दुर्ग (संडेकैम्पस)। नई तालीम कमजोर एवं प्रतिभाशाली दोनों श्रेणी के विद्यार्थियों हेतु लाभदायक है। इसके अंतर्गत शिक्षा, तकनीक एवं कौशल विकास के आधार पर किसी भी विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास संभव है। ये उद्गार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने आज व्यक्त किये। डॉ पल्टा दुर्ग विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी बीएड एवं एमएड कॉलेजो के प्राचार्यों एवं प्राध्यापकों हेतु भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित वेबीनार में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रही थीं। 40 से अधिक शिक्षा महाविद्यालयों के प्रतिभागियों को डॉ पल्टा ने सलाह दी कि स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार होना चाहिए तथा विद्यार्थियों को भी जितना हम स्थानीय भाषा में समझायेंगे उतना विद्यार्थी जल्दी समझेगा।
कार्यक्रम के आरंभ में महात्मा गांधी नेशनल काउंसिल ऑप रूरल एजुकेशन के वेबीनार संयोजक ने नई तालीम के आवश्यकता एवं उसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पूरे समूचे देश में वोकेशनल शिक्षा तथा प्रयोगात्मक पठन-पाठन का प्रयास नई शिक्षा नीति के अंतर्गत किया जा रहा है। इसके अंतर्गत समस्त प्राध्यापकों को आर्थिक एवं सामाजिक हितों से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तार से जानकारी दी जावेगी। शिक्षा मंत्रालय के आयोजकों के अनुसार शिक्षा तथा स्वास्थ्य एवं सामुदायिक जिम्मेदारी आदि विषयों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर भी समस्त बीएड/एमएड महाविद्यालयों में गतिविधयां आयोजित की जावेगी। इन गतिविधियों में मास्क का निर्माण, सेनेटाइजर बनाना, सिलाई बुनाई, शिल्पकारी, गुलदस्ता निर्माण, बागवानी तथा इलेक्ट्रानिक सामानों की रिपेरिंग शामिल है। इनके अलवा जल संरक्षण, पेन्टिंग, औजारों का उपयोग, कम्पोस्ट खाद्य बनाना विषयों पर प्रत्येक कॉलेज में प्रशिक्षण हेतु समिति बनाई जायेगी। शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशों के मुताबिक बीएड/एमएड कॉलेजों को वोकेशनल टेªनिंग एवं नई तालीम के माध्यम से स्थानीय समाज एवं ग्राम पंचायतों को जागरूक करने हेतु विभिन्न गतिविधियां संचालित करनी होगी। इस एक दिवसीय वेबीनार के दौरान प्रतिभागियों ने अनेक प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा का समाधान किया।
विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ प्रशान्त श्रीवास्तव ने शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित इस वर्कशॉप को बीड/एमएड कॉलेजो हेतु अंतयंत लाभदायक बताया।