भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल की इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ शुमायला असलम ने लोगों से अपील की है कि वे जानलेवा डेंगू-मलेरिया से बचने के हर संभव उपाय करें। मच्छरों से होने वाली इन दोनों बीमारियों के कुछ प्रकार हैं जो जानलेवा साबित होते हैं। पिछले वर्षों में शहर ने इसका ताण्डव देखा है और एक बार फिर मौसम बदलने के साथ ही इसके मामले आने शुरू हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल डेंगू के इलाज के लिए भिलाई-दुर्ग का अधिकृत केन्द्र है।
शुमायला ने बताया कि डेंगू की चार किस्में पायी जाती हैं। सामान्य डेंगू में तेज बुखार के साथ बदन दर्द होता है और शरीर पर दाने उभर आते हैं। यह जल्द ठीक हो जाता है। कुछ मामलों में लक्षण नहीं होते पर टेस्ट करने पर पॉजीटिव आता है। क्लासिकल डेंगू में भी यही लक्षण होते हैं जो सामान्य इलाज से ठीक हो जाता है। हेमरेजिक या खूनी डेंगू में प्लेटलेट और श्वेत रुधिर कण कम होने लगते हैं और नाक, मसूढ़ों या भीतरी अंगों से रक्तस्राव होने लगता है। इलाज में थोड़ी सी भी लापरवाही से यह खतरनाक सिद्ध हो सकता है। डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीज की नब्ज डूबने लगती है और वह अचेत होने लगता है। तेज बुखार के बावजूद त्वचा ठंडी लगती है। डेंगू के लक्षण भ्रमित कर सकते हैं इसलिए इस मौसम में बुखार होने पर तत्काल अस्पताल से सम्पर्क करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इसी तरह फैल्सीपेरम मलेरिया (एक प्रकार) में भी रोगी की जान को खतरा हो जाता है। वह कभी भी अचेत हो सकता है और मिनटों में जान जा सकती है। चिकनगुनिया भी एक ऐसी ही जानलेवा बीमारी है जिसने पूरी दुनिया में आतंक मचाया है।
शुमायला बताती हैं कि मच्छरों के प्रकार पर ध्यान देने के बजाय हमें मच्छरों से खुद को पूरी तरह सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। घर के आसपास पानी न जमा होने दें। खाली डब्बे, बोतलें, पुराने टायर, कूलर आदि में पानी न जमा होने दें। ठहरा हुआ पानी ज्यादा खतरनाक होता है। बच्चों को झाड़ियों के इर्द-गिर्द खेलने से रोकें। पूरी बांह की कमीज और फुलपैंट पहनकर ही बच्चे खेलने जाएं। मच्छरदानी, संभव हो तो औषधियुक्त मच्छरदानी का उपयोग करें। बुखार होने पर तत्काल अस्पताल से सम्पर्क करें और जांच करवाएं। समय पर इलाज से इन सभी बीमारियों से निपटा जा सकता है।
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