दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग तथा आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में एमएसएमई पर एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। इस वेबीनार के मुख्य अतिथि प्रोफेसर राजकुमार सिंह, कुलपति पंजाब विश्वविद्यालय चंड़ीगढ़ तथा अध्यक्ष डॉ अरूणा पल्टा, कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय एवं संरक्षक डॉ आर.एन. सिंह प्रिसिंपल, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग थे। वेबीनार के समन्वयक डॉ ओ.पी. गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में विश्व के प्रत्येक देश के आर्थिक विकास में एमएसएमई का महत्वपूर्ण योगदान है। इस क्षेत्र के उद्यम को प्रत्येक देश की रीड की हड्डी और उस देश की जीवन दायिनी कहा जाता है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है। अतः हमारे देश के औद्योगिक विकास के लिए एम.एस.एम.ई का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक काल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि उस काल में हमारे परंपरागत लद्यु एवं कुटीर उद्योगों में निर्मित होने वाली सामग्री विश्व प्रसिद्ध थी एवं देश की कला एवं संस्कृति का विकास अपनी चरम सीमा पर था। इस प्रकार प्रारंभ से ही इस क्षेत्र में संलग्न उद्यमों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
वर्तमान में एमएसएमई अधिनियम 2006 के अंतर्गत इन उद्यमों को टर्न ओवर के आधार पर 3 वर्गों (सूक्ष्म उद्यम, लद्यु उद्यम तथा मध्यम उद्यम) में विभाजित किया गया है। भारत देश वर्ष 2024 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डालर तक ले जाने की योजना बनाकर आर्थिक विकास करना चाहता है, जिसमें एमएसएमई क्षेत्र से 2 ट्रिलियन डालर के योगदान की कार्ययोजना पर अग्रसर है।
डॉ आर.एन. सिंह ने आमंत्रण उद्बोधन में विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि एमएसएमई न केवल बड़े उद्योगों की तुलना में कम पूंजी लागत पर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर प्रदान करते है, अपितु ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगिकरण में सहायक होते है और इस प्रकार क्षेत्रीय असंतुलन को कम करते हुए राष्ट्रीय आय और संपति के समान वितरण का अवसर समाज में पैदा करते है।
डॉ अरूणा पल्टा, कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के विकास में एमएसएमई उद्योगों की अहम भूमिका होती है। भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ विकासशील है। अतः देश के विकास में प्राचीन काल से ही लद्यु एवं कुटीर उद्योगों का महत्व व उसके योगदान को वर्तमान समय में हम कम नही कर सकते।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ स्नेहा विनायक देषपाण्डे, आर टी एम यूनिवर्सिटी नागपुर, विषय विषेषज्ञ डॉ शेफाली नागपाल डायरेक्टर, एच आर डी सी, बी पी सिंह महिला यूनिवर्सिटी, सोनीपत, डॉ एस.डी. देशपाण्डे जी.एस.कॉलेज ऑफ कॉमर्स एण्ड इकोनॉमिक्स जबलपुर मध्यप्रदेश एवं डॉ सुनील देशपाण्डेय ने अपने वक्तव्य में एमएसएमई के किसी भी देश के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव एवं महत्व पर अत्यंत विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इस वेबीनार में देष के 27 राज्यों से कुल 1685 प्रतिभागी सम्मिलित हुये। वेबीनार का संचालन डॉ सोमाली गुप्ता ने किया। डॉ अंशुमाला चन्दनगर ने सभी विषय-विशेषज्ञों के विचारों को समअप किया एवं अंत में डॉ एस.आर.ठाकुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।