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साइंस कालेज के बायोटेक्नालॉजी विभाग में कोरोना के निदान पर वैज्ञानिक वेबिनार

Jun 3, 2020

Webinar on Research in the firld of Coronaदुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा कोरोना समस्या के निदान पर 31 मई को एक अन्तराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह तथा वेबिनार के संयोजक बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य कोरोना समस्या पर अबतक किया गया शोध कार्य का समीक्षा करना तथा अगामी शोध हेतु दिशा निर्देश प्राप्त करना था।

https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfb7pYxIEnu0j7udMpA3lwL-q7BCzT9SRDxibFFfj4j3mihnw/viewform?usp=sf_link
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मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. ज्योति शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं तकनीकि मंत्रालय, भारत सरकार उपस्थित थी। डॉ. शर्मा ने कोरोना विषाणु पर अब तक किये गये शोध कार्य की समीक्षा की तथा भारत सरकार के विभिन्न संस्थानों द्वारा इस विषय पर किये जा रहे शोध का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत सरकार द्वारा प्रायोजित सभी शोध परियोजनाओं की जानकारी दी।
दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर से डॉ. रविकान्त उपाध्याय ने थर्मल एरोमा कार्बण फ्यूजन थैरेपी द्वारा कोरोना विषाणु के नियंत्रण की प्रक्रिया पर विशेष प्रकाश डाला तथा बताया कि इस पद्वति से नासिका, ट्रैकिया तथा फेफड़े को कैसे विषाणु से मुक्त रखने की संभावना है।
पूर्वाचंल विश्वविद्यालय जैनपुर से प्रोफेसर बंदना राय ने कोरोना विषाणु की संरचना एवं उसके जीनोम पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा बताया की विषाणु के जीनोम में कैसे परिवर्तन हो रहा है तथा परिवर्तित जीनोम के कारण इसके विरुद्ध ड्रग के निर्माण में क्या समस्या आ रहा है। इन्होने विषाणु के कुछ प्रोटीन को केन्द्रीत कर ड्रग के विकास की संभावना को रेखांकित किया।
महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय से डॉ. शशिकान्त रे तथा डॉ. अभिजीत कुमार द्वारा संयुक्त रूप से किये गए शोध कार्य का प्रस्तुति दिया गया। इन वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना विषाणु के स्पाइक प्रोटिन की 3-डी संरचना की विस्तृत जानकारी दी गई तथा औषधीय पौधों के सेकेन्डरी मेटाबोलाइट द्वारा स्पाइक प्रोटीन को निष्क्रीय कर मनुष्य के ए.सी.ई.-2 प्रोटीन द्वारा कोरोना विषाणु को मानव कोशिका में प्रवेश को नियंत्रित करने की संभावना व्यक्त की गई। इन सिलिको अध्ययन में इस कार्य में इन वैज्ञानिकों द्वारा सफलता प्राप्त किया गया है। साथ ही इस कार्य में ए. एम. डी. ई. का परीक्षण भी सफल होने की बात की गयी है जिसे अब मानव कोषिका में प्रयोग करने का कार्य किया जाना है।
समापन सत्र में संयोजक डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने सभी सत्रों का समीक्षा करते हुए निम्नालिखित निष्कर्ष प्रस्तुत किया –
1. हमारे देश के विभिन्न इथनीय समुदाय का जीनोम अध्ययन की आवश्यकता
2. औषधीय पौधों के विभिन्न सेकेन्डरी मेटाबोलाईट द्वारा कोरोना विषाणु के विभिन्न प्रोटीन की डॉकिंग की संभावना के अध्ययन की आवश्यकता
3. सफल मॉलीक्युल का इन विवो तथा इन विट्रो अध्ययन की आवष्यकता तथा सम्बन्धित फार्मेकोकाइनेटीक तथा फार्मेकोडायनीमीक अध्ययन की आवष्यकता।
4. कोरोना विषाणु के जीनोम में होने वाले सम्पूर्ण परिवर्तन की सीक्वेंसिंग तथा टारगेट जीन का पहचान।
डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि कोरोना विषाणु के स्पाइक प्रोटीन का पौधों के मेटाबोलाइट द्वारा डॉकिंग का कार्य महाविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में चल रहा है तथा वेबिनार से प्राप्त ज्ञान के आधार पर आगे इस कार्य को बढ़ाया जाएगा। विभाग को इस वेबिनार से अपने शोध कार्य को आगे बढाने में काफी सहायता प्राप्त हुआ है।
प्राचार्य डॉ. आर. एन. सिंह ने बताया कि यह वेबिनार राष्ट्रीय स्तर का था जिसमे 16 राज्यों से भागीदारी के साथ – साथ चीन तथा मयन्मार से भी अच्छी संस्था में प्रतिभागीओं ने भाग लेकर इसे अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप दे दिया। विदेष के प्रतिभागीयों ने प्रस्तुतकतर्ओं से सवाल भी पूछा जिसका उत्तर दिया गया।
प्राचार्य ने बताया कि इस वेबिनार का महत्वपूर्ण बिन्दु के रूप में प्रतिभागियों द्वारा डिपे्रशन पर सवाल पूछा गया जो काफी अधिक संख्या में देखने को मिला यह हमारे लिए चिंता का विषय है। वेबिनार से प्राप्त जानकारी के आधार पर महाविद्यालय द्वारा अपने छात्र-छात्राओं को डिपे्रषन से बचाने हेतु शीध्र ही महाविद्यालय द्वारा एक विषेष कार्यक्रम आरंभ किया जा रहा है। प्राचार्य ने आयोजको, प्रस्तुतिकर्ताओं तथा प्रतिभागीयो को इस सफल आयोजन हेतु बधाई दिया।

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