहे।