खपरी। देव संस्कृति कॉलेज ऑफ एजुकेशन एण्ड टेक्नोलॉजी खपरी दुर्ग में 17 जुलाई को वाणिज्य विभाग द्वारा एक दिवसीय नेशनल वेबीनार का आयोजन बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर किया गया। इसमें 300 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा इस वेबीनार की मुख्य अतिथि थीं। विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव, विषय विशेषज्ञ डॉ बेनीधर देशमुख, प्राध्यापक भूगर्भ विज्ञान इग्नू नई दिल्ली, डॉ अमित दुबे वैज्ञानिक (सीजी कास्ट, रायपुर), डीएससीटी के प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच, संयोजक सहायक प्राध्यापक वाणिज्य शाहिना बेगम एवं श्वेता साव उपस्थित रहे।महाविद्यालय की डायरेक्टर ज्योति शर्मा ने कहा कि देव संस्कृति महाविद्यालय का उद्देश्य ऐसे नवयुवकों का निर्माण करना है जो कि श्रेष्ठतम नागरिक, समर्पित स्वयं सेवक, प्रखर राष्ट्रभक्त और विषय विशेषज्ञ होने के साथ-साथ देव मानव बनाना है।
प्राचार्य डॉ कुबेर गुरुपंच ने उद्घाटन भाषण देते हुए कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार मानवीय बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देने में सहायक है। जिन देशों की बौद्धिक सम्पदा अधिकार व्यवस्था सुव्यवस्थित है वहां आर्थिक विकास तेजी से हो रही है। 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक सम्पदा दिवस मनाया जाता है। बौद्धिक सम्पदा अधिकार मानसिक रचनाएं, कलात्मक और वाणिज्यिक दोनों के सन्दर्भ में विशेष अधिकारों के समूह हैं। इसमें कापीराइट, पेटेन्ट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन एवं भौगोलिक संकेतों से परिचय कराना है।
की-नोट स्पीकर कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग में एक कापीराइट कार्यालय की स्थापना की गई है। बौद्धिक सम्पदा अधिकार अस्थाई एकाधिकार है जो राज्य द्वारा अभिव्यक्ति और विचारों के उपयोग के संबंध में लागू किया जाता है। उन्होंने बौद्धिक अधिकारों की आवश्यकता और पेटेंट पर विस्तृत चर्चा करते हुए महाविद्यालय को शुभकामनाएं दीं।
रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार, पेटेन्ट, कापीराइट, औद्योगिक आन्तरिक एवं बाह्य डिजाइनिंग ट्रेडमार्क पर अपनी बात शतरंज के खिलाड़ी का उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया। उन्होंने नवाचारों पर ध्यान देने की बात कही।
डॉ बेनीधर देशमुख ने आइपीआर की विभिन्न शाखाओं पर पीपीटी के द्वारा सारगर्भित पहलुओं पर चर्चा की और आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पेटेंट, स्वामित्व अधिकार एवं ट्रेडमार्क के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं।
डॉ अमित दुबे ने पेटेंट अधिकार के बारे में बहुत सरल शब्दों समझाया। उन्होंने साफ किया कि किन वस्तुओं का पेटेन्ट किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों का पेटेंट नहीं किया जा सकता। पेटेंट उन्हीं चीजों का होता है जिसमें किसी नई वस्तु का नए ढंग से निर्माण किया गया हो। अनुसंधान कार्य प्रारंभ करते समय ही पेटेंट के लिए आवेदन किया जा सकता है। तय समय सीमा के भीतर काम पूरा करना होता है।
कार्यक्रम का संचालन संयोजन शाहिना बेगम ने किया एवं आभार प्रदर्शन सह-संयोजक श्वेता साव ने किया। कार्यक्रम में जयहिन्द कछोरिया, गणेश साहू और योगेश साहू के द्वारा तकनीकी सहयोग प्रदान किया गया।