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चुनौतियों का सामना करने के लिए एकता और अखंडता जरूरी – प्रो संजय द्विवेदी

Jul 3, 2020

एमजे कालेज में भारतीय सीमाओं पर बढ़ते तनाव में पत्रकारिता की भूमिका पर राष्ट्रीय वेबीनार

Media with agenda posing new challenges : Prof Sanjay Dwivediभिलाई। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रो संजय द्विवेदी ने आज कहा कि समाचात्रों की शुद्धता बनाए रखना जहां एक तरफ मीडिया की जिम्मेदारी है वहीं पाठकों को भी इस दिशा में सचेत रहना होगा। उन्होंने कहा कि एजेंडे वाली पत्रकारिता के चलते कुछ चुनौतियां उभरी हैं जिनका मुकाबला सबको मिलकर करना होगा। प्रो द्विवेदी एमजे कालेज द्वारा भारतीय सीमाओं पर बढ़ते तनाव में पत्रकारिता की भूमिका पर राष्ट्रीय वेबीनार को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। Country needs to stay united to take on challenges : Prof. Sanjay Dwivediप्रो द्विवेदी ने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया में होने वाली बहसों ने माहौल खराब कर रखा है। एक तरफ हम देश के भीतर आतंकवाद से जूझ रहे हें, वहीं सीमाओं पर दुश्मन ने हमें परेशान कर रखा है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण से अपनी जनता को बचाना प्राथमिकता है। ऐसे समय में हमे एक राष्ट्र के रूप मे अपनी मजबूती का परिचय देना होगा। एकता और अखंडता से ही सभी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश ने कई बार इस एकता का परिचय दिया है। सीमा पर दक्षिण का सिपाही शहीद होता है तब भी पूरा देश उसके परिवार के दर्द को महसूस करता है। इस एकता में खलल डालने वाली शक्तियों से बचने की जरूरत है। डॉ संजय द्विवेदी को आज ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन का महानिदेशक नियुक्त किया गया है। इस पद पर आने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था।
वेबीनार को अपना आशीर्वचन देते हुए हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने इस बेहद सामयिक विषय पर वेबीनार के आयोजन के लिए एमजे महाविद्यालय परिवार को अपनी शुभकामनाएं दीं।
आरंभ में महाविद्यालय की निदेशक श्रीलेखा विरुलकर ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि आज सीमा, विशेषकर चीन से लगती सीमा पर हो रही घटनाओं को लेकर पूरा देश उद्वेलित है। सूचनाओं की सत्यता परखने का आम आदमी के पास कोई जरिया नहीं है। ऐसे में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। इसी दिशा में लोगों को जागरूक करने और खबरों को सही परिप्रेक्ष्य में सुनने, समझने और साझा करने के लिए ही इस वेबीनार का आयोजन किया गया है।
सीएमएस जैन डीम्ड यूनिवर्सिटी के मीडिया स्टडीज विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर भार्गवी डॉ हेमिंगे ने शरारती खबरों की चर्चा की। उन्होंने विभिन्न समाचारों का उल्लेख करते हुए उनके पीछे छिपे हुए उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इसी महाविद्यालय के व्याख्याता नीरज देव ने कहा कि खबरों की सत्यता जानने के कई उपाय हैं किन्तु हम केवल उन्हीं खबरों या चैनलों को देखना पसंद करत हैं जो हमारी सोच के अनुरूप होते हैं। इसका प्रभाव दोनों तरफ पड़ता है। उन्होंने आंकड़ों के जरिए अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि 35 से कम उम्र के केवल 15 फीसदी लोग ही आज अखबारों के भरोसे हैं। वे अपनी जानकारी के लिए अन्य सूचना स्रोतों का उपयोग करते हैं।
दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक राजकिशोर भगत ने प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के कार्य करने के तरीकों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि घटनाओं को दिखाने की जल्दबाजी में कभी-कभी चूक हो सकती है पर प्रिंट मीडिया के पास सभी खबरों को पुष्टि के बाद छापने के लिए पर्याप्त समय होता है। दिक्कत तब आती है जब पत्रकार सूचनाओं में अपनी सोच को जोड़ने लगता है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सड़क हादसे में किसी की मौत एक खबर है। इसे जिधर से भी देखो यह सत्य ही है। किन्तु यदि हम लिखें कि ट्रक ने रौंदा या ट्रक ने अपन चपेट में ले लिया तो ट्रक या ट्रक वाला दोषी लगने लगता है।
वक्ताओं का परिचय शिक्षा संकाय की अध्य़क्ष डॉ श्वेता भाटिया, डॉ जेपी कन्नौजे, गायत्री गौतम ने दिया। वेबीनार का संचालन एवं मॉडरेशन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने किया। महाविद्यालय की निदेशक श्रीलेखा विरुलकर के संरक्षण में आयोजित इस राष्ट्रीय वेबीनार को सफल बनाने में आईक्यूएसी प्रभारी अर्चना त्रिपाठी, शकुंतला जलकारे, नेहा महाजन, उर्मिला यादव, मंजू साहू आदि का विशेष योगदान रहा।

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