• Fri. Apr 19th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के पितामह डॉक्टर साराभाई का जन्मदिवस मनाया

Aug 13, 2020

Dr Vikram Sarabhai rememberedभिलाई। चंद्रयान 2 मिशन के दौरान भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में शानदार उपलब्घि प्राप्त की। इस कामयाबी में जितना आधुनिक वैज्ञानिकों का योगदान है, उतना ही पूर्व वैज्ञानिकों का भी योगदान रहा। इन वैज्ञानिकों में से एक महान वैज्ञानिक डॉ विक्रम अम्बालाल साराभाई थे, जिनके अथक परिश्रम एवं खोज ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहुंचाया। उनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य पर वैज्ञानिक परंपराओं से युवा विद्यार्थियों को अवगत कराने के लिए शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में आई.क्यू.ए.सी. तथा भौतिकशास्त्र विभाग के संयुक्त प्रयासों द्वारा डॉ विक्रम साराभाई के योगदान को याद किया गया। एमएससी अंतिम की प्रतीक्षा तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉक्टर साराभाई के संक्षिप्त परिचय में बताया कि डॉक्टर साराभाई ने 86 शोध पत्र और 40 संस्थानों का निर्माण किया। इसी क्रम में लक्ष्मी प्रसाद मिश्रा ने पावर प्वाइंट के माध्यम से डॉक्टर साराभाई की उपलब्धियों को रेखांकित किया और प्रियंका देवांगन ने उनके द्वारा निर्मित संस्थानों के बारे में जानकारी दी कि मौसम विज्ञान परिणाम कॉस्मिक किरणों के दैनिक परिवर्तन और प्रेक्षण पर पूर्ण रूप से प्रभावित नहीं होता है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. पूर्णा बोस ने बताया कि डॉ साराभाई का सपना था कि सेटेलाइट और दूरदर्शन का उपयोग शिक्षा के लिए किया जाए, उनके इन्हीं प्रयासों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में दूरदर्शन द्वारा शिक्षा एवं कृषि में मदद मिल रही है। नैक कोऑर्डिनेटर डॉ जगजीत कौर सलूजा ने जानकारी दी कि डॉक्टर विक्रम साराभाई सृजनशील वैज्ञानिक एवं बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, उन्होंने अंतरिक्ष कार्यक्रम को दिशा प्रदान की और इसरो की स्थापना की। इसके साथ डॉ सलूजा ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा इस घड़ी में हमें अपने सपनों को पूर्ण करने के लिए जुनून के साथ आगे बढ़ना होगा। कार्यक्रम आयोजक डॉ अभिषेक मिश्रा ने जानकारी दी कि डॉ साराभाई को 1962 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, 1966 में पद्मभूषण और 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। डॉ साराभाई ने युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया, और अपने विचारों को संस्थाओं में परिवर्तित किया। जिसके कारण हम भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन के नाम से जानते हैं। प्राचार्य डॉ आर एन सिंह के अनुसार ऐसे कार्यक्रमों द्वारा विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन, ज्ञानवर्धन के साथ-साथ भविष्य में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा मिलती रहती है, जिससे कभी भी विद्यार्र्थी तनावग्रस्त नहीं होंगे और अपने सपनों को भविष्य में साकार करने के लिए जुटे रहेगें। ऑनलाईन कार्यक्रम के दौरान भौतिक शास्त्र के प्राध्यापकों के साथ एम.एससी द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थी उपस्थित थे।

Leave a Reply