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भूपेश ने हार्वर्ड में दिया गुरू घासीदास का संदेश, कहा ‘मनखे-मनखे एक समान’

Feb 17, 2020

नवरा-गरवा-घुरवा-बारी और मुख्यमंत्री हाटबाजार क्लिनिक का दिया ब्यौरा

CM Bhupesh Baghel on Guru Ghasidas at Harvardरायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में आयोजित भारत सम्मेलन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जाति व्यवस्था है लेकिन जाति वैमनस्यता कहीं देखने को नही मिलेगी। यह संतों की भूमि है। गुरू घासीदास ने ‘मनखे-मनखे एक समान’ का संदेश दिया था जो छत्तीसगढ़ के जनजीवन में व्याप्त है। उन्होंने भूगोल, अर्थव्यवस्था, राजनीति और संस्कृति के अंतरसंबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि जाति और राजनीति को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए।Bhupesh-Baghel-at-Harvard Bhupesh Baghel speaks at Harvard on politics in the Indian Sub-continentश्री बघेल यहां ‘लोकतान्त्रिक भारत में जाति और राजनीति’ विषय पर आयोजित चर्चा में भाग ले रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी देश का भूगोल उस देश की अर्थव्यवस्था तय करता है, भूगोल और अर्थव्यवस्था वहां की राजनीति। ये तीनों मिलकर इतिहास बनाते है। यह सब उस देश की संस्कृति तय करती है।
भूपेश ने कहा कि भारत में जाति और राजनीति परंपरा से दो बिन्दुओं पर निर्धारित करती है। जाति उत्पादन के साधन और अधिकार, दूसरा सम्मान पूर्वक जीने का गौरव, वहीं राजनीति आर्थिक सुरक्षा और सांस्कृतिक उत्थान निर्धारित भी करती है और प्रभावित भी करती है। छत्तीसगढ़ एक उदाहरण है जिसमें अनेक जातियां साथ-साथ रहती है और छत्तीसगढ़ के विकास में अपना योगदान दिया है। संत, महापुरूषों का प्रभाव भी इसमें पड़ा है। हमारे छत्तीसगढ़ में संत कबीर का प्रभाव, गुरू घासीदास जी, स्वामी आत्मानंद जी का प्रभाव रहा है। गुरू घासीदास जी ने कहा था मनखे-मनखे एक समान। यह बात आप छत्तीसगढ़ में देख सकते है। यहां किसी प्रकार का भेदभाव नही है। यहां जाति व्यवस्था है लेकिन जाति वैमनस्यता कहीं देखने को नही मिलेगी। यह छत्तीसगढ़ की खासियत है।
उन्होंने कहा कि जातियों को जब तक राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व, उनकी जनसंख्या के आधार पर प्रजातंत्र में उनके अधिकार सुरक्षित नहीं किए जाएंगे तब तक हम उत्पादन के अधिकार और गौरवपूर्ण नागरिकता को लक्षित नहीं कर पाएंगे। इसलिए हम बाबा साहब अम्बेडकर के दिखाए रास्ते पर चलकर मजबूत राष्ट्र बना सकते है। जातियों की आर्थिक और सामाजिक मजबूती के लिए मनखे-मनखे एक समान के आदर्श को बढ़ाना पड़ेगा। प्रज्ञा, करूणा और मैत्री के आधार पर सामाजिक सरोकार को बढ़ाना होगा।
उन्होंने कहा कि गांव के स्वालंबन को गांधी जी के बताए रास्ते पर चलकर लाना होगा। समृद्व राष्ट्र और सम्मानित समाज का निर्माण करना होगा। मुख्यमंत्री ने अपना उद्बोधन स्वामी विवेकानंद के उस वाक्य से किया जिसमें उन्होंने कहा था – ‘मैं उस देश का प्रतिनिधि हूं, जिसने मनुष्य में ईश्वर को देखने की परंपरा को जन्म देने का साहस किया था और जीव में ही शिव है और उसकी सेवा में ही ईश्वर की सेवा है।
मुख्यमंत्री ने उद्बोधन के बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के भी जबाव दिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना चलायी जा रही है। महिलाओं और बच्चों में एनीमिया और कुपोषण से मुक्ति के लिए सुपोषण अभियान और ग्रामीण हॉट बजारों और शहरी स्लम इलाकों में चलिए चिकित्सालयों के बेहतर परिणाम सामने आए है। किसानों की कर्जमाफी, 2500 रूपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी और लघु वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी से किसानों और वनवासियों की क्रय शक्ति बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मेहनतकश किसानों को उनके उत्पादन का सही दाम प्रदान करने के साथ उनका सम्मान बढ़ाया है। आज प्रदेश के किसानों के चेहरे मे किसी भी प्रकार की सिकन नही है। विश्वव्यापी मंदी के बावजूद छत्तीसगढ़ इससे अछूता रहा। राज्य सरकार खेती को लाभकारी बना रही जिससे इस साल डेढ़ लाख अधिक किसानों के अपना पंजीयन कराया है। नक्सलवाद पर पूछे गए प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों से अशिक्षा, गरीबी, भूखमरी और शोषण को दूर करने से इस समस्या से मुक्ति मिल सकेगी।

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