भिलाई। एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। कतर से सीएनई एजुकेटर एवं क्वालिटी चैम्पियन रेशमी जॉन, वी-केयर कॉलेज ऑफ नर्सिंग अम्बिकापुर की प्राचार्य श्रीमती मंगाय्यरकरसी, विनायक मिशन कॉलेज ऑफ नर्सिंग कराइकल की एसोसिएट प्रोफेसर श्रीमती कलाइवनी ने विभिन्न विषयों पर सारगर्भित प्रजन्टेशन दिए। प्राध्यापक एवं व्याख्याताओं सहित 100 से अधिक विद्यार्थियों ने इस वेबीनार का लाभ लिया।महाविद्यालय की निदेशक श्रीलेखा विरुलकर के आशीर्वाद से आयोजित इस वेबीनार का संचालन एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग के सीनियर स्टाफ ने किया। अतिथियों का परिचय एसोसिएट प्रफेसर जे डैनियल तमिलसेलवन ने दिया। स्वागत भाषण प्राचार्य सी कन्नम्मल ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन उप प्राचार्य सिजी थॉमस ने किया।
प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए कतर से क्वालिटी चैम्पियन रेशमी जॉन ने नर्सिंग डायग्नोसिस विषय पर अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने कहा कि नर्स स्वास्थ्य प्रदायगी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। मरीज से संवाद स्थापित करना, उसकी शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक स्थिति का आकलन करना उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंन इसके विभिन्न उपायों की चर्चा करते हुए प्रोटोकॉल को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि नर्सों को मेडिकल शब्दावली के बजाय सादी-सहज भाषा में मरीज से संवाद स्थापित करना चाहिए।
द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए वी-केयर कालेज ऑफ नर्सिंग की प्राचार्य श्रीमती मंगाय्यरकरसी ने प्रसव पश्चात प्रसूता की देखभाल विषय पर अपना वक्तव्य रखा। पोस्ट पार्टम हेमरेज की निगरानी एवं प्रबंधन पर अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने कहा कि प्रसव पश्चात रक्तस्राव आज भी मृत्यु का एक बड़ा कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक आज भी प्रति एक लाख प्रसव में एक हजार प्रसूताओं की रक्तस्राव के चलते मृत्यु हो जाती है। उन्होंने इसकी रोकथाम के लिए टोन, ट्रॉमा, टिशू एवं थ्रॉम्बिन का सूत्र दिया।
तृतीय एवं अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए विनायक मिशन कॉलेज कराइकल की एसोसिएट प्रोफेसर श्रीमती कलइवानी ने नवजात शिशु की सघन चिकित्सा पर अपना प्रजेन्टेशन दिया।
आरंभ में श्रीलेखा विरुलकर ने कोविड-91 लॉकडाउन से उत्पन्न हुई स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि तकनीक ने इस संकट को अवसर में तब्दील किया है। देश विदेश के विशिष्ट विद्वानों को सुनने और समझने का अवसर मिला है। हमें इसका अधिकाधिक लाभ लेना चाहिए। तभी यह सार्थक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि दूरस्थ अंचलों में रहने वाले जो विद्यार्थी तकनीकी कारणों से इसमें शामिल नहीं हो पाए, उनतक इसकी वीडियो रिकार्डिंग पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। इन व्याख्यानों की रिकार्डिंग ई-लाइब्रेरी में संरक्षित करने की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया।