दुर्ग। उच्च शिक्षा के नए सत्र पर एक वेबिनार का आयोजन शासकीय वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में किया गया। वैश्विक महामारी कोविड-19 के विकराल स्वरूप के चलते सभी को फिजिकल और सोशल दूरी बनाये रखना है और उच्च शिक्षा की प्रतिष्ठा और कार्यपालन भी करना है। वर्तमान समय उच्च शिक्षा के लिये बहुत कठिन है। परीक्षा कार्य संपन्न कराना है और नये सत्र की चुनौतियाँ भी है। इन बातों को निहित करते हुये वेबीनार को विभिन्न सत्र में बाँटा गया था। वेबिनार की शुरूआत करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य एवं अपर संचालक डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में हमें आॅनलाईन शिक्षण व्यवस्था को अपनाना होगा। वीडियो लेक्चर के माध्यम से पढ़ाई तो हो साथ ही हमें विद्यार्थियों के सतत संपर्क में भी रहना है और उनकी समस्याओं को हल करना है। नये सत्र में हमें पाठ्यक्रम का एक हिस्सा आॅनलाइन ही पढ़ाना होगा। विद्यार्थियों में भी इसके लिए गंभीरता हो इसका प्रयास किया जाना चाहिए।
अतिथि वक्ता डॉ. आर.एन. सिंह, प्राचार्य, शास. व्ही.वाय.टी. स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग ने ‘प्रवेश और शैक्षणिक कैलेण्डर’ पर चर्चा करते हुये कहा कि आने वाले समय में भी कक्षाओं के लिए आॅनलाइन प्रवेश अनिवार्य करना होगा। प्रवेश के लिये आवेदित विद्यार्थियों का समय खराब न हो इसलिये प्रत्येक महाविद्यालय एक समान नियत तिथि में प्रवेश सूची निकालें। डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था सुदृढ़ करनी होगी। शैक्षणिक कैलेण्डर पर वर्तमान आवश्यकता के अनुसार तय किये जाएं। 40: प्रतिशत कक्षायें आॅनलाइन ली जा सकती है।
अतिथि वक्ता विकास पंचाक्षरी ने पावर प्वाईन्ट प्रस्तुति के माध्यम से परीक्षाएँ-सामंजस्य और संतुलन को बखूबी समझाते हुए कहा कि यदि डिजिटल परीक्षायें लेनी पड़े तो उसके लिये प्रणाली में परिवर्तन लाना होगा। मल्टीपल च्वाइस क्वेश्चन (वैकल्पिक प्रश्न) की व्यवस्था करायें और समयावधि को भी दो घंटे किया जा सकता है। उन्होंने वर्तमान परीक्षा प्रणाली एवं उसमें भविष्य में होने वाले परिवर्तनों पर बड़ी सूक्ष्मता से अपना पक्ष रखा।
वक्ता डॉ. ऋचा ठाकुर ने नये सत्र में शैक्षणेत्तर गतिविधियों पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि लॉकडॉऊन की स्थिति में विद्यार्थियों में नकारात्मक मानसिक दबाव शैक्षणेत्तर गतिविधियों के माध्यम से दूर कर सकते हैं। बहुत सी प्रतियोगिताएँ आॅनलाईन पोर्टल पर करायी जाए। ब्लॉग, पॉडकास्ट, यूट्यूब माध्यम बन सकते है। छात्रसंघ गतिविधियों के लिये आॅनलाईन क्लब बनाये जा सकते है।
वेबिनार की आयोजन प्रभारी और वक्ता डॉ. रेशमा लाकेश ने शोध एवं प्रायोगिक कार्य पर पावर प्वाइन्ट प्रस्तुति करते हुये कहा कि आज के समय की मांग डिजिटल होने की है। फिजिकल दूरी बनाये रखने की आवश्यकता को देखते हुये प्रयोगिक कार्य के बाद उन्हें प्रोजेक्ट/डिजर्टेशन दिये जा सकते है।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों ने अपने विचार व्यक्त किये। वैशालीनगर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अल्का मेश्राम ने प्रवेश प्रक्रिया पर अपने विचार व्यक्त किये। डॉ. अमिता सहगल, डॉ. के.एल. राठी, डॉ. भारती सेठी, डॉ. अल्का दुग्गल, डॉ. मीनाक्षी अग्रवाल, डॉ. मुक्ता बाखला, डॉ. यशेश्वरी धु्रव, डॉ. मिलिन्द अमृतफले, अनिंदिता बिश्वास, प्रज्ञा मिश्रा ने सुझाव और विचार व्यक्त किये। लगभग 98 प्रतिभागियों की उपस्थिति इस वेबिनार की सफलता को बताती है। संचालन डॉ. रेशमा लाकेश एवं आभार प्रदर्शन श्रीमती ज्योति भरणे ने किया।