जो मजा बासी-चटनी में है, वो ब्रेड चबाने में कहां – पद्मविभूषण तीजन

भिलाई। देश विदेश में पंडवानी की धूम मचाने वाली पद्मविभूषण तीजन बाई को बासी-चटनी बेहद पसंद है। वो कहती हैं कि परदेस में प्यार और सम्मान तो बहुत मिला, पर उनका खान-पान नहीं सुहाया। ब्रेड पर कुछ भी लगा लेते हैं और चबाते रहते हैं। जो बात भारतीय मसालेदार भोजन में है, वह उनके भोजन में नहीं। परम्पराओं को तोड़कर 13 साल पहले पंडवानी की कापालिक शैली को अपनाने वाली तीजन सफलता के उच्चतम सोपान पर हैं।

Teejan with author Deepak Ranjan Das
पद्मश्री, पद्मभूषण एवं पद्मविभूषण तीजन भारत रत्न से केवल एक कदम दूर हैं। इस यात्रा में उन्हें कला एवं साहित्य के शीर्ष सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। समाज में प्रतिष्ठा बढ़ी, आर्थिक स्थिति में भी आमूलचूल बदलाव आ गया। पर अगर कुछ नहीं बदला, तो वह है तीजन का ठेठ देहातीपन। अद्भुत है उनका बासी प्रेम। विदेश प्रवास के दौरान भी चावल मिलते ही वे अपने लिए बासी की व्यवस्था कर लेती हैं। बात चाहे प्रस्तुति की हो या राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार-सम्मान प्राप्त करने की, वे बासी खाकर ही जाती रही हैं।
पाटन गनियारी स्थित अपने आवास में वे अपने नाती-पोता चंती-पंती के साथ रहती हैं। कार्यक्रम देने बाहर भी जाती हैं पर छूटते ही सीधे अपने गांव लौटती हैं। वे बताती हैं कि एक बार इंडिया टुडे का एक पत्रकार उनका इंटरव्यू लेने के लिए आया। उसने उनके बासी प्रेम के बारे में सुन रखा था। आते ही उसने पहले बासी की मांग की। तीजन ने उसे समझाया भी कि पहले साक्षात्कार कर ले फिर बासी भी खा ले। पर वह जिद पर अड़ा रहा। उसे बासी परोस दिया गया। उसने मांग मांग कर बासी खाई और पेज भी पी गया। इसके बाद वह साक्षात्कार नहीं ले पाया। नींद में झूमता हुआ वह भिलाई निवास लौट गया। इंटरव्यू दूसरे दिन हुआ।
Leave a Reply