कॉमर्स गुरू ने केपीएस कुटेलाभाठा के टीचर्स को किया प्रेरित
भिलाई। शिक्षक अपने विषय से प्यार करें। किसी भी टॉपिक को पढ़ाने के कई तरीके हो सकते हैं। उसपर रिसर्च करें। नए-नए तरीकों की खोज करें। इससे विषय जीवंत रहेगा और स्टूडेन्ट्स को उससे जोड़ना संभव होगा। उक्त बातें कॉमर्स गुरू एवं मोटिवेशनल स्पीकर डॉ संतोष राय ने केपीएस कुटेलाभाठा के टीचर्स को बेहतर शिक्षक बनने के टिप्स देते हुए कहीं। इस अवसर पर समूह के चेयरमैन मदन मोहन त्रिपाठी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों द्वारा माता सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। डॉ संतोष राय ने एक सवाल का जवाब देते हुए स्वीकार किया कि एक ही विषय को बार-बार पढ़ाते हुए शिक्षक स्वयं ऊब सकता है। विषय में उसकी रुचि कम हो सकती है। पर याद रखें कि यदि विषय या टॉपिक में आपकी रुचि कम हुई तो विद्यार्थी भी उससे जुड़ नहीं पाएंगे। टॉपिक को पढ़ाने के नए तरीके ढूंढते रहें तो आपकी स्वयं की रुचि उसमें बनी रहेगी और आप पूरी ऊर्जा के साथ पढ़ा पाएंगे और विद्यार्थियों में भी उत्साह का संचार कर पाएंगे।
रामायण एवं महाभारत से उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि आप अपने विद्यार्थी में जिन गुणों का विकास करना चाहते हैं, स्वयं को उसका उदाहरण बनाना होगा। केवल जुबानी जमाखर्च से कुछ हासिल नहीं होने वाला। अपने विषय से प्यार करें, उसकी गहराई में जाएं और सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए सतत् अन्वेषण करें।
संस्था के चेयरमैन एवं वरिष्ठ शिक्षाविद मदन मोहन त्रिपाठी ने गुरू द्रोणाचार्य के प्रसंग का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि द्रोणाचार्य राजगुरू थे। उनपर अर्जुन को श्रेष्ठ धनुर्धर बनाने की जिम्मेदारी थी। इसलिए उन्हें एकलव्य से उसका अंगूठा मांगना पड़ा। इस घटना के बाद तीरंदाजी ही बदल गई। तीरंदाजी में अंगूठे की जरूरत ही खत्म हो गई।
प्रश्नोत्तर सत्र में शिक्षकों ने अनेक प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। आरंभ में श्री त्रिपाठी ने डॉ संतोष राय का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि टीचिंग को प्रफेशन के साथ साथ पैशन के रूप में अपनाना होगा, तभी आप बेहतर टीचर बन सकते हैं। इस अवसर पर प्राचार्य मृदु लखोटिया, उप प्राचार्य, सलाहकार, शाला प्रशासक सहित सभी टीचर्स उपस्थित थे।